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शिपकी ला दर्रा

  • 17 Jun 2025
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

भारत-चीन सीमा पर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले में शिपकी ला दर्रा (3,930 मीटर) को घरेलू पर्यटकों के लिये खोल दिया गया है, ताकि सीमावर्ती अर्थव्यवस्था, रणनीतिक संपर्क और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

शिपकी ला दर्रा

  • शिपकी ला एक मोटर वाहन योग्य पर्वतीय दर्रा है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक सीमा चौकी को चिह्नित करता है और यह भारत के सबसे ऊँचे मोटर वाहन योग्य दर्रों में से एक है।
  • सतलुज नदी (तिब्बत में लांगकेन ज़ांग्बो) इसी दर्रे से होकर भारत में प्रवेश करती है, जो ऐतिहासिक रूप से एक प्रमुख भारत-तिब्बत व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करता था।
  • इस दर्रे को पहले पेमा ला या साझा द्वार (Shared Gate) के नाम से जाना जाता था, जिसे वर्ष 1962 के बाद भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने शिपकी ला नाम दिया।
  • यह 5वीं शताब्दी से एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग रहा है, जो वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध, डोकलाम गतिरोध और कोविड-19 महामारी के बाद बंद हो गया।
  • शिपकी ला भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का माध्यम था, जिसके अंतर्गत ऊन, पशुधन, याक उत्पाद, धार्मिक वस्तुएँ तथा खनिज जैसे आयात होते थे, जबकि अनाज, मसाले, तंबाकू, लकड़ी एवं धातु के औज़ार जैसे निर्यात किये जाते थे।

पहाड़ी दर्रे

  • दर्रे पर्वत शृंखलाओं में प्राकृतिक रूप से बने निम्न बिंदु या संकरे मार्ग होते हैं, जो सामान्यतः कठिन भू-भाग में लोगों, वस्तुओं और सेनाओं की आवाजाही को सुगम बनाते हैं।
  • ये दर्रे अपक्षय, हिमनदीकरण या टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण बनते हैं और दो घाटियों या क्षेत्रों को जोड़ने का कार्य करते हैं। ऐतिहासिक रूप से इनका उपयोग व्यापार, प्रवास और सैन्य अभियानों में होता रहा है, जिससे इनका रणनीतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक महत्त्व स्थापित होता है।

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