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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इंडियाज़ वर्ल्ड : पाकिस्तान की ढहती अर्थव्यवस्था

  • 25 May 2019
  • 14 min read

संदर्भ

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) के साथ 6 अरब डॉलर के राहत पैकेज पर शुरुआती सहमति बनने के बाद पाकिस्तान की मुद्रा ‘रुपया’ डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुँच गई है।

  • हाल ही में पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले 147 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर पहुँच गया। इससे पहले रुपया इसी सप्ताह 141 प्रति डॉलर पर आया था।
  • पिछले वर्ष की तुलना में पाकिस्तानी मुद्रा में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है जिससे देश में आर्थिक विकास की गति धीमी हो गई है, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है तथा बजट और व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 1980 से अब तक IMF पाकिस्तान को 12 बार राहत पैकेज दे चुका है और इस बार के वित्तीय संकट से उबारने के लिये उसे 13वाँ पैकेज देने का फैसला किया गया है।
  • पिछले सप्ताह IMF के साथ शुरुआती करार में पाकिस्तान ने बाज़ार आधारित विनिमय दर का अनुपालन करने की सहमति व्यक्त की थी। फिलहाल पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक विनिमय दरों को नियंत्रित करता है।

पाकिस्तान की मुद्रा में अवमूल्यन के कारण

  • पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan-SBP) ने पाकिस्तानी मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation) करने का निर्णय लिया| इसका कारण यह था कि मुद्रा के अवमूल्यन से निर्यात में वृद्धि होगी तथा निर्यातकों को इसका आर्थिक लाभ प्राप्त होगा परिणामस्वरूप अर्थव्यवथा मज़बूत होगी।
  • दुर्भाग्य से पाकिस्तान के निर्यात में वृद्धि नहीं हुई तथा पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक का अनुमान पुर्णतः गलत साबित हुआ। वर्ष 2013 से निर्यात का स्तर लगातार गिरता चला गया और एक समय यह नकारात्मक स्थिति में पहुँच गया। साथ ही पाकिस्तान का आयात बढ़ गया जिसका सबसे बड़ा कारण था चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा।
  • पाकिस्तान में भ्रष्टाचार का लगातार बढ़ना भी मुद्रा के अवमूल्यन का एक बड़ा कारण था।
  • जब पाकिस्तान की मुद्रा में लगातार अवमूल्यन होता रहा तब SBP ने एक नया तरीका अपनाते हुए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करना शुरू किया ताकि मुद्रा के अवमूल्यन को कुछ हद तक रोका जा सके लेकिन यह तरीका भी असफल सिद्ध हुआ।
  • इसका परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार जो पहले ही से कम था और कम होता चला गया। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास मात्र 10 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है।
  • ऐसे में पाकिस्तान के समक्ष जो बड़ा संकट आ गया वह था भुगतान संतुलन (Balance of Payment-BoP) की। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान के पास निर्यात के भुगतान का संकट आ गया।

पाकिस्तान की वर्तमान वित्तीय और आर्थिक स्थिति

  • पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति गंभीर संकट का सामना कर रही है। यह निर्यात की तुलना में आयात पर अधिक खर्च कर रहा है, जिसका चालू खाता घाटा वर्ष 2015 के 2.7 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2018 में 18.2 बिलियन डॉलर हो गया है।
  • इस बढ़ते चालू खाते के घाटे का प्रमुख कारण विस्तारित व्यापार घाटा है, जो ज़्यादातर नए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China-Pakistan Economic Corridor-CPEC) परियोजनाओं के तहत बढ़ते आयात और घटते निर्यात के कारण है।
  • पिछली सरकार ने CPEC के तहत बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को वित्तीय मदद के साथ आयात आधारित विकास रणनीति पर अधिक ध्यान केंद्रित किया था।
  • जून 2018 के अंत तक पाकिस्तान का सकल सार्वजनिक ऋण 179.8 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो एक वर्ष के भीतर 25.2 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्शाता है।
  • सरकार का बाह्य ऋण भी जून 2018 के 64.1 बिलियन डॉलर से बढ़कर जनवरी 2019 में 65.8 बिलियन डॉलर हो गया है।
  • वर्तमान में मुद्रास्फीति की दर  9.4 प्रतिशत के आँकड़े को छू रही है, जो कि पिछले पाँच वर्षों की तुलना में रिकॉर्ड स्तर पर है। इसका मुख्य कारण रुपए का अवमूल्यन और ऊर्जा की बढ़ती कीमतें हैं।
  • इसके अलावा, रक्षा खर्च में वृद्धि और चरमपंथ के खिलाफ जारी संघर्ष पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और बोझ डाल रही है।
  • रुपए के कम होते मूल्य ने आयात महंगा कर दिया है, पाकिस्तान की सुरक्षा और राजनीतिक चुनौतियों के कारण कम विदेशी निवेश ने भी पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
  • 2018 में पाकिस्तान का कर राजस्व सकल घरेलू उत्पाद का केवल 13 प्रतिशत था। चालू वित्त वर्ष के दौरान देश के राजस्व में गिरावट आई है, जबकि व्यय में वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप 2010-11 के बाद सकल घरेलू उत्पाद का 2.7 प्रतिशत राजकोषीय घाटा सर्वाधिक है।

पाकिस्तान के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

पाकिस्तान के आर्थिक विकास की राह में प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं :

1. ऊर्जा संकट

  • लगातार बिजली कटौती  ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिये चुनौती प्रस्तुत की है। वर्ष 2000 के बाद से इस अभिशाप ने समग्र अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।
  • देश में बिजली की कमी 5,000MW से अधिक हो गई है। जब तक ऊर्जा के संकट को हल नहीं किया जाता है तब तक आर्थिक विकास की उम्मीद नहीं की जा सकती।

2. आतंकवाद

  • पाकिस्तान वर्ष 2002 से ही एक युद्धग्रस्त देश है| आतंकवाद पाकिस्तान के आर्थिक विकास में बहुत बड़ा बाधक है।
  • स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट (2016) के अनुसार, आतंकवाद पर युद्ध की लागत 118 बिलियन डॉलर है।
  • लंबे समय से पाकिस्तान की नकारात्मक अंतर्राष्ट्रीय छवि ने देश में विदेशी निवेश को सीमित कर दिया है।

3. भ्रष्टाचार

  • वर्ष 1947 से चल रहे भ्रष्टाचार ने लगातार अपनी जड़ें जमा ली हैं।
  • वर्तमान परिस्थितियों में यह राजनीतिक बहस का प्रमुख मुद्दा बन गया है क्योंकि देश के कई प्रधानमंत्रियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं।

4. युवा बेरोज़गारी

  • पाकिस्तान लगभग 63 प्रतिशत युवा आबादी वाला देश है। उनमें से आधे बेरोज़गार हैं।
  • एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुसार 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की 50.7 प्रतिशत आबादी रोज़गार में है। उसमें से, महिला अनुपात बहुत कम है। बाकी लोग अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
  • औसतन, पाकिस्तान को युवाओं के लिये सालाना 20 मिलियन रोज़गार सृजित करने की आवश्यकता है।

5. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव

  • शिक्षा आर्थिक प्रगति का एक प्रमुख घटक है। पाकिस्तान की वर्तमान साक्षरता लगभग 60 प्रतिशत है जो दक्षिण एशियाई देशों में सबसे कम है।
  • लगभग 25 मिलियन बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ज़मीनी स्तर पर हजारों स्कूलों में स्वच्छता, पानी, बिजली, चहारदीवारी आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

6. खराब स्वास्थ्य सुविधाएँ

  • सार्वजनिक अस्पतालों में उचित दवाओं, बिस्तरों, उपकरणों आदि की कमी है। बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण प्रति 100,000 में से 170 महिलाओं की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है।
  • जन्म लेने वाले प्रत्येक 1,000 शिशुओं में 66 शिशुओं की मृत्यु प्रथम जन्मदिन से पहले हो जाती है।
  • हर दिन कुपोषण और गरीबी के कारण थार में बच्चों की मृत्यु की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

