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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 नवंबर, 2022

  • 22 Nov 2022
  • 5 min read

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये वैश्विक साझेदारी समूह

भारत ने 21 नवंबर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हेतु वैश्विक साझेदारी समूह की अध्‍यक्षता ग्रहण की। यह समूह मानव केंद्रित विकास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दायित्त्वपूर्ण उपयोग में सहायता के लिये एक अंतर्राष्‍ट्रीय पहल है। इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने टोक्यो में इस समूह की बैठक में वर्चुअल माध्‍यम से भाग लिया। इस दौरान भारत ने फ्राँस से प्रतीकात्‍मक रूप से समूह की अध्‍यक्षता ग्रहण की। भारत ने इससे पूर्व इंडोनेशिया के बाली में जी-20 संगठन की अध्‍यक्षता प्राप्‍त की थी। इसके अंतर्गत भारत ने समूह के सदस्‍य देशों के साथ विश्‍व भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सदुपयोग के लिये कार्ययोजना बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता जाहिर की। भारत आधुनिक साइबर कानूनों और कार्ययोजना के लिये एक व्‍यवस्‍था तैयार कर रहा है जो पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्‍वास तथा जबावदेही के सिद्धातों द्वारा संचालित होगी।

क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान 

केंद्रीय आयुष, पत्‍तन, नौवहन और जलमार्ग मंत्री ने 20 नवंबर, 2022 को सिलचर में क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (RRIUM) के अत्याधुनिक परिसर का उद्घाटन किया। अभी हाल में खोला गया यह संस्थान आयुष चिकित्‍सा प्रणालियों में से एक परंपरागत यूनानी चिकित्सा के बारे में पूर्वोत्तर में स्‍थापित पहला केंद्र है। 3.5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले इस नए परिसर का निर्माण 48 करोड़ रूपए की लागत से किया गया है। इस परिसर का विकास भारत सरकार के उद्यम-राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम (NPCC) द्वारा किया गया है। इसे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (CCRUM) को सौंपा गया है।उन्‍होंने यह भी बताया कि यूनानी पद्धति न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक दवा पद्धतियों में से एक है। यूनानी चिकित्सा पर यह अत्याधुनिक संस्थान अब सिलचर से काम कर रहा है ताकि लोगों को अच्‍छा उपचार प्राप्त करने और जीवन की गुणवत्ता को फिर से हासिल करने में मदद मिले। यूनानी चिकित्सा का मूल विश्वास इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि मानव शरीर की अपनी ही स्वयं की उपचार शक्ति होती है जिसे बढ़ावा देने की ज़रूरत पड़ती है। इस  चिकित्‍सा प्रणाली का मुख्‍य लाभ यह है कि यह हर्बल दवाइयों का उपयोग करके रोगों की रोकथाम और उपचार में मदद करती है।  

रेज़ांग ला 

हाल ही में 18 नवंबर, 2022 को रेज़ांग ला की लड़ाई की 60वीं वर्षगाँठ मनाई गई। चुशुल घाटी के दक्षिण-पूर्वी रिज पर बर्फीले पहाड़ की चोटी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लड़ी गई ‘रेज़ांग ला’ की लड़ाई को अक्सर 1962 में युद्ध के दौरान महान भारतीय ताकत के प्रदर्शन के रूप में याद किया जाता है। 13 कुमाऊँ  की चार्ली कंपनी के सैनिकों को 18 नवंबर, 1962 की उस सर्द रात में ‘लास्ट मैन, लास्ट राउंड’ तक लड़ने के लिये जिस तरह की ताकत की ज़रूरत थी, उसका उन्होंने प्रदर्शन किया था। इस कंपनी के 120 सैनिकों और अधिकारियों में से 114 की मौत हो गई फिर भी वे दुश्मन के 1000 से ज़्यादा सैनिकों को मार गिराने में कामयाब हुए थे। रेज़ांग ला, भारत के लद्दाख और चीनी प्रशासित स्पैंगुर (Spanggur Lake) झील बेसिन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक पहाड़ी दर्रा है। यह चुशूल घाटी के पूर्वी वाटरशेड रिज पर स्थित है जिस पर चीन दावा कर रहा है। यह 16,000 फुट की ऊँचाई पर स्थित रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण चुशूल गाँव और स्पैंगुर झील के आसपास के ऊँचे पहाड़ों के बीच एक संकरी खाई है, जो भारतीय और चीनी दोनों क्षेत्रों में फैली हुई है। 

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