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विश्व में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थिति

  • 05 Sep 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (UNICEF), विश्व जल सप्ताह, विश्व स्वास्थ्य सभा, स्वच्छ भारत, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन (NRDWM), सुनिधि शौचालय परियोजना।

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छता का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (UNICEF/यूनिसेफ) की नवीनतम संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (JMP) रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की लगभग आधी स्वास्थ्य सुविधाओं में बुनियादी स्वच्छता सेवाओं का अभाव है, जिससे 3.85 बिलियन लोगों को संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।

  • यह रिपोर्ट स्वीडन के स्टॉकहोम में आयोजित विश्व जल सप्ताह के दौरान जारी की गई।

प्रमुख बिंदु

  • बुनियादी स्वच्छता की कमी:
    • विश्व की लगभग आधी स्वास्थ्य सुविधाओं में बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की कमी है, जिससे 3.85 बिलियन लोगों को संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
      • ये सुविधाएँ मरीजों को जल, साबुन या अल्कोहल-आधारित हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।
      • केवल 51% स्वास्थ्य सुविधाओं ने बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की आवश्यकताओं को पूरा किया।
      • उनमें से लगभग 68% लोगों के पास टॉयलेट में जल और साबुन से हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध थी और 65% के पास देखभाल केंद्रों पर ऐसी सुविधाएँ थीं।
        • इसके अलावा विश्व भर में 11 चिकित्सा सुविधाओं में से सिर्फ एक में दोनों सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • सुभेद्द्य जनसंख्या हेतु घातक:
    • सुरक्षित जल और बुनियादी स्वच्छता एवं स्वच्छता सेवाओं के बिना अस्पताल तथा क्लीनिक गर्भवती माताओं, नवजात शिशुओं और बच्चों के लिये संभावित मृत्यु का कारण हैं।
  • विभिन्न रोगों का उदय:
    • प्रत्येक वर्ष 670,000 नवजात शिशु रक्तपूतिता/घाव के सड़ने (Sepsis) के कारण अपनी जान गंँवा देते हैं।
      • रक्तपूतिता जीवन के लिये खतरनाक है जो तब होती है जब संक्रमण के कारण शरीर की प्रतिक्रिया अपने स्वयं के ऊतकों को नुकसान पहुँचाती है।
  • रोग संचरण में वृद्धि:
    • अस्वच्छ हाथ और पर्यावरण में रोग संचरण ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध के उद्भव को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया हैं।
    • सबसे कम विकसित देशों में केवल 53% स्वास्थ्य संस्थानों के पास सुरक्षित जल आपूर्ति है।
      • पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में सुरक्षित जल आपूर्ति का अनुपात 90% है, जिसमें अस्पताल स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
        • लगभग 11% ग्रामीण और 3% शहरी स्वास्थ्य संस्थानों में जल की पहुँच नहीं है।

स्वच्छता सुविधाओं का महत्त्व:

  • स्वास्थ्य देखभाल स्थिति में स्वच्छता सुविधाएँ और तरीके गैर-परक्राम्य हैं।
  • महामारी से उबरने, रोकथाम और तैयारियों के लिये उनका सुधार आवश्यक है।
  • विशेष रूप से सुरक्षित प्रसव के लिये उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने हेतु जल और साबुन तथा हाथ धोने की पहुँच को बढ़ावा देना आवश्यक है।

चुनौतियों से निपटना:

  • विभिन्न क्षेत्रों और आय समूहों में जल, साफ-सफाई और स्वच्छता (WASH) सुविधाओं का कवरेज़ अभी भी असमान है।
    • स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में जल, साफ-सफाई और स्वच्छता (WASH) सेवाओं को मज़बूत करने के लिये देशों को वर्ष 2019 विश्व स्वास्थ्य सभा की प्रतिबद्धता को लागू करने की आवश्यकता है।

जल, साफ-सफाई और स्वच्छता (WASH) से संबंधित भारत सरकार की पहलें:

  • वर्तमान स्थिति:
    • शहरी केंद्र:
      • राष्ट्रीय स्तर पर, 910 मिलियन नागरिकों के पास उचित स्वच्छता तक पहुँच नहीं है।
        • भारत की बहुसंख्यक जनसंख्या वाले शहरी केंद्रों के बावजूद, शहरी स्वच्छता की कमी है।
  • पहल:
    • स्वच्छ भारत की शौचालय पहुँच और रोज़गार सृजन:
      • इसका उद्देश्य भारत में खुले में शौच को कम करना है। वर्ष 2018 और वर्ष 2019 के मध्य, 93% घरों में शौचालय की सुविधा थी, जो पिछले वर्ष के 77% की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।
      • स्वच्छता के बुनियादी ढांँचे के निर्माण के क्रम में 2 मिलियन से अधिक पूर्णकालिक श्रमिकों हेतु रोज़गार का सृजन हुआ है।
    • ग्रामीण समुदायों में जल:
      • वर्ष 2017 और 2018 के बीच, भारत के राष्ट्रीय जल मिशन को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन (National Rural Drinking Water Mission-NRDWM) के तहत विस्तारित किया गया है।
        • जबकि अन्य कार्यक्रम और विभाग शहरी केंद्रों में स्वच्छता पर केंद्रित हैं, NRDWM भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करता है।
        • इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक घरों में पाइप से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
    • आईजल (iJal) सेफ वाॅटर स्टेशन:
      • सेफ वाॅटर नेटवर्क, पॉल न्यूमैन द्वारा बनाया गया एक गैर-लाभकारी संगठन, अपने आईजल वाटर स्टेशनों के माध्यम से विभिन्न समुदायों तक स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
        • स्थानीय स्वामित्त्व वाले स्टेशन उन समुदायों में स्वच्छ, गुणवत्तापूर्ण जल तक पहुँच प्रदान करते हैं; जहाँ जल सुरक्षा अत्यंत दुष्कर कार्य है।
    • वॉश (Water, Sanitation and Hygiene- WASH) सहयोगी:
      • अंतर्राष्ट्रीय विकास हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका एजेंसी (United States Agency for International Development-USAID) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (The United Nations Children's Fund-UNICEF भारत सरकार के सहयोग से कार्य करते हैं।
        • USAID ने सितंबर 2020 से पूर्व उपलब्धियों की सूचना दी, जिसमें सुरक्षित पेयजल तक पहुँच में वृद्धि, घरेलू शौचालयों की संख्या में बढ़ोत्तरी और सार्वजनिक शौच की प्रवृति में कमी शामिल है।

 आगे की राह:

  • बुनियादी उपायों में निवेश बढ़ाए बिना स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छता को सुरक्षित नहीं किया जा सकता है, जिसमें सुरक्षित जल, स्वच्छ शौचालय और सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वास्थ्य देखभाल अपशिष्ट शामिल हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रिलिम्स:

Q. भारतीय रेलवे द्वारा उपयोग किये जाने वाले जैव-शौचालय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. जैव-शौचालय में मानव अपशिष्ट का अपघटन एक कवक इनोकुलम द्वारा शुरू किया जाता है।
  2. इस अपघटन में अमोनिया और जलवाष्प एकमात्र अंतिम उत्पाद हैं जो वायुमंडल में निर्मुक्त होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D

व्याख्या:

  • भारतीय रेलवे की जैव-शौचालय परियोजना प्रौद्योगिकी का एक अभिनव और स्वदेशी विकास है। यह अपनी तरह की पहली तकनीक है और मानव अपशिष्ट के त्वरित अपघटन के लिये विश्व में किसी भी रेलमार्ग में पहली बार इसका उपयोग किया जा रहा है।
  • इन जैव-शौचालयों को सामान्य शौचालयों के नीचे लगाया जाता है और उनमें छोड़े गए मानव अपशिष्ट पर एनारोबिक बैक्टीरिया द्वारा अपघटन कार्य किया जाता है जो मानव अपशिष्ट को मुख्य रूप से जल में परिवर्तित करता है और मीथेन, अमोनिया इत्यादि जैसी जैव-गैसों की अल्प मात्रा को वायुमंडल में निर्मुक्त करता है। अतः कथन 1 और 2 दोनों सही नहीं हैं।
  • ये गैसें वायुमंडल में चली जाती हैं और अपशिष्ट जल को क्लोरीनीकरण के बाद रेलवे मार्ग पर निष्कासित कर दिया जाता है।
  • इस प्रकार मानव अपशिष्ट, रेलवे की पटरियों पर नहीं गिरता है, जिससे प्लेटफार्मों पर साफ-सफाई और स्वच्छता में सुधार होता है और सफाई कर्मचारियों को अपना काम अधिक कुशलता से करने में सुविधा होती है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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