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सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000

  • 14 Oct 2025
  • 18 min read

स्रोत: पी. आई. बी.

इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A तथा 79(3)(b) के तहत नोटिस जारी करने को कारगर बनाने के लिये एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सामग्री को विनियमित करने में कानूनी स्पष्टता एवं संवैधानिक संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

  • परिचय: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, भारत में इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य, डिजिटल हस्ताक्षर और साइबर अपराधों सहित साइबर गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कानून है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और डिजिटल हस्ताक्षरों को वैध बनाता है।
    • साइबर सुरक्षा के लिये CERT-In को एक नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित करता है।
    • मध्यस्थों (जैसे, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) की ज़िम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
    • विवाद समाधान के लिये अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन को सक्षम बनाता है।
  • प्रमुख प्रावधान:
    • धारा 69A: सरकार को किसी भी कंप्यूटर संसाधन के माध्यम से किसी भी जानकारी तक सार्वजनिक पहुँच को अवरुद्ध करने का अधिकार देता है यदि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या विदेशी राज्यों के साथ संबंधों को खतरा हो।
    • धारा 79: मध्यस्थों को सुरक्षित बंदरगाह संरक्षण प्रदान करता है, उन्हें उपयोगकर्त्ता-जनित सामग्री के लिये उत्तरदायित्व से बचाता है।
    • धारा 79(3)(b): यदि कोई मध्यस्थ सरकारी अधिसूचना पर गैर-कानूनी सामग्री को ब्लॉक/हटाने करने में विफल रहता है तो सुरक्षित बंदरगाह संरक्षण हटा दिया जाता है।
    • IT नियम, 2021 का नियम 3(1)(d): मध्यस्थों द्वारा बरती जाने वाली उचित तत्परता को निर्दिष्ट करता है, जिसमें वास्तविक जानकारी प्राप्त होने पर गैर-कानूनी जानकारी तक पहुँच को हटाने या अक्षम करने की आवश्यकता शामिल है।
    • धारा 66A: श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015) के ऐतिहासिक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने IT अधिनियम, 2000 की धारा 66A को रद्द कर दिया। न्यायालय ने इस प्रावधान को "अस्पष्ट" और "असंवैधानिक" करार देते हुए कहा कि यह अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर मनमाना प्रतिबंध लगाता है।
  • महत्त्व:
    • ये प्रावधान भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में राज्य विनियमन, उपयोगकर्त्ता अधिकारों और प्लेटफॉर्म  की ज़िम्मेदारियों को संतुलित करने के लिये केंद्रीय भूमिका  निभाते हैं।

और पढ़ें: भारत की साइबर सुरक्षा

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