रैपिड फायर
हेल्गोलैंड
- 08 Jul 2025
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स्रोत: द हिंदू
हेल्गोलैंड (या हेलिगोलैंड) जर्मनी के तट से लगभग 50 किलोमीटर दूर, उत्तर सागर में स्थित एक छोटा-सा द्वीपसमूह है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 1.7 वर्ग किलोमीटर है। यह द्वीप अपने लाल बलुआ पत्थर (रेड सैंडस्टोन) के लिये जाना जाता है, इसे क्वांटम यांत्रिकी का जन्मस्थल माना जाता है।
- हेल्गोलैंड, जो शुरू में फ्रिसियन (नीदरलैंड और जर्मनी में जातीय समूह) द्वारा उपनिवेशित था, इसके बाद यह डेनमार्क के नियंत्रण में आया, फिर वर्ष 1814 में ब्रिटेन के अधीन चला गया तथा अंततः वर्ष 1890 में जर्मनी को सौंप दिया गया।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने इस द्वीप का इस्तेमाल बमबारी रेंज (bombing range) के रूप में किया। बाद में वर्ष 1952 में इसे पश्चिमी जर्मनी को वापस कर दिया गया।
क्वांटम यांत्रिकी की नींव:
- जून 1925 में भौतिक विज्ञानी वर्नर हाइज़ेनबर्ग, जो उस समय हे फीवर (एलर्जिक राइनाइटिस) से पीड़ित थे, राहत पाने के लिये हेल्गोलैंड द्वीप चले गए।
- वहीं पर उन्होंने मैट्रिक्स मैकेनिक्स (यह समझाने का तरीका कि परमाणु कैसे निश्चित ऊर्जा स्तरों के आधार पर प्रकाश को अवशोषित या उत्सर्जित करते हैं) का विकास किया, जो आगे चलकर क्वांटम मैकेनिक्स की नींव बना।
- उन्होंने नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रॉनों के शास्त्रीय विचार को प्रकाश अवशोषण जैसी मापनीय मात्राओं पर आधारित प्रणाली से प्रतिस्थापित किया। क्वांटम मैकेनिक्स वह मौलिक भौतिकी सिद्धांत है, जो परमाणु और उप-परमाणु स्तर पर पदार्थ और ऊर्जा के व्यवहार को समझाता है।
- इसी खोज ने आगे चलकर अनिश्चितता सिद्धांत जैसे महत्त्वपूर्ण विचारों को जन्म दिया और लेज़र तथा सेमीकंडक्टर जैसी आधुनिक तकनीकों के लिये रास्ता खोल दिया।
वर्नर हाइज़ेनबर्ग:
- वर्नर हाइज़ेनबर्ग एक जर्मन सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता (1932) थे, जिन्हें हाइज़ेनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत (Uncertainty Principle) प्रस्तुत करने और मात्र 23 वर्ष की आयु में क्वांटम मैकेनिक्स की नींव रखने के लिये जाना जाता है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हाइज़ेनबर्ग ने जर्मन परमाणु कार्यक्रम, जो अमेरिका के मैनहैटन प्रोजेक्ट के साथ प्रतिस्पर्द्धा के रूप में था, में मुख्य भूमिका निभाई।
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