प्रारंभिक परीक्षा
"विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मत्स्य पालन के टिकाऊ उपयोग" हेतु नियम अधिसूचित
- 11 Nov 2025
- 48 min read
भारत ने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मत्स्य पालन के सतत् दोहन के लिये नियम अधिसूचित किये हैं। यह प्रमुख कदम भारत की ब्लू इकोनॉमी का समर्थन करता है और एक सतत् गहरे समुद्र में मत्स्य पालन ढाँचे के निर्माण के लिये केंद्रीय बजट 2025-26 की घोषणा को पूरा करता है।
- EEZ नियमों का उद्देश्य भारत के कम उपयोग वाले गहरे समुद्री संसाधनों, विशेषकर टूना मछली को मुक्त करना है। अब तक, श्रीलंका, मालदीव, इंडोनेशिया और ईरान की नौकाओं ने भारतीय महासागर में टूना मछली का अधिकांश शिकार किया है, जबकि भारतीय नौकाएँ तटवर्ती जल तक ही सीमित हैं।
EEZ में मत्स्य पालन के सतत् उपयोग के नियम क्या हैं?
- सहकारी समितियों और समुदाय-नेतृत्व वाले मॉडलों को सशक्त बनाना: नियमों में मछुआरा सहकारी समितियों और मछली किसान उत्पादक संगठनों (FFPO) को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने तथा आधुनिक नौकाओं का प्रबंधन करने के लिये प्राथमिकता दी गई है।
- वे रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निगरानी किये गए प्रक्रियाओं के तहत समुद्र के बीच में ट्रांस-शिपमेंट को संभव बनाने के लिये मदर-चाइल्ड वेसल मॉडल को भी बढ़ावा देते हैं।
- बजट 2025-26 में भारत को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली और जलीय कृषि उत्पादक बताया गया है, जिसका समुद्री खाद्य निर्यात लगभग 60,000 करोड़ रुपये है।
- सहकारी समितियों को प्राथमिकता देने, मूल्य संवर्द्धन तथा मज़बूत ट्रेसेबिलिटी एवं प्रमाणन से उच्च मूल्य वाले निर्यात को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- सतत् मत्स्य पालन और समुद्री कृषि को बढ़ावा देना: ये नियम LED-लाइट फिशिंग, पेयर ट्रॉलिंग और बुल ट्रॉलिंग जैसी हानिकारक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाते हैं।
- उन्होंने मछलियों के लिये न्यूनतम कानूनी आकार सीमा निर्धारित की है तथा जैवविविधता की रक्षा करने तथा घटते स्टॉक के पुनर्निर्माण के लिये राज्यों के साथ मत्स्य प्रबंधन योजनाओं को अनिवार्य बनाया है।
- ये नियम वैकल्पिक आजीविका उपलब्ध कराने और तटवर्ती क्षेत्रों में मछली पकड़ने के दबाव को कम करने के लिये समुद्री पिंजरा पालन तथा समुद्री शैवाल की खेती जैसी समुद्री कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
- डिजिटल एक्सेस पास मैकेनिज़्म: EEZ नियमों के तहत, यांत्रिक और बड़े आकार की मोटर चालित नौकाओं के लिये एक्सेस पास (Access Pass) आवश्यक है। इसे ऑनलाइन ReALCRaft पोर्टल के माध्यम से निशुल्क प्राप्त किया जा सकता है।
- मोटर चालित या गैर-मोटर चालित नावों का उपयोग करने वाले पारंपरिक और छोटे पैमाने के मछुआरों को छूट दी गई है। विदेशी जहाज़ों को पास प्राप्त करने से रोक दिया गया है।
- विनियामक सुधार: भारतीय EEZ में सन्निहित क्षेत्र (प्रादेशिक समुद्र से परे आधार रेखा से 24 समुद्री मील तक फैला एक समुद्री क्षेत्र) से परे पकड़ी गई मछली को सीमा शुल्क और राजस्व मानदंडों के तहत भारतीय मूल के रूप में माना जाता है।
- इससे ऐसी पकड़ी गई मछलियों को भारतीय बंदरगाहों पर उतारे जाने पर आयात के रूप में वर्गीकृत होने से रोका जा सकेगा तथा निर्यात लेखांकन को सुगम बनाया जा सकेगा।
- सुरक्षा उपाय: ये नियम अनिवार्य ट्रांसपोंडर और QR कोड वाले आधार कार्ड/फिशर ID कार्ड के माध्यम से सुरक्षा में सुधार करते हैं।
- सुरक्षित नेविगेशन और ट्रांसपोंडर उपयोग के लिये ReALCRaft को नभमित्र एप्लीकेशन के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे तटरक्षक बल तथा नौसेना को तटीय सुरक्षा मज़बूत करने में मदद मिलती है।
