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सौर कोरोना में छोटे लूप

  • 08 Jul 2025
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान (IIA) के खगोलविदों ने सूर्य के वायुमंडल की निचली परतों में छोटे, अल्पकालिक प्लाज़्मा लूपों का पता लगाया है, जो यह समझने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं कि सूर्य चुंबकीय ऊर्जा को किस प्रकार संगृहीत और मुक्त करता है।

  • ये छोटे कोरोनल लूप लगभग 3,000-4,000 किमी लंबे हैं और इनकी चौड़ाई 100 किमी से कम है। इनके आकार और संक्षिप्त जीवनकाल (केवल कुछ मिनटों तक चलने वाले) के कारण पूर्व में इनका अध्ययन करना चुनौतीपूर्ण था।
    • ये चुंबकीय पुनर्संयोजन (एक ऐसी प्रक्रिया जिससे सौर वायुमंडल में अचानक ऊर्जा विस्फोट होता है) के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं तथा उनके शीर्ष से निकलने वाले प्लाज़्मा जेट से जुड़े होते हैं, जो बड़े सौर कोरोनल घटनाओं (जैसे- सौर प्रज्ज्वालकोरोनल मास इजेक्शन) को प्रतिबिंबित करते हैं।
    • डिफरेंशियल एमिशन मेजर एनालिसिस (एक विशिष्ट तापमान पर प्लाज़्मा से उत्सर्जन की मात्रा को इंगित करता है) से पता चला कि छोटे कोरोनाल लूपों में प्लाज़्मा का तापमान कई मिलियन डिग्री से ऊपर बढ़ रहा था, जो क्रोमोस्फीयर के लिये असामान्य रूप से उच्च था, जहाँ प्लाज़्मा का घनत्व कोरोना की तुलना में काफी अधिक होता है। 
      • इसके परिणामस्वरूप मौजूदा सौर तापन मॉडल को चुनौती मिलती है, जो सूर्य के वायुमंडल के निचली परतों में ऐसे चरम तापमान की व्याख्या करने में कठिनाई का सामना करते हैं।
  • लद्दाख स्थित भारत के नेशनल लार्ज सोलर टेलीस्कोप (NLST) जैसे भविष्योन्मुखी टेलीस्कोप इन विशेषताओं का और अधिक अन्वेषण करने में सहायक हो सकते हैं।
    • NLST देश में प्रस्तावित भू-आधारित ऑप्टिकल और निकट अवरक्त (IR) अवलोकन सुविधा है। इसे सौर चुंबकीय क्षेत्रों की उत्पत्ति तथा गतिशीलता से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक मुद्दों की एक शृंखला को संबोधित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है

अधिक पढ़ें: कोरोनल मास इजेक्शन

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