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स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन

  • 09 Jun 2025
  • 7 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये नए तरीकों की खोज कर रहे हैं, जैसे कि स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (SAI)। यह एक जियोइंजीनियरिंग तकनीक है, जो ज्वालामुखी विस्फोटों से प्रेरित है और पृथ्वी को तेज़ी से एवं कम लागत में ठंडा कर सकती है।

स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन क्या है?

  • परिचय: SAI एक प्रस्तावित सौर जियोइंजीनियरिंग (या सौर विकिरण संशोधन) तकनीक है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी के जलवायु तापमान को कम करना है। यह तकनीक सूर्य के प्रकाश के एक छोटे हिस्से को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित कर पृथ्वी को ठंडा करने के लिये इजाद की गई है।
    • यह तकनीक प्राकृतिक रूप से बृहत् ज्वालामुखीय विस्फोटों के बाद देखे गए शीतलन प्रभाव की नकल करती है। उदाहरण के लिये, वर्ष 1991 में फिलीपींस के माउंट पिनातुबो के विस्फोट ने स्ट्रैटोस्फीयर में सल्फेट एरोसोल छोड़े थे, जिससे उस वर्ष वैश्विक तापमान में अस्थायी रूप से लगभग 0.5°C की गिरावट आई थी।
  • SAI की कार्यप्रणाली: SAI के अंतर्गत छोटे परावर्तक कणों (सामान्यतः सल्फेट एरोसोल या कैल्शियम कार्बोनेट जैसे विकल्प) को स्ट्रैटोस्फीयर (10–50 किमी ऊँचाई) में छोड़ा जाता है।
    • ये कण आने वाली सौर विकिरण के एक हिस्से को बिखेरते और परावर्तित करते हैं , जिससे पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाली ऊष्मा की मात्रा कम हो जाती है।
    • पृथ्वी की परावर्तकता (reflectivity) को बढ़ाकर, SAI ग्रीनहाउस गैसों के कारण होने वाली ऊष्मा को कुछ हद तक कम कर सकता है ।

Stratospheric_Aerosol_Injection

  • प्रभावशीलता: SAI आमतौर पर अधिक प्रभावी है, क्योंकि कण महीनों से लेकर वर्षों तक समताप मंडल में बने रहते हैं। इसके विपरीत, कम ऊँचाई पर उत्सर्जित कण अक्सर बादलों में फँसने के बाद वर्षा से बह जाते हैं  
    • शीतलन प्रभाव आमतौर पर ध्रुवीय क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट होता है, जबकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, अधिक ऊष्मा का अनुभव करने के बावजूद , SAI का कम प्रभाव दिखाई देता है।
  • संबद्ध जोखिम: 
    • पर्यावरणीय जोखिम: ओज़ोन परत को नुकसान (इसकी रिकवरी में देरी), सल्फर डाइऑक्साइड से अम्लीय वर्षा और असमान शीतलन (ध्रुवीय क्षेत्रों में अधिक मज़बूत, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कमज़ोर)।
    • दीर्घकालिक प्रभाव: यह केवल ऊष्मा को कम कर देता है, मूल कारण (CO₂ उत्सर्जन) को हल नहीं करता है। यह वर्षा प्रतिरूप और वायु परिसंचरण को बदल सकता है, जिसका मानसून क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । 
    • इससे समतापमंडलीय रसायन विज्ञान में भी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, जिससे मीथेन का जीवनकाल, बर्फ निर्माण और बादलों की सूक्ष्मभौतिकी प्रभावित हो सकती है।

सौर विकिरण संशोधन के अन्य तरीके क्या हैं?

  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (MCB): इसमें निम्न-स्तर के समुद्री बादलों (समुद्री स्ट्रेटोक्यूम्यलस) में बारीक समुद्री जल की बूंदों का छिड़काव किया जाता है, जिससे बादल संघनन नाभिक के रूप में कार्य करके उनकी परावर्तकता एवं स्थायित्व को बढ़ाया जाता है  
    • MCB को SAI की तुलना में अधिक स्थानीयकृत और प्रतिवर्ती माना जाता है, लेकिन यह तकनीकी रूप से अधिक चुनौतीपूर्ण एवं मौसम पर निर्भर भी है।
  • स्पेस सनशेड्स: इसमें ऑर्बिट में या लैग्रेंज पॉइंट 1 (वह बिंदु, जहाँ पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल आपस में संतुलित होते हैं) पर बड़े दर्पण या स्क्रीन लगाए जाते हैं, जो आने वाली सौर विकिरण को रोकते या मोड़ते हैं, जिससे पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाली सौर ऊर्जा कम हो जाती है। 
  • सिरस क्लाउड थिनिंग (CCT): CCT का उद्देश्य उच्च-ऊँचाई वाले सिरस बादलों को संशोधित करके वैश्विक तापमान वृद्धि को कम करना है, क्योंकि ये बादल अपनी उच्च हिम सामग्री के कारण गर्मी को रोकते हैं।
    • CCT बिस्मथ ट्राइआयोडाइड जैसे बर्फ के कणों को इंजेक्ट करता है, ताकि हिम कणों का आकार बढ़ सके, जिससे सिरस बादल कम स्थायी बन जाते हैं, गर्मी का निकास बढ़ जाता है और हिम कणों के तेज़ी से गिरने से उनका ताप बढ़ाने वाला प्रभाव कम हो जाता है।
  • डायमंड डस्ट का छिड़काव: इसमें स्ट्रैटोस्फ़ीयर में सिंथेटिक नैनोडायमंड (1–100 नैनोमीटर) छिड़कने का सुझाव दिया गया है।
    • यह अत्यधिक परावर्तक और रासायनिक रूप से निष्क्रिय होते हैं, जो सौर विकिरण को परावर्तित कर पृथ्वी की गर्मी अवशोषण को कम करते हैं तथा  ग्रह को ठंडा करते हैं।

Geoengineering

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: वायु प्रदूषण कम करने हेतु कृत्रिम वर्षा कराने के तरीके में किनका प्रयोग होता है? (2025)

(a) सिल्वर आयोडाइड और पोटैशियम आयोडाइड 
(b) सिल्वर नाइट्रेट और पोटैशियम आयोडाइड 
(c) सिल्वर आयोडाइड और पोटैशियम नाइट्रेट 
(d) सिल्वर नाइट्रेट और पोटैशियम क्लोराइड

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में, कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019)

(a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये
(b) उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बारंबारता और तीव्रता को कम करने के लिये
(c) पृथ्वी पर सौर पवनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये
(d) भूमंडलीय तापन को कम करने के लिये

उत्तर: (d)

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