- छोटे स्तर के मछुआरों की सुरक्षा के लिये इन नियमों में राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने का प्रावधान है, जिसका उद्देश्य EEZ क्षेत्र में होने वाली अवैध, अपंजीकृत और अनियमित (IUU) मत्स्य पालन की गतिविधियों पर रोक लगाना है।
ReALCRaft पोर्टल
- यह मत्स्य पालन विभाग का एक राष्ट्रीय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो नौकाओं का पंजीकरण, लाइसेंसिंग, स्वामित्व हस्तांतरण और अन्य संबंधित सेवाएँ प्रदान करता है। यह प्लेटफॉर्म मछुआरों तथा तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये व्यवसाय करने की सुगमता को बेहतर बनाता है।
- नवंबर, 2025 तक इस पोर्टल पर लगभग 2.38 लाख नौकाएँ पंजीकृत की गई हैं।
- ReALCRaft को अब समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) और निर्यात संवर्द्धन परिषद के साथ एकीकृत किया जा रहा है, ताकि कैच तथा हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किये जा सकें। इससे ट्रेसबिलिटी, स्वच्छता अनुपालन और उच्च-मूल्य वाले समुद्री उत्पादों के निर्यात के लिये ईको-लेबलिंग सुनिश्चित हो सकेगी।
विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) क्या है?
- परिचय: “EEZ” (विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र) समुद्र का वह क्षेत्र होता है जो आमतौर पर किसी देश के प्रादेशिक समुद्री क्षेत्र (Territorial Sea) से आगे 200 नॉटिकल मील (लगभग 230 मील) तक फैला होता है। इस क्षेत्र के भीतर तटीय राष्ट्र को जीवित (जैसे मछलियाँ) और अजीवित (जैसे- तेल, गैस, खनिज) दोनों प्रकार के समुद्री संसाधनों पर अधिकार तथा न्यायिक अधिकार प्राप्त होते है।
- 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) के तहत अपनाया गया EEZ, किसी तटीय राज्य को अपने तट से 200 समुद्री मील तक प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन के लिये संप्रभु अधिकार प्रदान करता है।
- यह कृत्रिम संरचनाओं, समुद्री अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण पर भी अधिकार क्षेत्र प्रदान करता है।
- 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) के तहत अपनाया गया EEZ, किसी तटीय राज्य को अपने तट से 200 समुद्री मील तक प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन के लिये संप्रभु अधिकार प्रदान करता है।
- भारत और EEZ: भारत का विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) लगभग 23 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो विश्व के सबसे बड़े EEZ क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र भारत की लगभग 11,099 किलोमीटर लंबी तटरेखा से 200 समुद्री मील तक विस्तृत है।
- यह विशाल समुद्री क्षेत्र 13 तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 50 लाख से अधिक मछुआरों की आजीविका का समर्थन करता है, समुद्री खाद्य निर्यात में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है तथा देश की ब्लू इकोनॉमी को मज़बूत करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
- किसी तटीय राज्य को अपने प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई को आधार-रेखा से मापित, 12 समुद्री मील से अनाधिक सीमा तक अभिसमय के अनुरूप सुस्थापित करने का अधिकार है।
- सभी राज्यों, चाहे वे तटीय हों अथवा भूमि-बद्ध भाग हों, के जहाज़ों को प्रादेशिक समुद्र से होकर बिना किसी रोकटोक यात्रा का अधिकार होता है।
- अनन्य आर्थिक क्षेत्र का विस्तार उस आधार रेखा से से 200 समुद्री मील से अधिक नहीं होगा, जहाँ से प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
