दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 जून, 2022

  • 20 Jun 2022
  • 8 min read

बालिका पंचायत पहल 

भारत की पहली बालिका पंचायत, जिसे “बालिका पंचायत” कहा जाता है, गुजरात के कच्छ ज़िले के कई गाँवों में शुरू की गई है। बालिका पंचायत पहल लड़कियों के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ राजनीति में लड़कियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। वर्तमान में यह पहल गुजरात के कच्छ ज़िले के कुनारिया, मोटागुआ, मस्का और वडसर गाँवों में शुरू की गई है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूरे भारत में बालिका पंचायत शुरू करने की योजना बना रहा है। 20 वर्षीय उर्मी अहीर को बालिका पंचायत का सरपंच बनाया गया है। बालिका पंचायत का सदस्य ग्राम पंचायत की तरह ही मनोनीत होता है। बालिका पंचायत का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देना है। यह समाज से बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने का भी प्रयास करती है। इसका उद्देश्य पंचायत में निर्णय लेने की प्रक्रिया में लड़कियों का नामांकन कराना है। यह पहल बचपन से ही लड़कियों को राजनीति में सक्रिय बनाने का प्रयास करती है।  

''महिला शांति और सुरक्षा सेमीनार'' 

भारतीय महिला सैनिकों ने मंगोलिया के उलनबटोर में चार दिवसीय ''महिला शांति और सुरक्षा सेमीनार'' में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत 16 जून, 2022 को हुई थी और इसे मंगोलिया के राष्ट्रपति उखना खुरेलसुख के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया है। उखना खुरेलसुख ने उद्घाटन भाषण में कहा कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देगा। केंद्रीय कानून और न्‍याय मंत्री किरेन रिजिजू ने 17 जून, 2022 को भारतीय समुदाय से बातचीत की। वे भारत से भगवान बुद्ध से संबंधित चार पवित्र अवशेषों को लेकर 13 जून, 2022 को उलनबटोर पहुंँचे थे। इन अवशेषों को 11 दिन के लिये आयोजित प्रदर्शनी में रखा गया है। 

विश्व शरणार्थी दिवस 

दुनिया भर में शरणार्थियों को सम्मानित करने के लिये 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है। पहली बार विश्व शरणार्थी दिवस 20 जून, 2001 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, आतंक, युद्ध और संघर्ष से बचने के लिये हर 1 मिनट में 20 लोग अपने घर से भागने को मज़बूर हैं। साल 2021 के अंत तक कुल 8.9 करोड़ लोग अपने गृह देश के भीतर या बाहर बलपूर्वक निर्वासन झेलना पड़ा है। इनमें से 5.3 करोड़ आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं और वहीं 2.7 करोड़ लोग घोषित रुप से शरणार्थी (Refugee) का दर्जा पा चुके हैं। इसके अलावा करीब 46 लाख लोग (Asylum Seeker) शरण चाहते हैं। आज दुनिया में कई शरणार्थी ऐसे भी हैं जिन्हें प्राकृतिक आपदाओं जैसे सुनामी, भूकंप, बाढ़ आदि के कारण अपना घर छोड़ने के लिये मज़बूर होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र ने शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित वर्ष 1951 के अभिसमय के अनुच्छेद 1 में इस शब्द को परिभाषित किया है। एक शरणार्थी वह है जो नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता, या राजनीतिक राय के कारण उसे प्रताड़ित किये जाने के डर के कारण अपने मूल देश में लौटने में असमर्थ या अनिच्छुक हो। 

किंग हमद बिन ईसा अल-खलीफा पुरस्कार 

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान पीएम ई-विद्या नामक पहल को आईसीटी का उपयोग करने के लिये यूनेस्को की मान्यता प्रदान की गई है। 17 मई, 2020 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में पीएम ई-विद्या की शुरुआत की गई थीजो डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकीकृत करता है ताकि बच्चों को प्रौद्योगिकी का उपयोग करके शिक्षा प्रदान करने और सीखने के नुकसान को कम करने के लिये मल्टी-मोड एक्सेस को सक्षम किया जा सके। केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (CIET), स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DOSEL), शिक्षा मंत्रालय (MOE), भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की एक घटक इकाई को यूनेस्को के वर्ष 2021 के लिये शिक्षा में आईसीटी के उपयोग के लिये ‘किंग हमद बिन ईसा अल-खलीफा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार "सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा और शिक्षा पर इसके लक्ष्य-4 के अनुरूप, सभी के लिये शैक्षिक और आजीवन सीखने के अवसरों का विस्तार करने के लिये नई तकनीकों का लाभ उठाने में नवीन दृष्टिकोणों को मान्यता प्रदान करता है”। बहरीन साम्राज्य के समर्थन से वर्ष 2005 में स्थापित यह पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को पुरस्कृत करता है जो उत्कृष्ट परियोजनाओं को लागू कर रहे हैं और डिजिटल युग में सीखने, शिक्षण और समग्र शैक्षिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकियों के रचनात्मक उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक मंडल प्रति वर्ष दो सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं का चयन करती है। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को यूनेस्को मुख्यालय, पेरिस में एक समारोह के दौरान 25,000 अमेरिकी डॉलर, एक पदक और एक डिप्लोमा प्रदान किया जाता है, यह समारोह इस वर्ष 24 जून, 2022 को आयोजित किया जाएगा।। 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow