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इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स

  • 17 Jun 2025
  • 4 min read

स्रोत: बीएल

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने विद्युत् मूल्य जोखिम प्रबंधन को बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा (RE) के एकीकरण का समर्थन करने के लिये मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स के शुभारंभ को मंज़ूरी दे दी है।

  • बिजली डेरिवेटिव्स ऐसे वित्तीय उपकरण हैं, जो उत्पादन कंपनियों (Gencos), वितरण कंपनियों (Discoms) और बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं को विद्युत् की कीमतों में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे वे भविष्य की विद्युत् आपूर्ति का व्यापार करके जोखिम को कम कर सकते हैं।
    • इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स, ऑप्शन्स, और स्वैप्स व्यक्तियों को जोखिमों से बचाने, आपूर्ति की निश्चितता सुनिश्चित करने और मांग पूर्वानुमान को सुधारने में सक्षम बनाएंगे—जो ऊर्जा संचयन प्रणालियों (ESS) की तैनाती के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
    • यह तरलता को बढ़ाएगा, हेजर्स, सट्टेबाजों, और निवेशकों की भागीदारी को सक्षम करेगा, तथा वित्तीय निपटान को भौतिक आपूर्ति से अलग करेगा—जिससे अल्पकालिक विद्युत बाज़ार अधिक मज़बूत होगा।
  • यह कदम भारत के व्यापक स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को साधने में सहायक होगा—जिसके तहत वर्ष 2030 तक स्थापित क्षमता का 50% (500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन) नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करना और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करना है, जिसके लिये वर्ष 2047 तक प्रतिवर्ष 250 अरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।

डेरिवेटिव्स ऐसे अनुबंध होते हैं जिनका मूल्य किसी आधारभूत परिसंपत्ति या सूचकांक पर निर्भर करता है, जैसे मुद्राएँ, स्टॉक या कमोडिटीज़। इनमें फॉरवर्ड्स, फ्यूचर्स और ऑप्शन्स जैसे वित्तीय उपकरण शामिल होते हैं।

  • फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट एक कानूनी समझौता होता है जो खरीदार और विक्रेता को किसी निर्धारित भविष्य की तिथि पर एक पूर्वनिर्धारित मूल्य पर संपत्ति की खरीद-बिक्री के लिये बाध्य करता है, चाहे समाप्ति पर बाज़ार मूल्य कुछ भी हो।
  • एक ऑप्शन धारक को एक निर्धारित मूल्य पर किसी निश्चित तिथि से पहले या उस तिथि पर किसी परिसंपत्ति को खरीदने (कॉल) या बेचने (पुट) का अधिकार प्रदान करता है, न कि दायित्व - जिसके बदले प्रीमियम का भुगतान किया जाता है।
  • स्वैप एक निजी समझौता होता है जिसमें निर्धारित अवधि में नकदी प्रवाह या वित्तीय साधनों का आदान-प्रदान किया जाता है। उदाहरण के लिये - ब्याज दर स्वैप, मुद्रा स्वैप, या कमोडिटी/विद्युत स्वैप

और पढ़ें: ऑप्शन राइटिंग

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