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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 अप्रैल, 2021

  • 27 Apr 2021
  • 8 min read

‘सिंगल क्रिस्टल ब्लेड’ तकनीक

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में ‘सिंगल क्रिस्टल ब्लेड’ तकनीक विकसित करने की घोषणा की है, जिसे संगठन के लिये एक महत्त्वपूर्ण तकनीकी सफलता माना जा रहा है। ज्ञात हो कि विश्व में कुछ चुनिंदा देशों जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांँस और रूस आदि के पास ही इस प्रकार की ‘सिंगल क्रिस्टल ब्लेड’ तकनीक को डिज़ाइन करने और उनका विनिर्माण करने की क्षमता है। इस संबंध में DRDO द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, यह तकनीक एयरो इंजन का एक महत्त्वपूर्ण और अनिवार्य घटक है, जिस पर संगठन बीते लंबे समय से काम कर रहा है। सामरिक और रक्षा कार्यों में उपयोग किये जाने वाले हेलीकाप्टरों को कठिन परिस्थितियों में विश्वसनीय संचालन के लिये छोटे, हल्के लेकिन शक्तिशाली एयरो-इंजन की आवश्यकता होती है और ऐसे में इस क्षमता को प्राप्त करने के लिये जटिल आकार और ज्यामिति वाली सुपर-मिश्र धातुओं से निर्मित अत्याधुनिक ‘एकल क्रिस्टल ब्लेड’ का उपयोग किया जाता है, अत्यधिक तापमान में भी कार्य करने में सक्षम होते हैं। प्रारंभिक चरण में ‘स्वदेशी हेलीकॉप्टर विकास कार्यक्रम’ के हिस्से के रूप 60 सिंगल क्रिस्टल ब्लेडोंं की आपूर्ति हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को की गई है। ज्ञात हो कि इस तकनीक के विकास से भारत में प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण के लक्ष्य को बल मिलेगा।

गाम्बिया में ट्रेकोमा की समाप्ति

गाम्बिया ने, दुनिया भर में अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक, ट्रेकोमा (Trachoma) को समाप्त कर एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य उपलब्धि हासिल की है। इसी के साथ ही गाम्बिया इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाला दूसरा अफ्रीकी देश बन गया है, इससे पूर्व वर्ष 2018 में घाना को ट्रेकोमा मुक्त घोषित किया गया था। ट्रेकोमा आंखों का एक दीर्घकालिक संक्रमण रोग है, जिसे अंधेपन का सबसे अहम कारण माना जाता है। यह खराब पर्यावरण और निजी स्तर पर स्वच्छता के अभाव तथा पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण होने वाला एक रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, ट्रेकोमा उन रोगों में से एक है, जो दुनिया भर के गरीब और वंचित समूहों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। यह आंखों की पलकों के नीचे की झिल्ली को प्रभावित करता है। बार-बार संक्रमण होने पर आंखों की पलकों पर घाव होने लगते हैं। इससे कोर्निया को नुकसान पहुँचता है और अंधापन होने का खतरा पैदा हो जाता है। यदि सर्जरी के माध्यम से इस रोग का उपचार नहीं किया जाता है, तो इससे दृष्टिहीनता और अंधापन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। ज्ञात हो कि 2000 के दशक के बाद से वैश्विक स्तर पर ट्रेकोमा संक्रमण के मामलों में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है, हालाँकि यह अभी भी विश्व के 40 से अधिक देशों में मौजूद है, जिसमें अधिकांशतः अफ्रीकी देश शामिल हैं। 

93वें अकादमी पुरस्‍कार

हाल ही में 93वें अकादमी पुरस्कारों अथवा ऑस्कर (Oscars) पुरस्कारों की घोषणा की गई है। ज्ञात हो कि इससे पूर्व कोरोना महामारी के मद्देनज़र फरवरी, 2021 में आयोजित होने वाले 93वें अकादमी पुरस्कारों को दो माह के लिये स्थगित कर दिया गया था। वर्ष 2021 के लिये चीन की फिल्म निर्देशक ‘क्लो झाओ’ ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता है, जिससे वह यह पुरस्कार जीतने वाली दूसरी महिला बन गई हैं। इसके अलावा ‘क्लो झाओ’ की फिल्म ‘नोमैडलैंड’ ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी जीता है, जबकि फिल्म की मुख्य अभिनेत्री ‘फ्रांसिस मैकडोरमैंड’ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में चुना गया है। वहीं प्रसिद्ध ब्रिटिश अभिनेता ‘एंथनी हॉपकिंस’ को उनकी फिल्म ‘द फादर’ के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में चुना गया है। अकादमी पुरस्‍कार अथवा ऑस्कर, कैलिफोर्निया स्थित ‘एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज़’ द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किये जाते हैं। यह पुरस्कार फिल्म उद्योग में तमाम उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिये प्रदान किया जाता है। अकादमी पुरस्कार पहली बार वर्ष 1929 में प्रदान किये गए थे और विजेताओं को सोने की एक प्रतिमा प्रदान की गई थी, जिसे आमतौर पर ‘ऑस्कर’ कहा जाता है। 

पंडित राजन मिश्र

25 अप्रैल, 2021 को सुप्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक पंडित राजन मिश्र का कोरोना संक्रमण के चलते 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले पंडित राजन मिश्र हिंदुस्तानी संगीत के एक प्रमुख दिग्गज थे, जिन्होंने अपने भाई साजन मिश्र के साथ दशकों तक भारतीय और वैश्विक दर्शकों के समक्ष संगीत गायन किया। उनकी रचनात्मकता और कला में उनके योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक ख्याति प्राप्त हुई और उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें पद्म भूषण (वर्ष 2007) और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (वर्ष 1998) शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें संगीत भूषण, गंधर्व राष्ट्रीय पुरस्कार और राष्ट्रीय तानसेन सम्मान आदि से भी सम्मानित किया गया था। पंडित राजन मिश्र और भाई पंडित साजन मिश्र को भारतीय शास्त्रीय संगीत की ‘ख्याल गायकी’ शैली के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक माना जाता है।

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