7. कर की चोरी

  • बड़े निगम, जमींदार, व्यापारी, राजनेता करों के अपने उचित हिस्से का भुगतान नहीं करते हैं। उनकी आय ज़्यादा होती है लेकिन कर का भुगतान कम करते हैं, दूसरी ओर गरीबों की आय कम होती है, लेकिन उन पर अधिक कर लगाए जाते हैं।
  • कर चोरी की घटनाओं ने पाकिस्तान की आर्थिक प्रगति को बाधित किया है।

8. धन का संकेंद्रण

  • पाकिस्तान में कुछ अमीर परिवारों में ही धन का संकेंद्रण है। शेष आबादी उन पर ही निर्भर है।
  • धन के संकेंद्रण के कारण, लगभग 35 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
  • पाकिस्तान की लगभग 39 प्रतिशत आबादी गरीबी में जीवन-यापन कर रही है अर्थात् पाकिस्तान में 10 में से 4 लोग गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं।

पाकिस्तान को किन कदमों को उठाए जाने की ज़रूरत है?

  • चालू खाते के घाटे को कम करने के लिये पाकिस्तान को विदेशी आर्थिक सहायता पर अधिक निर्भर होने के बजाय  प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करने के लिये निवेश-अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना होगा।
  • विश्व  बैंक की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान 190 देशों में 136 वें स्थान पर है।
  • इस रैंकिंग में सुधार करने और अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिये पाकिस्तान को सीमा शुल्क कानूनों और नियमों को सरल बनाना चाहिये, देश की सुरक्षा में सुधार करना चाहिये, पर्यटन और उद्योग के लिये एक वांछनीय गंतव्य के रूप में अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि को फिर से विकसित करने की ओर ध्यान देना चाहिये।
  • अधिक लचीली कर नीतियों के माध्यम से घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिये, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को लक्षित करना चाहिये।
  • पाकिस्तान को अपने निर्यात पोर्टफोलियो का विस्तार करने और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने के लिये अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • वर्ष 2018 में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक (Global Competitiveness Index-GCI) में पाकिस्तान 140 देशों में 107वें स्थान पर था जो बुनियादी ढाँचा, मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता, श्रम बाज़ार, कौशल, वित्तीय स्थिरता, नवाचार क्षमता आदि संकेतकों में विभिन्न देशों के प्रदर्शन को मापता है।
  • निम्न रैंकिंग से संकेत मिलता है कि पाकिस्तानी सरकार को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और अनुकूल कारोबारी माहौल प्रदान करने के लिये कारगर उपाय करने की आवश्यकता है।
  • देश में चल रहे ऊर्जा संकट ने उद्योगों को नुकसान पहुँचाया है, कारखाने के मालिकों को चीन तथा बांग्लादेश जैसे देशों में तेज़ी से स्थानांतरित करने के लिये प्रेरित किया है। पाकिस्तान को वैश्विक एकीकरण को बढ़ाने के लिये नए संयंत्रों और उपकरणों की स्थापना कर अपने औद्योगिक क्षेत्र को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

पाकिस्तान को व्यापार लागत कम करते हुए निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाना चाहिये। पाकिस्तान को पड़ोसी बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाने के लिये रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।समग्र अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिये व्यापक नीतिगत बदलाव किये जाने की आवश्यकता है| पाकिस्तान का  आर्थिक संकट पड़ोसी देश भारत के लिये भी खतरनाक है।

प्रश्न : पाकिस्तान के मुद्रा के अवमूल्यन के कारणों को स्पष्ट करते हुए पाकिस्तान के समक्ष आर्थिक चुनौतियों पर प्रकाश डालिये तथा इससे उबरने के उपाय सुझाइये।

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