रैपिड फायर
जीनोम-संपादित चावल की किस्में
- 06 May 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत ने अपनी पहली जीनोम-संपादित चावल की किस्में 'DRR धान 100 (कमला)' और 'पूसा DST राइस 1' जारी की हैं, जिनका उद्देश्य विदेशी DNA को शामिल किये बिना उपज, जलवायु लचीलापन और संसाधन दक्षता को बढ़ाना है।
- इन्हें ICAR द्वारा उन्नत CRISPR-Cas9 जीनोम-एडिटिंग तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है। इसमें कोई विदेशी DNA शामिल नहीं किया गया है, जिससे इसकी उपज पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली फसलों के समान किया जा साकता है।
- DRR धान 100 (कमला): यह लोकप्रिय साँबा महसूरी किस्म पर आधारित है। साइट डायरेक्टेड न्यूक्लिऐस 1 (SDN1) तकनीक का उपयोग करके साइटोकाइनिन ऑक्सीडेज 2 (CKX2) जीन (Gn1a) को लक्षित करके दानों की संख्या में सुधार किया गया।
- इसके परिणामस्वरूप शीघ्र परिपक्वता (15-20 दिन पहले कटाई), सूखा-सहिष्णुता, उच्च नाइट्रोजन-उपयोग दक्षता प्राप्त होती है।
- पूसा DST चावल 1: यह मारुतेरु 1010 (Maruteru 1010) किस्म पर आधारित है और सूखे और लवण सहनशीलता को बढ़ाता है। SDN1 जीनोम-एडिटिंग के माध्यम से विकसित, यह शुष्क और लवणीय सहनशीलता (DST) जीन को लक्षित करता है ।
- इसके परिणामस्वरूप तटीय लवणता वाले क्षेत्रों में 30.4% अधिक उपज, क्षारीय मृदाओं में 14.66% अधिक तथा अंतर्देशीय लवणता वाले क्षेत्रों में 9.67% अधिक उपज प्राप्त होती है।
- साइट-निर्देशित न्यूक्लिऐस प्रौद्योगिकी: यह एक जीनोम-संपादन तकनीक है जो न्यूक्लिऐस नामक एंज़ाइम का उपयोग करके DNA में सटीक परिवर्तन लाती है।
- SDN-1 विदेशी DNA का उपयोग किये बिना छोटे सम्मिलन/विलोपन प्रस्तुत करता है, जबकि SDN-2 विशिष्ट वांछित परिवर्तन प्रस्तुत करने के लिये टेम्पलेट DNA (मेज़बान के समान) का उपयोग करता है ।
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