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तारकीय लंबन

  • 08 Sep 2025
  • 12 min read

स्रोत: द हिंदू 

खगोलविदों ने तारकीय लंबन/स्टेलर पैरालैक्स का उपयोग करते हुए एक अभिनव तकनीक का प्रदर्शन किया है, जिसके माध्यम से अंतरिक्ष यान गहरे अंतरिक्ष में पृथ्वी-आधारित संकेतों (Beacons) पर निर्भर हुए बिना नेविगेशन कर सकते हैं। 

  • तारकीय लंबन: जैसे-जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है, किसी तारे की स्थिति अन्य तारों के सापेक्ष बदलती हुई नजर आ सकती है। इसका कारण यह है कि हर छह महीने में पृथ्वी सूर्य के दोनों विपरीत किनारों पर होती है, जिससे हमें दो अलग-अलग पर्यवेक्षण बिंदु मिलते हैं। 
    • न्यू होराइज़न्स अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी से 7 अरब किलोमीटर की दूरी से प्रोक्सिमा सेंटौरी (जो 4.2 प्रकाश वर्ष दूर है) और वोल्फ 359 (जो 7.9 प्रकाश वर्ष दूर है) का अवलोकन किया। 
  • अन्य अंतरिक्ष नेविगेशन विधियाँ: 
    • स्टेलर एस्ट्रोमेट्रिक नेविगेशन: यह तकनीक दो तारों के बीच के कोणीय अंतर को मापकर, तारों और विशेष सापेक्षता के सिद्धांत का उपयोग करते हुए, अंतरिक्ष यान की त्रि-आयामी स्थिति तथा वेग का अनुमान लगाती है। 
    • पल्सर नेविगेशन: यह तेज़ी से घूमने वाले न्यूट्रॉन तारे (पल्सर) का उपयोग करता है, जो अंतरिक्ष में लैंप की तरह कार्य करते हैं, ताकि रास्ता दिखाया जा सके। 
  • नासा ने वर्ष 2006 में न्यू होराइज़न्स अंतरिक्ष यान लॉन्च किया था ताकि बौना ग्रह प्लूटो, उसके चंद्रमा और कुइपर बेल्ट में मौजूद वस्तुओं का अध्ययन किया जा सके। कुइपर बेल्ट सौरमंडल के बाहरी किनारे पर बर्फीले चट्टानों और धूल का एक डिस्क है। 

Solar_System

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