प्रारंभिक परीक्षा
भारत को चाबहार बंदरगाह हेतु अमेरिका से छह माह की छूट
- 01 Nov 2025
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चर्चा में क्यों?
भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छह महीने की छूट मिल गई है, जिससे कम से कम अप्रैल 2026 तक वहाँ भारतीय परिचालन जारी रह सकेगा।
चाबहार बंदरगाह के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- अवस्थिति और भूगोल: चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ओमान की खाड़ी पर होर्मुज़ जलडमरूमध्य के मुहाने के पास स्थित है।
- चाबहार बंदरगाह परियोजना में दो बंदरगाह शामिल हैं - शाहिद कलंतरी और शाहिद बेहिश्ती।
- यह ईरान का एकमात्र महासागरीय और गहरे जल का बंदरगाह है, जो हिंद महासागर तक सीधी पहुँच प्रदान करता है।
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चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से लगभग 170 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है, जिसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत चीन द्वारा विकसित किया जा रहा है।
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भारत के लिये सामरिक और आर्थिक महत्त्व: चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधी पहुँच प्रदान करता है।
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यह भारत को ईरान-कैस्पियन सागर-रूस-यूरोप से जोड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का हिस्सा है और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री कनेक्टिविटी और ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करता है।
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चाबहार बंदरगाह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के प्रतिसंतुलन के रूप में कार्य करता है।
- यह भारत की “कनेक्ट सेंट्रल एशिया” और “विस्तारित पड़ोस” नीतियों का मुख्य आधार है।
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- भारत-ईरान सहयोग: भारत ने बंदरगाह के विकास के लिये वर्ष 2005 में ईरान के साथ एक समझौता किया।
- भारत और ईरान ने चाबहार में शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल विकसित करने के लिये वर्ष 2015 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे, जिसे भारत ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के माध्यम से वर्ष 2018 में औपचारिक रूप से अपने अधीन ले लिया था।
- वर्ष 2016 में, चाबहार के माध्यम से एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिये भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- अमेरिकी प्रतिबंध और छूट: वर्ष 2018 में, अमेरिका ने अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका को मान्यता देते हुए चाबहार के लिये छूट प्रदान की थी। बाद में सितंबर 2025 में यह छूट समाप्त कर दी गई, जिससे चाबहार से जुड़ी किसी भी संस्था पर ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार-रोधी अधिनियम, 2012 के तहत दंड लगाया जा सकेगा।
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छह महीने की अमेरिकी प्रतिबंध छूट (अक्तूबर 2025-अप्रैल 2026) बंदरगाह पर भारतीय परिचालन को निर्बाध रूप से जारी रखने की अनुमति देती है।
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वर्तमान स्थिति और विकास (2025 तक): अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने चाबहार के आर्थिक महत्त्व को समझते हुए, व्यापार के लिये इसका उपयोग करने में रुचि व्यक्त की है।
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चाबहार को INSTC और प्रस्तावित चाबहार-ज़ाहेदान-मशहद रेल लिंक (ईरानी रेलवे के साथ) के साथ एकीकृत करने के प्रयास जारी हैं।
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भू-राजनीतिक बदलावों के बावजूद, इस बंदरगाह की भारत की पश्चिम दिशा में पहुँच के लिये एक रणनीतिक केंद्र के रूप में भूमिका बनी हुई है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. चाबहार बंदरगाह कहाँ अवस्थित है?
यह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ओमान की खाड़ी में, होर्मुज़ जलडमरूमध्य के समीप अवस्थित है।
2. चाबहार बंदरगाह के दो मुख्य बंदरगाह कौन-से हैं?
शाहिद बेहिश्ती और शाहिद कलंतरी दो प्रमुख टर्मिनल हैं; भारत को शाहिद बेहिश्ती के विकास का प्रस्ताव दिया गया था और वह इसे IPGL के माध्यम से संचालित करता है।
3. कौन-सा कॉरिडोर चाबहार बंदरगाह को रूस और यूरोप से जोड़ता है?
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC)।
4. चाबहार भारत के लिये रणनीतिक रूप से क्यों महत्त्वपूर्ण है?
यह पाकिस्तान की आवश्यकता को समाप्त करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिये एक प्रत्यक्ष समुद्री-भूमि मार्ग प्रदान करता है, INSTC से जुड़ता है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) के माध्यम से चीन के बढ़ते प्रभुत्व का समाधान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है? (2017)
(a) अफ्रीकी देशों से भारत के व्यापार में अपार वृद्धि होगी।
(b) तेल-उत्पादक अरब देशों से भारत के संबंध सुदृढ़ होंगे।
(c) अफगानिस्तान और मध्य एशिया में पहुँच के लिये भारत को पाकिस्तान पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
(d) पाकिस्तान, इराक और भारत के बीच गैस पाइपलाइन का संस्थापन सुकर बनाएगा और उसकी सुरक्षा करेगा।
उत्तर: (c)
