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वेरि लार्ज गैस कैरियर (VLGC) शिवालिक

  • 08 Oct 2025
  • 14 min read

स्रोत:TH 

भारत ने विशाखापत्तनम बंदरगाह पर भारतीय ध्वज के तहत भारत के पहले विशाल गैस वाहक (वेरि लार्ज गैस कैरियर- VLGC) ‘शिवालिक’ के आगमन पर उसका औपचारिक स्वागत किया, जो समुद्री आत्मनिर्भरता और ऊर्जा सुरक्षा में एक मील का पत्थर है।

  • शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) द्वारा शिवालिक का संचालन भारत में शिपिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है तथा देश की ऊर्जा व्यापार कनेक्टिविटी को मज़बूत करता है।
  • आकार और क्षमता: VLGC शिवालिक की लंबाई 225 मीटर तथा इसकी क्षमता 82,000 क्यूबिक मीटर (CBM) है। इसे बड़े पैमाने पर तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG), जैसे प्रोपेन और ब्यूटेन के परिवहन के लिये तैयार किया गया है।
  • इंजीनियरिंग: इसमें अलग-अलग टैंक्स, उन्नत तापमान नियंत्रण प्रणाली और वैश्विक सुरक्षा एवं दक्षता मानकों के अनुरूप तकनीक शामिल है।
  • सामरिक महत्त्व: दक्षिण कोरिया में भारतीय ध्वज के तहत निर्मित शिवालिक, ऊर्जा आयात के लिये विदेशी ध्वज वाले जहाज़ों पर भारत की निर्भरता को कम करता है तथा अरब की खाड़ी के साथ भारत की ऊर्जा सुरक्षा तथा कनेक्टिविटी को मज़बूत करता है।
  • समुद्री आत्मनिर्भरता: यह भारत की नौवहन क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता का प्रतीक है और वर्ष 2047 तक देश को शीर्ष पाँच समुद्री राष्ट्रों में शामिल करने के लक्ष्य में योगदान प्रदान करता है।
    • भारत का लक्ष्य निर्माण, स्वामित्व, मरम्मत और पुनर्चक्रण के साथ एक संपूर्ण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है, जिससे निर्यात-आयात (EXIM) दक्षता में वृद्धि होगी तथा विकसित भारत 2047 में योगदान मिलेगा।
  • घरेलू जहाज़ निर्माण को बढ़ावा: जहाज़ निर्माण वित्तीय सहायता योजना (SBFAS), समुद्री विकास निधि (MDF) और जहाज़ निर्माण विकास योजना जैसी नीतियाँ स्थानीय जहाज़ निर्माण, मरम्मत तथा पुनर्चक्रण को बढ़ावा देती हैं।

और पढ़ें:  भारत के जहाज़ निर्माण उद्योग का सुदृढ़ीकरण

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