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अंतर्राष्ट्रीय एपिलेप्सी (मिर्गी) दिवस

  • 16 Feb 2022
  • 3 min read

प्रत्येक वर्ष फरवरी के दूसरे सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय एपिलेप्सी (मिर्गी) दिवस (IED) के रूप में मनाया जाता है, और इस वर्ष यह 14 फरवरी (2022) को मनाया गया। 

  • यह दिवस आम लोगों को शिक्षित करने और रोग, इसके लक्षणों एवं उपचार के बारे में अधिक समझने का अवसर प्रदान करता है। 
  • यह दिन इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी (IBE) और इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (ILAE) की एक संयुक्त पहल है। इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में हुई थी।

एपिलेप्सी (मिर्गी):

  • एपिलेप्सी (मिर्गी) एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है, इसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे या असामान्य व्यवहार, संवेदनाएँ और कभी-कभी अभिज्ञता संबंधी हानि होती है। 
    • मिर्गी को दो या दो से अधिक अकारण दौरे पड़ने के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • मिर्गी दुनिया की सबसे पुरानी मान्यता प्राप्त स्थितियों में से एक है, जिसके लिखित रिकॉर्ड 4000 ईसा पूर्व के हैं।
  • दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन लोग मिर्गी से ग्रसित हैं, जो विश्व स्तर पर सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक है।
    • भारत में लगभग 60 लाख लोग मिर्गी से ग्रसित हैं।
  • कोई भी व्यक्ति मिर्गी रोग से ग्रस्त हो सकता है, लेकिन यह छोटे बच्चों और बड़े वयस्कों में अधिक आम  है।
  • मिर्गी का कोई इलाज़ नहीं है, लेकिन इस विकार को दवाओं और अन्य रणनीतियों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
  • वर्ष 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मिर्गी (एपिलेप्सी), एक सार्वजनिक स्वास्थ्य अनिवार्यता रिपोर्ट जारी की गई थी।
    • यह मिर्गी पर पहली वैश्विक रिपोर्ट है जिसमें मिर्गी के बोझ तथा वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया पर उपलब्ध साक्ष्य का सारांश प्रस्तुत किया गया है।
  • WHO मेंटल हेल्थ गैप एक्शन प्रोग्राम (mhGAP) का उद्देश्य विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिये मानसिक, न्यूरोलॉजिकल व मादक द्रव्यों के सेवन विकारों हेतु आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति को बढ़ाना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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