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पासनी पोर्ट

  • 09 Oct 2025
  • 14 min read

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

पाकिस्तान ने कथित तौर पर अमेरिका को बलूचिस्तान स्थित ग्वादर के नजदीक पासनी में एक पोर्ट/बंदरगाह विकसित करने की पेशकश की है, जिससे वाशिंगटन को ईरान की सीमा के समीप समुद्री पहुँच हासिल हो सकती है।

  • पासनी पोर्ट प्रस्ताव का उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर पाकिस्तान की निर्भरता को कम करना, अमेरिकी निवेश को आकर्षित करना और महत्त्वपूर्ण खनिजों का निर्यात करना है।
  • रणनीतिक स्थान: अरब सागर पर स्थित पासनी बंदरगाह, बलूचिस्तान के ग्वादर ज़िले में एक छोटा डीप-वाटर बंदरगाह है, जिसमें एक मछली बंदरगाह और पाकिस्तान समुद्री सुरक्षा एजेंसी (PMSA) का बेस भी है।
    • पासनी पोर्ट ईरान-पाकिस्तान सीमा के पास, चीन समर्थित ग्वादर बंदरगाह के पूर्व में और भारत के चाबहार बंदरगाह के करीब स्थित है, जो चाबहार (भारत-ईरान), ग्वादर (चीन-पाकिस्तान) और पासनी (अमेरिका-पाकिस्तान) को जोड़ते हुए एक प्रमुख रणनीतिक समुद्री त्रिकोण बनाता है।
  • सामरिक महत्त्व: इस क्षेत्र में प्रचुर खनिज भंडार, विशेष रूप से दुर्लभ मृदा खनन अधिकारों से संबंधित खनिज भंडार, पासनी पोर्ट के सामरिक महत्त्व में एक आर्थिक परत जोड़ते हैं।
    • इस बीच चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत ग्वादर बंदरगाह में चीन की भागीदारी, प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों को करीब ला सकती है, जिससे क्षेत्र में रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ सकती है।
    • पासनी-ग्वादर-चाबहार त्रिकोण एक नया भू-राजनीतिक केंद्र बन सकता है, जो समुद्री सुरक्षा, ऊर्जा मार्गों और महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता को आपस में जोड़ देगा।
    • यह कदम भारत की चाबहार बंदरगाह परियोजना को कमज़ोर कर सकता है, जो पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक व्यापार मार्ग प्रदान करता है। अमेरिका द्वारा चाबहार प्रतिबंधों से छूट वापस लेने से भारत की भूमिका और जटिल हो जाती है।

और पढ़ें: ईरान, पाकिस्तान और बलूच उग्रवाद

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