प्रारंभिक परीक्षा
पादप किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) अधिनियम, 2001
- 14 Nov 2025
- 38 min read
चर्चा में क्यों?
भारत ने नई दिल्ली में पादप जीनोम संरक्षक पुरस्कार समारोह के साथ पादप किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) अधिनियम, 2001 की रजत जयंती और PPV&FRA के 21वें स्थापना दिवस को मनाया।
- यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को सम्मानित करता है जो आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पादपों और उनकी जंगली किस्मों की आनुवंशिक विविधता को संरक्षित और सुरक्षित रखते हैं।
पादप किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण अधिनियम, 2001 क्या है?
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत PPV&FRA अधिनियम, 2001, पादप किस्मों के संरक्षण के लिये एक अनूठी प्रणाली स्थापित करता है।
- यह अधिनियम वाणिज्यिक पादप प्रजनकों और कृषकों दोनों को कानूनी मान्यता प्रदान करता है तथा पादप आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण और सुधार को बढ़ावा देता है।
- यह भारत की TRIPS प्रतिबद्धताओं तथा नई पादप किस्मों के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ (UPOV कन्वेंशन) के अनुरूप है और देश की कृषि आवश्यकताओं को भी संबोधित करता है।
- अधिनियम के अंतर्गत अधिकार:
- प्रजनकों के अधिकार: प्रजनकों को संरक्षित किस्मों के उत्पादन, विक्रय, विपणन, वितरण, आयात या निर्यात के अनन्य अधिकार प्राप्त हैं। ये एजेंट या लाइसेंसधारी नियुक्त कर सकते हैं तथा उल्लंघन के लिये कानूनी कार्रवाई की मांग कर सकते हैं।
- शोधकर्त्ताओं के अधिकार: शोधकर्त्ता प्रयोगों के लिये या नई किस्मों को विकसित करने के लिये किसी भी पंजीकृत किस्म का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन बार-बार उपयोग के लिये पंजीकृत प्रजनक की पूर्व अनुमति आवश्यक है।
- कृषक के अधिकार: अधिनियम के तहत, कोई कृषक जिसने कोई नई किस्म विकसित की है, उसे पंजीकृत कराने तथा प्रजनक के समान संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार है।
- कृषक अपने कृषि उत्पादों, जिसमें बीज भी शामिल हैं, को बचाना, उपयोग करना, बोना, पुनः उपयोग करना, विनिमय करना, साझा करना या बेचना जारी रख सकते हैं। भले ही वह किस्म PPV&FR अधिनियम के तहत संरक्षित हो, लेकिन वह उसे ब्रांडेड बीज के रूप में नहीं बेच सकता है।
- कार्यान्वयन प्राधिकरण: पादप किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) अधिनियम के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार प्राथमिक निकाय हैं।
- महत्त्व: यह अधिनियम किसानों के लिये बीज संप्रभुता सुनिश्चित करते हुए कृषि नवाचार को बढ़ावा देता है।
- यह पारंपरिक ज्ञान और योगदान की रक्षा करता है और समुदायों द्वारा किये गए संरक्षण कार्यों को प्रोत्साहित करता है।
- साथ ही यह सार्वजनिक और निजी—दोनों प्रकार के पादप प्रजनन संस्थानों को सहयोग प्रदान करता है और खाद्य व आजीविका सुरक्षा से समझौता किये बिना भारत की वैश्विक बौद्धिक संपदा अधिकार मानकों के अनुरूपता को सुदृढ़ बनाता है।
पादप किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA)
- परिचय: PPV&FRA की औपचारिक रूप से स्थापना 11 नवंबर, 2005 को हुई थी। यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन PPV&FRA, 2001 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है
- संरचना: प्राधिकरण का नेतृत्व एक अध्यक्ष करता है जिसमें 15 सदस्य होते हैं। महापंजीयक इसके पदेन सदस्य सचिव के रूप में कार्य करते हैं।
- उद्देश्य: PPV&FRA प्रजनकों को अधिकार प्रदान करता है, पारंपरिक किस्मों के संरक्षण के लिये किसानों को पुरस्कृत करता है, कृषि-संरक्षित बीजों के उपयोग और साझा करने के कृषकों के अधिकारों की रक्षा करता है तथा अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देता है।
- यह राष्ट्रीय पादप किस्मों का रजिस्टर रखता है, जिससे जैवविविधता और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण में मदद मिलती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. पीपीवी और एफआरए अधिनियम, 2001 क्या है?
PPV&FRA अधिनियम, 2001 एक विशिष्ट कानून है जो पादप प्रजनकों को बौद्धिक संपदा संरक्षण प्रदान करता है, साथ ही कृषकों के कृषि-संरक्षित बीजों को संरक्षित करने, उपयोग करने, विनिमय करने और बेचने तथा कृषक-विकसित किस्मों को पंजीकृत करने के अधिकारों को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान करता है।
2. PPV&FRA का क्रियान्वयन कौन करता है और इसका कार्य क्या है?
पादप किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA), जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, इस अधिनियम का क्रियान्वयन करता है, राष्ट्रीय पादप किस्म रजिस्टर का रखरखाव करता है तथा अधिकारों, लाभ-साझाकरण और पंजीकरण का न्यायनिर्णयन करता है।
3. इस अधिनियम के तहत प्रजनक को क्या अधिकार प्राप्त हैं?
पंजीकृत प्रजनकों को संरक्षित किस्म के उत्पादन, विक्रय, विपणन, वितरण, आयात या निर्यात के अनन्य अधिकार प्राप्त होते हैं और ये लाइसेंस प्रदान कर सकते हैं या उल्लंघन के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
- भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया को भारत में पेटेंट कराया जा सकता है।
- भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड नहीं है।
- पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने के पात्र नहीं हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)