प्रारंभिक परीक्षा
Axiom - 4 मिशन पर अंतरिक्ष में जीवन-क्षमता का परीक्षण करने भेजे गए टार्डिग्रेड्स
- 10 Jun 2025
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स्रोत: IE
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये Axiom-4 मिशन का संचालन (पायलट) करेंगे, जबकि अमेरिका की पैगी व्हिटसन इस मिशन की कमान संभालेंगी।
- इस मिशन के तहत, इसरो सूक्ष्म और अत्यंत सहनशील जीव टार्डिग्रेड्स (वॉटर बियर्स) को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेज रहा है, ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि जीवन अंतरिक्ष की चरम स्थितियों में किस प्रकार जीवित रह सकता है।
Axiom-4 मिशन क्या है?
- Axiom मिशन 4 (Ax-4): अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये चौथी निजी अंतरिक्ष उड़ान है, जिसे अमेरिका-आधारित कंपनी Axiom स्पेस द्वारा SpaceX के क्रू ड्रैगन यान के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।
- इस मिशन के साथ शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले भारत के दूसरे व्यक्ति (वर्ष 1984 में राकेश शर्मा के बाद) तथा ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बन जाएँगे।
- प्रमुख विशेषताएँ: Axiom स्पेस का अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 14 दिवसीय मिशन वैज्ञानिक प्रयोग, तकनीकी प्रदर्शन और शैक्षिक दृष्टिकोण का आयोजन करेगा, इस मिशन का उद्देश्य पहला व्यावसायिक अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है, जिससे भविष्य में ISS पर निर्भरता समाप्त कर एक स्वतंत्र कक्षीय मंच विकसित किया जा सके।
- इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी के सदस्यों वाला एक अंतर्राष्ट्रीय दल शामिल है।
- मुख्य अनुप्रयोग:
- सूक्ष्मगुरुत्व में कंप्यूटर स्क्रीन के उपयोग का भौतिक और संज्ञानात्मक प्रभाव।
- अंतरिक्ष में टार्डिग्रेड्स (Water Bears) का व्यवहार और प्रतिक्रिया।
- अंतरिक्ष में उड़ान का छह प्रकार की फसलों, विशेष रूप से मूंग दाल पर प्रभाव।
- सायनोबैक्टीरिया (बैक्टीरिया का एक समूह जो पादपों की तरह प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये जाना जाता है) की वृद्धि दर, कोशिकीय प्रतिक्रियाएँ और जैव-रासायनिक गतिविधि।
- भारत के लिये महत्त्व: गगनयान मिशन (वर्ष 2027) के लिये अनुसंधान को मान्य करने हेतु 10 महत्त्वपूर्ण प्रयोगों ( सूक्ष्मगुरुत्व, बीज विकास, टार्डिग्रेड अध्ययन ) का संचालन करते हुए ISRO-NASA साझेदारी के माध्यम से भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग को मज़बूत करना।
- गगनयान चालक दल के प्रशिक्षण के लिये व्यावहारिक अनुभव प्रदान करके, खगोलीय जैव- विज्ञान अनुसंधान को आगे बढ़ाकर और भविष्य के वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशनों में भारत को एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित करके गगनयान मिशन की सफलता को बढ़ावा दिया।
नोट: ज़ीरो-जी इंडिकेटर (Zero-G Indicator) एक छोटी वस्तु है, जो प्रायः लचीली (Plushie) [नरम, स्टफीज़ खिलौने] होती है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को एक दृश्य संकेत प्रदान करती है कि वे भारहीनता की स्थिति में प्रवेश कर चुके हैं। एक्सिओम-4 मिशन के लिये ज़ीरो-जी इंडिकेटर एक साॅन प्लशी (Swan Plushie) है जिसका नाम 'जॉय' है।
टार्डिग्रेड्स के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय: टार्डिग्रेड्स (जिन्हें वाटर बियर या मॉस पिगलेट के नाम से भी जाना जाता है ) सूक्ष्म, अष्टपदीय लगभग 0.5 मिमी. लंबे जीव हैं जो पादपों और शैवाल के तरल पदार्थ द्वारा भोजन ग्रहण करते हैं।
- वे लगभग 600 मिलियन वर्षों से अस्तित्व में हैं और सभी पाँच बड़े विलुप्तीकरणों से बच गए हैं, जिससे वे पृथ्वी पर सबसे अधिक अनुकूल जीवन रूपों में से एक बन गए हैं।
- वे पर्वत शिखरों से लेकर गहरे समुद्र तक विविध आर्द्र आवासों में पाए जाते हैं तथा अपनी अत्यधिक स्थायित्व के लिये जाने जाते हैं।
- जीवित रहने की क्षमता: टार्डिग्रेड्स -272.95 डिग्री सेल्सियस से 150 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान, तीव्र यूवी विकिरण, अंतरिक्ष के निर्वात और 40,000 किलोपास्कल तक के दबाव जैसी चरम स्थितियों में जीवित रह सकते हैं, यहाँ तक कि जमे हुए अवस्था में 30 वर्ष बाद भी जीवित हो सकते हैं।
- जीवित रहने के तरीके:
- क्रिप्टोबायोसिस: कठोर परिस्थितियों में लगभग पूर्ण चयापचय बंद हो जाना।
- एनहाइड्रोबायोसिस: जल की मात्रा को 95% से अधिक तक कम कर देता है, जिससे जीव एक स्थाई, संकुचित अवस्था में प्रवेश करता है जिसे ‘टन (Tun)’ कहा जाता है।
- विशिष्ट प्रोटीन (CAHS): साइटोप्लाज़्म में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले हीट सॉल्युबल (CAHS) प्रोटीन अपनी कोशिकाओं के भीतर एक सुरक्षात्मक जेल बनाते हैं, जो आवश्यक कोशिकीय घटकों को नष्ट होने से बचाते हैं।
- वैज्ञानिक महत्त्व: टार्डिग्रेड्स पर शोध से जलवायु-अनुकूल फसलें, उन्नत UV-सुरक्षात्मक सनस्क्रीन और प्रत्यारोपण के लिये बेहतर अंग संरक्षण तकनीक विकसित हो सकती है।
- अंतरिक्ष के जीवित योद्धा: टार्डीग्रेड्स ने वर्ष 2007 में इतिहास रच दिया जब वे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के फोटोन-M3 मिशन के दौरान अंतरिक्ष में सीधे संपर्क में आने के बाद भी जीवित रहने वाले पहले जीव बने। इससे पृथ्वी के वायुमंडल से परे उनकी असाधारण सहनशक्ति सिद्ध हुई।
नोट: बैटिलिप्स चंद्रयानी समुद्री टार्डिग्रेड की एक नई खोजी गई प्रजाति है जो भारत के तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पाई जाती है।
- इसका नाम भारत के चंद्रयान-3 चन्द्र मिशन के सम्मान में रखा गया था, जो अंतरिक्ष अन्वेषण और समुद्री जीव विज्ञान में भारत की प्रगति के बीच प्रतीकात्मक संबंध को दर्शाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित अंतरिक्ष मिशनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त अंतरिक्ष मिशनों में से कितने सूक्ष्मगुरुत्व (माइक्रोग्रैविटी) विषयक अनुसंधान को प्रोत्साहित और समर्थित करते हैं? (a) केवल एक उत्तर:(c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल उत्तर: (c) |