रैपिड फायर
हेपेटाइटिस D कैंसरकारी के रूप में घोषित
- 08 Aug 2025
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हेपेटाइटिस D वायरस (HDV) को कैंसरकारी के रूप में पुनः वर्गीकृत किया है।
हेपेटाइटिस
- विषय: यह वायरल संक्रमण, स्व-प्रतिरक्षा विकारों, शराब/ड्रग विषाक्तता के कारण होने वाली यकृत की सूजन है। यह तीव्र या दीर्घकालिक हो सकती है, जिससे फाइब्रोसिस, सिरोसिस या यकृत कैंसर हो सकता है।
- लक्षण: हेपेटाइटिस से संक्रमित कुछ व्यक्तियों में लक्षण दिखाई नहीं दे सकते हैं, लेकिन सामान्य लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना, मतली, उल्टी, पेट में दर्द, डार्क यूरिन, मिट्टी के रंग का मल त्याग, जोड़ों का दर्द और पीलिया शामिल हैं।
- कारण: हेपेटोट्रोपिक वायरस (A, B, C, D, E), अन्य जैसे वैरिकाला, SARS-CoV-2 और गैर-वायरल कारण जैसे शराब, ड्रग्स, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस, फैटी लिवर।
- व्यापकता: वर्ष 2022 में, WHO ने रिपोर्ट किया कि हेपेटाइटिस B के 254 मिलियन, हेपेटाइटिस C के 50 मिलियन मामले और 1.3 मिलियन मौतें दर्ज की गईं। 30 से 54 वर्ष आयु वर्ग के लोग दीर्घकालिक (क्रॉनिक) मामलों का लगभग आधा हिस्सा थे।
- हेपेटाइटिस D: यह एक दोषपूर्ण वायरस है जो संक्रमण और प्रतिकृति के लिये हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) पर निर्भर करता है।
- जोखिम: यह हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) के साथ सह-संक्रमण (Co-Infection) या सुपरइंफेक्शन का कारण बनता है, जिससे केवल HBV की तुलना में लीवर सिरोसिस और हैपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (लीवर कैंसर का एक प्रकार) का खतरा 2 से 6 गुना तक बढ़ जाता है।
- व्यापकता: भारत में इसका प्रचलन कम है, लेकिन यह संभावना है कि इसे पर्याप्त रूप से दर्ज नहीं किया गया है, खासकर इंजेक्शन से नशा करने वाले लोगों और दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी (HBV) रोगियों के बीच।
- निदान, उपचार और रोकथाम: निदान HDV-RNA परीक्षण पर निर्भर करता है तथा उपचार के विकल्प सीमित हैं, हालाँकि बुलेविर्टाइड जैसी नई दवाएँ आशाजनक परिणाम दिखाती हैं।
- इसकी रोकथाम सार्वभौमिक हेपेटाइटिस बी टीकाकरण पर निर्भर करती है, जिसका भारत में लगभग 50% कवरेज है।
- प्रमुख उपायों में सुरक्षित रक्त संक्रमण, सुइयों की सुरक्षा, सुरक्षित यौन संबंध और उच्च जोखिम वाले समूहों की स्क्रीनिंग शामिल हैं।
- महत्त्वपूर्ण पहल:
- WHO की 2022–2030 रणनीति: वर्ष 2015 के स्तर की तुलना में नई हेपेटाइटिस संक्रमणों में 90% की कमी और मृत्यु दर में 65% की कमी का लक्ष्य रखा गया है। इसका उद्देश्य है कि वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष हेपेटाइटिस के मामले 5.2 लाख और मृत्यु संख्या 4.5 लाख तक सीमित की जाए।
- राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम: वर्ष 2030 तक भारत से वायरल हेपेटाइटिस का उन्मूलन।
- राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम।
- भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP)।
- विश्व हेपेटाइटिस दिवस।
हेपेटाइटिस के प्रकार
प्रकार |
संक्रमण का माध्यम |
बचाव |
उपचार |
हेपेटाइटिस A |
दूषित भोजन खाने या दूषित पानी पीने से |
- अच्छी स्वच्छता का पालन - टीका |
कोई उपचार नहीं |
हेपेटाइटिस B |
संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क से |
- अच्छी स्वच्छता का पालन - टीकाकरण - रक्त की जाँच |
- अल्फा इंटरफेरॉन - पेगिन्टरफेरॉन |
हेपेटाइटिस C |
रक्त से रक्त का संपर्क |
- अच्छी स्वच्छता का पालन - सुई, टूथब्रश, रेज़र या नाखून काटने की कैंची साझा करने से बचना चाहिये |
प्रत्यक्ष-क्रियाशील एंटीवायरल दवाएँ (DAAs) |
हेपेटाइटिस D |
संक्रमित रक्त के संपर्क से (केवल उन लोगों में होता है जो पहले से हेपेटाइटिस B से संक्रमित हैं) |
- हेपेटाइटिस B का टीका - सुई, टूथब्रश, रेज़र या नेलकटर साझा करने से बचना चाहिये |
इंटरफेरॉन |
हेपेटाइटिस E |
दूषित भोजन खाने या दूषित जल पीने से |
- अच्छी स्वच्छता का पालन - ऐसे पानी को पीने से बचना चाहिये जो संभवतः असुरक्षित स्रोत से आया हो |
कोई उपचार नहीं |
और पढ़ें: ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट 2024, विश्व हेपेटाइटिस दिवस |