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मीरा परिवर्तनशील तारे

  • 01 Sep 2025
  • 15 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) द्वारा किये गए एक नए अध्ययन में, जिसे नोबेल पुरस्कार विजेता एडम रीस ने सह-लेखन किया है, ऑक्सीजन-समृद्ध मीरा परिवर्तनशील तारों का उपयोग करके हबल स्थिरांक को 3.7% सटीकता के साथ मापा गया है।

मीरा तारे (Omicron Ceti)

  • परिचय: मीरा एक स्पंदित रेड जायंट तारा है, जिसकी चमक उसकी बाह्य परतों के विस्तार और संकुचन के चक्रों के कारण नियमित रूप से बदलती रहती है। इसका परिवर्तन काल 100 से 1,000 दिनों तक हो सकता है।
    • यह 17वीं शताब्दी में पहचाना जाने वाला पहला ज्ञात परिवर्तनशील तारा (Variable Star) था, यानी ऐसा तारा जिसकी चमक स्थिर नहीं रहती।
    • ये तारे अपेक्षाकृत ठंडे होते हैं, जिनकी सतही तापमान लगभग 3,000 केल्विन होती है और ये तारकीय विकास (Stellar evolution) के अंतिम चरणों में होते हैं।
  • महत्त्व: ये तारे ब्रह्मांडीय दूरियों को मापने और एक्स्ट्रागैलेक्टिक डिस्टेंस लैडर (दूरस्थ आकाशगंगाओं की दूरी मापने की क्रमिक विधियाँ) को कैलिब्रेट करने में सहायता करते हैं।
    • ये हबल स्थिरांक (Hubble Constant) को निर्धारित करने और ब्रह्माण्ड विज्ञान में हबल टेंशन (प्रारंभिक बनाम उत्तर-ब्रह्मांडीय अवलोकनों से प्राप्त ब्रह्माण्डीय प्रसार दर में अंतर) को हल करने में सहायक होते हैं।

हबल स्थिरांक (H₀)

  • इसे एडविन हबल ने वर्ष 1929 में प्रतिपादित किया था। यह ब्रह्मांड के वर्तमान विस्तार की दर को मापता है, जिसकी इकाई किलोमीटर प्रति सेकंड प्रति मेगापारसेक (km/s/Mpc) है। यह दर्शाता है कि आकाशगंगाएँ किस गति से एक-दूसरे से दूर जा रही हैं। H₀ ब्रह्मांड के आकार और अवधि का अनुमान लगाने में सहायता करता है।
  • एडविन हबल ने पाया कि जितनी दूर कोई आकाशगंगा होती है, वह उतनी ही तेज़ी से दूर जाती है। इसे रेडशिफ्ट के माध्यम से मापा जाता है, जो प्रकाश के स्पेक्ट्रम के लाल सिरे की ओर स्थानांतरण को दर्शाता है और यह प्रमाण है कि ब्रह्मांड का निरंतर विस्तार हो रहा है।

और पढ़ें: हबल स्थिरांक निर्धारित करने की नई विधि

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