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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. प्राचीन इतिहास हमें पुराने भारतीय समाज का एक मूल्यवान विवरण देता है। इस संदर्भ में प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोतों की विवेचना कीजिये।

    12 Sep, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अपने उत्तर की शुरुआत प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर कीजिये।
    • प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोतों की विवेचना कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    इतिहास अतीत की घटनाओं का अध्ययन है। यह हमें उन प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है जिन्होंने प्रारंभिक मनुष्यों को अपने पर्यावरण पर सफलतापूर्वक विजय प्राप्त करने और वर्तमान सभ्यताओं को विकसित करने में सक्षम बनाया। यह केवल युद्धों और राजाओं का अध्ययन नहीं है जैसा कि आमतौर पर कुछ लोग समझते हैं। यह उपलब्ध स्रोतों में परिलक्षित एक लंबी अवधि में समाज, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण है। प्राचीन इतिहास को समझने के लिए विभिन्न स्रोत हैं जो प्राचीन समाज का स्पष्ट विवरण प्रदान करते हैं।

    प्रारूप

    साहित्यिक स्रोत

    • धार्मिक साहित्य: अधिकांश प्राचीन भारतीय ग्रंथों में धार्मिक विषय शामिल हैं और इन्हें वेद के रूप में जाना जाता है। वेदों की संख्या चार है। ऋग्वेद में मुख्य रूप से प्रार्थनाएँ शामिल हैं। अन्य तीन, साम, यजुर और अथर्व- में प्रार्थना, अनुष्ठान, जादूटोना और पौराणिक कहानियाँ हैं। उपनिषदों में आत्मा और परमात्मा पर दार्शनिक चर्चा है। उन्हें वेदांत भी कहा जाता है।
    • धर्मनिरपेक्ष साहित्य: साहित्य की इस श्रेणी का विषय धर्म नहीं है। इस वर्ग के अंतर्गत धर्मशास्त्र या कानून की किताबें हैं जो विभिन्न सामाजिक समूहों के लिए कर्तव्यों को निर्धारित करती हैं। इसमें चोरी, हत्या, व्यभिचार आदि के दोषी व्यक्तियों के लिए दंड की व्यवस्था की गी है। सबसे प्रारंभिक कानून की किताबें मनु स्मृति है। यह अंग्रेजों द्वारा अनुवादित पहली पुस्तक थी और हिंदू कानून संहिता का आधार बनी। कौटिल्य का अर्थशास्त्र मौर्य काल की भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति के अध्ययन के लिए समृद्ध सामग्री प्रदान करता है। ऐतिहासिक पुनर्निर्माण के लिए कभी-कभी शब्दशास्त्र पर कार्य भी उपयोगी होते हैं।

    गैर साहित्यिक स्रोत

    • अभिलेख : पुरातात्विक स्रोतों के अंतर्गत सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्रोत अभिलेख है। यह पाण्डुलिपियों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित कहे जा सकते है। वही, अभिलेख अपने समकालीन भी होते है, और उसमें उपलब्ध सूचनाओं का काल एवं समय दोनों ही चिन्हित किया जा सकता है। उत्कीर्ण अभिलेख प्रायः संक्षिप्त होते है लेकिन बड़ी संख्या में प्राप्त लघु अभिलेखों में भी अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सूचना दी गई होती है।
    • मुद्रा शास्त्र: सिक्कों का अध्ययन: सिक्कों के अध्ययन को न्यूमिसमैटिक्स (Numismatics) कहते है जिसमें सिक्कों में प्रयुक्त धातु, सिक्के का आकार तथा स्वरूप, सिक्के की माप की पद्धति, निर्माण विधि, सिक्कों पर उत्कीर्ण लिपि आदि जैसे सभी पक्षों का अध्ययन किया जाता है। हालांकि प्राचीन सिक्के ज़्यादातर आकस्मिक रूप से प्राप्त होते रहे है। सिक्कों के कभी-कभी ढेर भी प्राप्त हुए है जिसे मुद्रानिधि की संज्ञा दी गई है। मुद्रा निधियों में ऐसे सिक्के मिलते है जो जमीन में दब जाते है इसके पीछे कोई भी कारण संभव हो सकता है जैसे- आगजनी, बाढ़ या अन्य विभीषिकाओं के कारण लोगों की पहुंच से बाहर हो गया हो तथा अब उसे प्राप्त किया गया हो।
    • पुरातात्विक स्रोत : पुरातात्त्विक स्रोतों से प्राचीन इतिहास की प्रामाणिक जानकारी मिलती है। इनके अंतर्गत अभिलेख, स्मारक भवन, सिक्के, मूर्तियाँ, चित्रकला, मुहरें आदि अवशेष आते हैं।
    • विदेशी साहित्य (विदेशी यात्रियों के विवरण): कई आगंतुक, तीर्थयात्रियों, व्यापारियों, उपनिवेशिकों, सैनिकों तथा राजदूतों के रूप में भारत आए। उन्होंने जिन जगहों और वस्तुओं को देखा, उन पर अपना विवरण दिया। यदि इनका ध्यानपूर्वक अध्ययन किया जाए तो ये लेख बहुत सारी ऐतिहासिक जानकारी देते हैं। प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत में विदेशी साहित्य के अंतर्गत यूनान, रोम, चीन एवं अरब देशों से आए यात्रियों द्वारा प्राप्त विवरणों को सम्मिलित किया गया है।

    निष्कर्ष

    इस प्रकार, उपरोक्त सभी स्रोतों ने उस काल के इतिहास के निर्माण में मदद की है जिससे हमें उस काल की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थितियों को जानने में मदद मिली है।

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