रैपिड फायर
कोल्हापुरी चप्पल
- 30 Jun 2025
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स्रोत: द हिंदू
GI-टैग प्राप्त कोल्हापुरी चप्पलों से अत्यधिक समानता को लेकर आलोचना का सामना करने के बाद इटली की लग्जरी फैशन ब्रांड प्राडा ने स्वीकार किया है कि उसके पुरुषों के फुटवियर डिज़ाइन की प्रेरणा पारंपरिक भारतीय हस्तनिर्मित फुटवियर से ली गई थी। कारीगरों का तर्क है कि यह सांस्कृतिक विनियोग और GI टैग का उल्लंघन है।
- फैशन में सांस्कृतिक विनियोग वह स्थिति होती है जब डिज़ाइनर किसी अन्य संस्कृति के तत्त्वों का उपयोग बिना श्रेय दिये या यह दावा करते हुए करते हैं कि उन्हें उसके स्रोत की जानकारी नहीं थी।
कोल्हापुरी चप्पल
- उत्पत्ति एवं भौगोलिक क्षेत्र: यह कोल्हापुर (महाराष्ट्र) और सांगली, सतारा और सोलापुर जैसे आस-पास के ज़िलों में हस्तनिर्मित है। इसकी परंपरा 12वीं–13वीं शताब्दी से जुड़ी हुई है तथा प्रारंभ में इसे राजघरानों के लिये बनाया जाता था।
- कारीगरी: इसे गाय, भैंस या बकरी की वनस्पति- टैंन चमड़े से बनाया जाता है और यह पूरी तरह हस्तनिर्मित होती है तथा इसमें कीलों एवं सिंथेटिक घटक का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- डिज़ाइन विशेषताएँ: इसे इसकी टी-स्ट्रैप आकृति, बारीक बुनाई और खुले पंजे वाले डिज़ाइन के लिये जाना जाता है, जो प्रायः टैन या गहरे भूरे रंगों में उपलब्ध होता है।
- GI टैग मान्यता: इसे वर्ष 2019 में भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा प्रदान किया गया, जिसमें महाराष्ट्र और कर्नाटक के आठ ज़िले शामिल हैं।
GI टैग
- GI टैग उन उत्पादों की पहचान करता है जिनकी उत्पत्ति किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से होती है और यह सुनिश्चित करता है कि केवल उस क्षेत्र के अधिकृत उपयोगकर्त्ता ही उस नाम का प्रयोग कर सकें।
- यह नकल के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है, इसकी वैधता 10 वर्षों के लिये होती है और इसका पर्यवेक्षण वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा किया जाता है।
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