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फैविपिराविर के चाँदीपुरा वायरस (CHPV) के विरुद्ध आशाजनक परिणाम

  • 27 Jun 2025
  • 4 min read

स्रोत: द हिंदू

ICMR-राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान (NIV), पुणे ने फैविपिराविर की चाँदीपुरा वायरस (CHPV) के विरुद्ध एक संभावित उपचारात्मक दवा के रूप में पहचान की है। चूहों पर किये गए प्रारंभिक प्रीक्लिनिकल अध्ययन में, इस दवा ने वायरल लोड को कम तथा जीवित रहने की दर को बेहतर किया। हालाँकि, ये परिणाम प्रारंभिक स्तर के हैं। मानव परीक्षण से पहले, अभी अन्य पशु मॉडल्स पर और पुष्टि की आवश्यकता है।

चाँदीपुरा वायरस (CHPV)

  • चाँदीपुरा वायरस (CHPV) एक उपेक्षित अर्बोवायरस है जिसे रैबडोविरिडे फैमिली के वेसिकुलोवायरस जीनस के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
    • यह एक साइटोप्लाज़्मिक, निगेटिव-सेंस, सिंगल-स्ट्रैंडेड RNA वायरस है, जो विशेषकर बच्चों में तेज़ी से शुरू होने वाली मस्तिष्क ज्वर बीमारी (एंसेफलाइटिस) का कारण बनता है।
    • यह एक न्यूरोट्रॉपिक वायरस है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को प्रभावित कर सकता है।
  • महामारी विज्ञान और स्थानिकता: CHPV की पहली बार पहचान वर्ष 1965 में महाराष्ट्र में की गई थी।
    • मुख्य प्रकोप:
      • वर्ष 2003 में तेलंगाना (300+ मामले, >50% मृत्यु दर)
      • वर्ष 2024 में गुजरात और महाराष्ट्र।
    • अब यह मध्य भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्थानिक हो गया है तथा मानसून के दौरान बालू मक्खियों (सैंडफ्लाई) की संख्या बढ़ने से प्रकोप की संभावना अधिक होती है।
  • संचरण और वाहक: यह मुख्य रूप से फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई द्वारा फैलता है, जिसमें फ्लेबोटोमस पापाटासी भी शामिल है तथा कुछ मामलों में एडिस एजिप्टी मच्छर (जो डेंगू फैलाते हैं) से भी संक्रमण संभव है।
    • वायरस इन कीड़ों की लार ग्रंथियों में रहता है और काटने के दौरान फैलता है।
    • संवेदनशील जनसंख्या: यह संक्रमण मुख्य रूप से 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
  • लक्षण: शुरुआती लक्षण इन्फ्लूएंजा जैसे ही होते हैं, जैसे बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द आदि। गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस हो सकता है, जिससे दौरे, मानसिक स्थिति में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, एनीमिया और रक्तस्राव जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। 
    • यह वायरस तेज़ी से न्यूरोलॉजिकल विकृति और उच्च मृत्यु दर का कारण बन सकता है यदि समय पर इसका उपचार न हो।
  • वर्तमान उपचार स्थिति: CHPV के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा या टीका नहीं है। प्रबंधन लक्षणात्मक और सहायक है।

फैविपिराविर:

  • फैविपिराविर एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीवायरल दवा है, जिसे मूल रूप से जापान में इन्फ्लूएंजा के उपचार के लिए विकसित किया गया था।
  • यह दवा RNA-डिपेंडेंट RNA पॉलीमरेज़ (RdRp) नामक एंज़ाइम को प्रतिबंधित करती है, जो RNA वायरसों की प्रतिकृति के लिये आवश्यक होता है।
  • एक मौखिक दवा के रूप में, इसका आपातकालीन स्थितियों में इबोला, लासा बुखार, जीका और SARS-CoV-2 (कोविड-19) सहित कई उभरते RNA वायरस के विरुद्ध उपयोग किया गया है।

और पढ़ें: चाँदीपुरा वायरस संक्रमण, एंटीवायरल दवा उमीफेनोविर 

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