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पेयजल में उच्च स्तर के क्रोमियम संदूषण का स्तर

  • 14 Nov 2025
  • 15 min read

स्रोत: TH

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तर प्रदेश के क्रोमियम-संदूषित क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल की अपर्याप्त उपलब्धता पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और राज्य सरकार को त्वरित तथा पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं।

  • क्रोमियम (Cr) संभावित रूप से एक विषाक्त धातु है जो प्राकृतिक और मानवजनित स्रोतों के परिणामस्वरूप सतही जल और भूजल में पाई जाती है।
    • हेक्सावेलेंट क्रोमियम (Cr(VI)) एक अत्यधिक विषैला पदार्थ है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, जिसमें त्वचा संबंधी विकार, श्वसन संबंधी समस्याएँ और कैंसर शामिल हैं।
    • हालाँकि, त्रिसंयोजी क्रोमियम (Cr(III)) को मनुष्यों और पशुओं के सामान्य पोषण के लिये अल्प मात्रा में आवश्यक माना जाता है।
  • जल निकायों में क्रोमियम संदूषण के स्रोत: क्रोमियम संदूषण मुख्य रूप से औद्योगिक अपशिष्ट, खनन अपशिष्ट, शहरी अपवाह, संदूषित सिंचाई, अनुचित निपटान और आकस्मिक रिसाव के माध्यम से जल निकायों में प्रवेश करता है। 
  • जल स्रोतों में क्रोमियम संदूषण के कारण: क्रोमियम आमतौर पर औद्योगिक अपशिष्ट, खनन अपशिष्ट, शहरी बहाव, संदूषित सिंचाई, अनुचित निपटान और आकस्मिक रिसाव के माध्यम से जल निकायों तक पहुँचता है।
    • क्रोमियम युक्त चट्टानों से प्राकृतिक निक्षालन भी भूजल संदूषण में वृद्धि करता  है।
  • विनियमन: पेयजल के लिये भारतीय मानक (IS) 10500 के अनुसार, पेयजल में Cr(VI) की अधिकतम स्वीकार्य सांद्रता 50 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है।
  • क्रोमियम संदूषण को दूर करने हेतु उपाय: अधिशोषण (सतहों पर प्रदूषकों का जुड़ना), जैवशोषण (प्रदूषकों को अवशोषित करने के लिये जैविक पदार्थों का उपयोग) और आयन विनिमय (हानिकारक आयनों को कम विषैले आयनों से प्रतिस्थापित करना) जैसी विधियों का आमतौर पर उपयोग किया जाता है, हालाँकि इनकी लागत और दक्षता अलग-अलग होती है। 
    • उन्नत तकनीकें, जैसे कि TiO₂ नैनोकणों के साथ सूर्य के प्रकाश द्वारा संचालित फोटोकैटलिसिस, Cr(VI) को Cr(III) में बदलने में उच्च दक्षता प्रदान करती हैं।

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