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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 जून, 2022

  • 18 Jun 2022
  • 6 min read

ऑटिस्टिक प्राइड डे

प्रतिवर्ष 18 जून को विश्व स्तर पर 'ऑटिस्टिक प्राइड डे' के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’ नामक विकार से पीड़ित लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों को प्रायः मानवाधिकारों के उल्लंघन, भेदभाव और तमाम तरह की गलत धारणाओं का सामना करना पड़ता है। ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ का लक्ष्य इसी प्रकार के भेदभाव को समाप्त कर ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ पहली बार वर्ष 2005 में ‘एस्पीज़ फॉर फ्रीडम’ नामक नागरिक संगठन द्वारा मनाया गया था। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) सामाजिक विकृतियों, संवाद में परेशानी या प्रतिबंध, व्यवहार का दोहराव और व्यवहार का स्टिरियोटाइप पैटर्न द्वारा पहचाना जाने वाला तंत्रिका विकास संबंधी जटिल विकार है। नीले रंग को ऑटिज़्म का प्रतीक माना गया है। इस विकार के लक्षण जन्म या बाल्यावस्था (पहले तीन वर्षों) में ही नज़र आने लगते हैं। यह विकार व्यक्ति की सामाजिक कुशलता एवं संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। यह जीवनपर्यंत बना रहने वाला विकार है। इस विकार से पीड़ित बच्चों का विकास अन्य बच्चों से अलग होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, विश्व स्तर पर प्रत्येक 160 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एक ऐसे पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण पर ज़ोर देता है, जो ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों का समर्थन करता हो।

श्तेफानिया मॉरेचिनानू

हाल ही में गूगल ने रोमानियाई भौतिक विज्ञानी श्तेफानिया मॉरेचिनानू (Ștefania Mărăcineanu) का 140वाँ जन्मदिन डूडल के साथ मनाया। श्तेफानिया मॉरेचिनानू रेडियोधर्मिता की खोज और अनुसंधान में अग्रणी महिलाओं में से एक थीं। श्तेफानिया मॉरेचिनानू (Ștefania Mărăcineanu) का जन्म 18 जून, 1882 को रोमानिया में हुआ था। उन्होंने 1910 में भौतिक और रासायनिक विज्ञान की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, बाद में उन्होंने बुखारेस्ट में सेंट्रल स्कूल फॉर गर्ल्स में एक शिक्षक के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया। वहाँ रहते हुए मॉरेचिनानू ने रोमानियाई विज्ञान मंत्रालय से छात्रवृत्ति अर्जित की। उन्होंने पेरिस में रेडियम संस्थान में स्नातक शोध करने का फैसला किया। भौतिक विज्ञानी मैरी क्यूरी के निर्देशन में रेडियम संस्थान तेज़ी से रेडियोधर्मिता के अध्ययन के लिये एक विश्वव्यापी केंद्र बन गया। मॉरेचिनानूु ने पोलोनियम पर अपनी पीएचडी थीसिस पर काम करना शुरू किया, एक ऐसा तत्त्व जिसे क्यूरी ने खोजा था। मॉरेचिनानू ने भौतिकी में अपनी पीएचडी पूरी करने के लिये पेरिस के सोरबोन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। मेडॉन में खगोलीय वेधशाला में चार साल तक काम करने के बाद वह रोमानिया लौट आई और रेडियोधर्मिता के अध्ययन के लिये अपनी मातृभूमि की पहली प्रयोगशाला की स्थापना की। मॉरेचिनानू ने अपना समय कृत्रिम बारिश पर शोध करने के लिये समर्पित किया, जिसमें उसके परिणामों का परीक्षण करने के लिये अल्जीरिया की यात्रा भी शामिल थी। उन्होंने भूकंप और वर्षा के बीच की कड़ी का भी अध्ययन किया, यह रिपोर्ट करने वाली पहली महिला बनीं कि भूकंप के कारण उपरिकेंद्र में रेडियोधर्मिता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उनका निधन 15 अगस्त, 1944 को हुआ था।

फीफा U-17 महिला विश्व कप

फीफा ने हाल ही में अंडर-17 महिला विश्व कप के कार्यक्रम की घोषणा की, इसका आयोजन भारत में किया जाना है। आधिकारिक ड्रा 24 जून, 2022 को होने वाला है। इसका सेमीफाइनल गोवा के पंडित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में होगा, जबकि फाइनल मैच नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में 30 अक्टूबर, 2022 को खेला जाएगा। यह 17 साल से कम उम्र की महिला खिलाड़ियों के लिये आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट है जिसका आयोजन फीफा द्वारा किया जाता है। यह सम-संख्या वाले वर्षों में आयोजित किया जाता है और पहली बार वर्ष 2008 में खेला गया था। इसका वर्तमान चैंपियन स्पेन है, जिसने उरुग्वे में आयोजित वर्ष 2018 टूर्नामेंट में अपना पहला खिताब जीता था। वर्ष 2020 में विश्व कप को कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था, इसका आयोजन भारत में पांँच स्थानों पर होना था लेकिन नवंबर 2020 में फीफा ने टूर्नामेंट के 2020 संस्करण को रद्द कर दिया था।

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