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अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करने हेतु VRRR नीलामी

  • 08 Jul 2025
  • 5 min read

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बैंकिंग प्रणाली से अधिशेष तरलता को अवशोषित करने के लिये 1 लाख करोड़ रुपए की 7-दिवसीय परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (VRRR) नीलामी आयोजित करने की योजना बना रहा है।

VRRR नीलामी और तरलता संबंधी मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • VRRR के बारे में: VRRR एक मौद्रिक नीति उपकरण है, जिसका उपयोग RBI द्वारा नीलामी के माध्यम से अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करने के लिये किया जाता है, जहाँ बैंक RBI के पास अल्पकालिक जमा रखने के लिये परिवर्तनीय ब्याज दरों पर बोली लगाते हैं।
    • इसके विपरीत रिवर्स रेपो दर RBI द्वारा निर्धारित एक निश्चित दर है, जिस पर बैंक बिना बोली लगाए अतिरिक्त धनराशि जमा कर देते हैं , जिससे VRRR अधिक लचीला और बाज़ार संचालित हो जाता है।
  • VRRR नीलामी का कारण: RBI का लक्ष्य ट्राई पार्टी रेपो डीलिंग सिस्टम (TREPS) पर ओवरनाइट दरों को तरलता समायोजन सुविधा (LAF) कॉरिडोर की निचली सीमा के निकट लाना है, जो वर्तमान में 5.25% और 5.75% के बीच है।
    • TREPS भारत में एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जो बैंकों, म्यूचुअल फंड, NBFC और अन्य वित्तीय संस्थानों के बीच संपार्श्विक अल्पकालिक उधार तथा ऋण की सुविधा प्रदान करता है। 
      • यह RBI की निगरानी में संचालित होता है और इसका प्रबंधन क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) द्वारा किया जाता है।
      • त्रि-पक्षीय संरचना: इसमें तीन पक्ष शामिल होते हैं अर्थात्-उधारकर्त्ता, ऋणदाता और एक थर्ड-पार्टी एजेंट (CCIL)।
    • LAF कॉरिडोर एक मौद्रिक नीति उपकरण है, जिसका उपयोग RBI द्वारा बैंकिंग प्रणाली में अल्पकालिक तरलता को विनियमित करने तथा ब्याज दर में उतार-चढ़ाव को स्थिर करने के लिये किया जाता है।
      • इसमें दो मुख्य दरें शामिल हैं: रेपो दर (ऊपरी सीमा) - वह दर जिस पर बैंक RBI से उधार लेते हैं और रिवर्स रेपो दर (निचली सीमा) - वह दर जिस पर बैंक RBI के पास अतिरिक्त धनराशि जमा करते हैं।
      • रेपो/रिवर्स रेपो में ओवरनाइट तरलता के लिये RBI की निश्चित ब्याज दर का उपयोग किया जाता है, जबकि VRR/VRRR में गतिशील तरलता प्रबंधन के लिये नीलामी में प्रतिस्पर्द्धी बैंक बोली के माध्यम से परिचालन किया जाता है।
  • तरलता के बारे में: तरलता का तात्पर्य लेन-देन, व्यय या निवेश के लिये धन या नकदी-समकक्षों की सुलभता से है, जो वित्तीय प्रणाली में निधियों की उपलब्धता को दर्शाता है।
  • तरलता अधिशेष के कारण: खुले बाज़ार परिचालनों (जैसे G-SEC की खरीद), सावधि परिवर्ती दर रेपो (VRR) नीलामी और डॉलर/रुपए खरीद-बिक्री स्वैप के माध्यम से तरलता के प्रवेश ने सामूहिक रूप से अर्थव्यवस्था में तरलता को बढ़ावा दिया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

  1. वैधानिक तरलता अनुपात में कटौती और अनुकूलन
  2.  सीमांत स्थायी सुविधा दर में बढ़ोतरी
  3.  बैंक रेट और रेपो रेट में कटौती

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. मौद्रिक नीति समिति (MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह आरबीआई की बेंचमार्क ब्याज दरों को तय करती है।
  2.  यह आरबीआई के गवर्नर सहित 12 सदस्यीय निकाय है जिसका प्रतिवर्ष पुनर्गठन किया जाता है।
  3.  यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)

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