प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय रेलवे द्वारा पहले हाइड्रोजन-संचालित कोच का परीक्षण
- 29 Jul 2025
- 42 min read
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे ने अपनी “हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज” पहल के तहत चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में अपने पहले हाइड्रोजन-संचालित कोच का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
- इस परियोजना के तहत दो 1600 HP डीज़ल संचालित कारों को हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रणालियों में परिवर्तित करना और हरियाणा के जींद में 3,000 किलोग्राम क्षमता वाला हाइड्रोजन ईंधन भरने वाला स्टेशन स्थापित करना शामिल है।
- इसके डिज़ाइन और परीक्षण का कार्य अनुसंधान डिज़ाइन एवं मानक संगठन (RDSO) द्वारा किया जा रहा है।
ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन के प्रमुख लाभ क्या हैं?
- उच्च ऊर्जा घनत्व और बहुआयामी प्रकृति: हाइड्रोजन में ज्ञात ईंधनों में से सबसे अधिक ऊर्जा-भार अनुपात होता है, जिससे यह भारी-भरकम परिवहन क्षेत्रों के लिये असाधारण रूप से उपयुक्त बन जाती है।
- बहुआयामी प्रकृति के कारण इसका उपयोग ईंधन सेल, आंतरिक दहन इंजनों या औद्योगिक प्रक्रियाओं में फीडस्टॉक के रूप में किया जा सकता है।
- शून्य उत्सर्जन ऊर्जा वाहक: ईंधन सेल में उपयोग किये जाने पर उपोत्पाद के रूप में केवल जलवाष्प का उत्सर्जन होता है , जिससे यह स्वच्छ ऊर्जा आधारित परिवहन और औद्योगिक डीकार्बोनाइज़ेशन में निर्णायक है।
- नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण: हाइड्रोजन द्वारा ऊर्जा भंडारण वेक्टर के रूप में भूमिका निभाई जाती है, जिससे नवीकरणीय स्रोतों (जैसे सौर और पवन) से अतिरिक्त विद्युत को इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से हाइड्रोजन के रूप में संग्रहीत किया जा सकता है।
- इससे ग्रिड स्थिरीकरण, पीक आर्स सेविंग तथा चौबीसों घंटे विद्युत आपूर्ति (RTC) प्राप्त करने में सहायता मिलती है - जो ऊर्जा विश्वसनीयता और स्थायित्व के लिये एक प्रमुख आवश्यकता है।
- जटिल क्षेत्रों का डीकार्बोनाइजेशन: ग्रीन हाइड्रोजन जटिल क्षेत्रों जैसे कि इस्पात निर्माण, सीमेंट उत्पादन, तेल शोधन, उर्वरक और रासायनिक उद्योगों के गहन डीकार्बोनाइजेशन को सक्षम बनाता है, जहाँ प्रत्यक्ष विद्युतीकरण तकनीकी या आर्थिक रूप से अव्यवहारिक है।
नोट: वर्ष 2070 तक ऊर्जा स्वतंत्रता और शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत की रणनीति में हाइड्रोजन केंद्रीय है। भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य देश को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है, जिससे भारत उभरती हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित हो सके।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल: यह एक विद्युत-रासायनिक उपकरण है जो ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के माध्यम से हाइड्रोजन की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करता है, तथा जल और ऊष्मा इसके उप-उत्पाद होते हैं।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल के अनुप्रयोग:
- परिवहन: कारों, बसों, ट्रकों, ट्रेनों और ड्रोनों को शक्ति प्रदान करना।
- स्थिर विद्युत: घरों, व्यवसायों और डेटा केंद्रों के लिये बैकअप और ऑफ-ग्रिड विद्युत।
- पोर्टेबल पावर: दूरदराज़ के क्षेत्रों में लैपटॉप, फोन और उपकरणों को चार्ज करना।
- औद्योगिक उपयोग: गोदामों और कारखानों में फोर्कलिफ्ट, क्रेन और मशीनरी।
- अंतरिक्ष अन्वेषण: अंतरिक्ष यान को शक्ति प्रदान करना (उदाहरण के लिये, नासा विशेष रूप से अपोलो जैसे अपने अंतरिक्ष मिशनों में हाइड्रोजन ईंधन सेल का उपयोग करता है)।
भारतीय रेलवे में हुए प्रमुख तकनीकी विकास कौन-से हैं?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन
- 'गजराज' हाथी संसूचन प्रणाली: पटरियों के पास हाथियों की गतिविधियों का पता लगाने के लिये ऑप्टिकल फाइबर के उपयोग पर आधारित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-आधारित टूल।
- नमो भारत (RRTS) ट्रेनों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता: कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम सुरक्षा निगरानी और स्वचालित शिड्यूल अनुकूलन।
रेल सुरक्षा प्रौद्योगिकियाँ
- कवच (स्वचालित ट्रेन सुरक्षा): खतरे की स्थिति में सिग्नल पासिंग (SPAD) और अतिचाल से सुरक्षा प्रदान करता है।
- इसके अंतर्गत स्वचालित ब्रेक लगाने हेतु RFID का उपयोग शामिल है।
- SIL-4 स्तर पर प्रमाणित, त्रुटि संभावना: 10,000 वर्षों में 1।
- अल्ट्रासोनिक दोष संसूचन(USFD): इसके माध्यम से अवपथन (ट्रेन का पटरी से उतरना) की रोकथाम के लिये रेल की दरारों और दोषों का पता लगाया जाता है।
- इसका उपयोग रियल टाइम में पटरियों की स्थिति की निगरानी के लिये किया जाता है।
सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग सिस्टम
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (EI): मानवीय त्रुटि को कम करने और सिग्नल नियंत्रण को स्वचालित करने के लिये व्यापक रूप से इसका अंगीकरण किया गया है।
- स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग (ABS): रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली जो एक ही दिशा में एक साथ कई ट्रेनों को संचालित करने में सक्षम बनाकर उच्च-संकुलता वाले मार्गों पर रेल यातायात को बढ़ाती है।
संधारणीयता:
- बायो-टॉयलेट: भारतीय रेलवे में उपयोग किये जाने वाले बायो-टॉयलेट में मानव अपशिष्ट को एक सीलबंद बायोडाइजेस्टर टैंक में विघटित कर अवायवीय जीवाणुओं का उपयोग किया जाना शामिल है, जिससे यह जल और गैसों में परिवर्तित हो जाता है।
- DRDO द्वारा विकसित, इस प्रणाली से पटरियों पर खुले में मल-त्याग का निवारण होता है जिससे स्वच्छता में सुधार होता है और पटरियों के संक्षारण की संभावना कम होती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय रेलवे द्वारा उपयोग किये जाने वाले जैव-शौचालय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |