रैपिड फायर
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर
- 08 Sep 2025
- 18 min read
नौसेना प्रमुख ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex- NMHC) का दौरा किया।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर
- परिचय: यह लोथल, गुजरात में एक महत्त्वाकांक्षी सांस्कृतिक और पर्यटन परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत की समृद्ध और विविध 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने और विश्व में सबसे बड़ा समुद्री विरासत परिसर स्थापित करना है।
- प्रमुख परियोजनाओं में विश्व स्तरीय दीपस्तंभ संग्रहालय तटीय राज्य मंडप और समुद्री थीम पर आधारित इको-रिसॉर्ट शामिल हैं।
- विकास एवं वित्तपोषण: भारत के सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) का विकास कर रहा है, तथा इसका दीपस्तंभ व दीपपोत महानिदेशालय (DGLL) विश्व के सबसे ऊँचे दीपस्तंभ संग्रहालय का वित्तपोषण कर रहा है।
लोथल
- यह हड़प्पा सभ्यता के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक है, जो गुजरात के भाल क्षेत्र में, खंभात की खाड़ी के पास भोगावो और साबरमती नदियों के बीच स्थित है।
- गुजराती में लोथल का अर्थ है “मृतकों का टीला”, जो सिंधी में मोहनजोदड़ो के समान है।
- इस स्थल की खोज वर्ष 1954 में एस.आर. राव ने की थी और इसे अप्रैल 2014 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
- महत्व: यह विश्व की सबसे पुराने ज्ञात बंदरगाह (डॉक) के लिये प्रसिद्ध है, जो शहर को साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ती थी।
- यह स्थल मनकों (मोतियों) की कार्यशालाओं के लिये भी प्रसिद्ध था और लगभग 4,000 वर्ष पूर्व मेसोपोटामिया और मिस्र के साथ समुद्री व्यापारिक संबंधों हेतु जाना जाता है।
क्या आप जानते हैं?
- सबसे प्राचीन मानव निर्मित डॉकयार्ड की खोज वर्ष 1957 में गुजरात के लोथल में खुदाई के दौरान हुई थी।
- पुरातात्विक प्रमाणों से यह सिद्ध हुआ है कि हड़प्पावासी समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से भारतीय तटरेखा से कहीं आगे तक जुड़े हुए थे।
- पश्चिम में मेसोपोटामिया और मिस्र से लेकर पूर्व में जापान तक के साथ उनके संबंधों के प्रमाण मिले हैं।
- संक्षेप में भारत का समुद्री इतिहास 4500 वर्षों से भी अधिक पुराना है।
और पढ़ें: लोथल: दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात बंदरगाह |