दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 28 फरवरी, 2019

  • 28 Feb 2019
  • 5 min read

सतत् स्कीम

हाल ही में केंद्र सरकार ने सतत् योजना के तहत संपीडित बायो-गैस (Compressed Bio Gas-CBG) उद्यमी (निर्माता) को 100वाँ लेटर ऑफ इंटेंट (Letter of Intent-LOI) सौंपा है।

क्या है सतत् स्कीम?

  • सतत् एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य सतत् वैकल्पिक वहन योग्य परिवहन (Sustainable Alternative towards Affordable Transportation-SATAT) प्रदान करना है जो विकास के प्रयास के रूप में वाहन-उपयोगकर्त्ताओं और किसानों तथा उद्यमियों को लाभान्वित करेगी।
  • गौरतलब है कि इस स्कीम की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी।
  • सतत् पहल के तहत उद्यमियों से संपीडित जैव-गैस (Compressed Bio Gas-CBG) उत्पादन संयंत्र स्थापित करने और ऑटोमोटिव ईंधन (परिवहन में प्रयुक्त होने वाला ईंधन) में CBG के उपयोग हेतु बाज़ार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये कहा गया था।

महत्त्व

  • इस महत्त्वपूर्ण पहल में अधिक किफायती परिवहन ईंधन, कृषि अवशेषों, मवेशियों का गोबर और नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट के बेहतर उपयोग के साथ-साथ किसानों को अतिरिक्त राजस्व स्रोत प्रदान करने की क्षमता है।

अपतानी जनजाति
APATANI TRIBE

  • अपतानी पूर्वी हिमालय के प्रमुख जनजातीय समूहों में से एक है। येजनजाति अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबनसिरी के जीरो वैली में निवास करती है।
  • अपतानी जनजाति के लोग एक अलग धर्म, दोन्यी पोलो, का पालन करते हैं। इसमें यह सूर्य एवं चाँद की पूजा करते हैं और अपने पारंपरिक देवताओं को खुश करने के लिए जानवरों की बलि चढ़ाते हैं।
  • इनकी एक अलग भाषा भी है, जिसे ‘तानी’ या ‘अपतानी’ के नाम से जाना जाता है। यह सीनो-तिब्बती समूह की भाषा है।
  • द फर्स्ट पीपल्स कल्चरल कौंसिल (The First Peoples’ Cultural Council) एवं हवाई यूनिवर्सिटी की Endangered Languages Catalogue/ (ELCat) टीम द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्ट ‘Endangered Languages Project’ के अंतर्गत इस भाषा को ‘VULNERABLE’ की श्रेणी में रखा गया है।
  • इस जनजाति के लोगों को विभिन्न रोगों के इलाज में प्रयुक्त होने वाली जड़ी-बूटियों एवं प्राकृतिक औषधियों की अच्छी जानकारी होती है।
  • ‘ड्री’ और ‘म्योको’ इनके प्रमुख त्योहार हैं। ड्री एक कृषि पर्व है जबकि म्योको, दोस्ती और भाईचारे के लिए मनाया जाता है।
  • ये लोग मुख्यतः चावल की खेती जानवरों व मशीनों के प्रयोग के बिना करते हैं।
  • अपनी ‘अत्यंत उच्च उत्पादकता’ और पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के ‘अनोखे’ तरीके के लिए ‘अपतानी घाटी’ विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल करने के लिए प्रस्तावित है।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ही आदेश पर लगाई रोक

  • आदिवासियों को वन भूमि से बेदखल करने के सर्वोच्च न्यायालय के 13 फरवरी के आदेश पर पुनर्विचार करने के लिये केंद्र सरकार ने याचिका दायर की थी जिसके जवाब में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने उक्त आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। अब इस मामले की सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

केंद्र के अनुसार, राज्यों द्वारा कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किये बिना लाखों वन-वासी अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के दावों को खारिज कर दिया गया। केंद्र के तर्क निम्नलिखित थे:

♦ इन जनजातियों और वनवासियों जो जंगल में रहते हैं के वन भूमि पर दावों को राज्यों द्वारा खारिज कर दिया गया। साथ ही दूरदराज़ के इलाकों में रहने वाले गरीब और अनपढ़ लोगों को दावा दाखिल करने की उचित प्रक्रिया के बारे में पता नहीं है।
♦ ग्राम सभाएँ, जो इन दावों का सत्यापन करती हैं वे भी अधिक जागरूक नहीं हैं।
♦ वन में निवास करने वाले अनुसूचित जनजातियों और समुदायों को सर्वोच्च न्यायालय की अस्वीकृति की सूचना भी नहीं दी जाती है।

और पढ़ें .....
बेदखली का सामना कर रहे लाखों वनवासी
वनों से आदिवासियों की बेदखली का मुद्दा

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow