रैपिड फायर
असम में नवपाषाण स्थल दाओजली हेडिंग
- 07 Jun 2025
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स्रोत: द हिंदू
असम के दीमा हासाओ ज़िले में स्थित दाओजाली हेडिंग में हाल की पुरातात्त्विक खोजों ने इसकी पहचान 2,700 वर्ष से अधिक पुराने नवपाषाणकालीन आवास स्थल के रूप में पुनः पुष्टि की है। इस स्थल से घरेलू वस्तुएँ और प्रारंभिक धातुकर्म गतिविधि के प्रमाण मिले हैं।
- यह स्थल लांगटिंग-मुपा रिज़र्व फॉरेस्ट में स्थित है और सबसे पहले 1960 के दशक में टी.सी. शर्मा और एम.सी. गोस्वामी (1962–64) द्वारा खोजा गया था।
- प्राप्त प्रमुख कलाकृतियाँ:
- पॉलिश किये गए डबल-शोल्डर्ड सेल्ट्स (एक छेनी वाले पत्थर के औजार), डोरी के निशान वाले मृदभांड, ओखली और मूसल।
- ग्राइंडिंग स्टोन्स, लो-फायर्ड पॉटशर्ड्स, चारकोल के नमूने
- चीन में पाए जाने वाले जेडाइट पत्थरों की मौजूदगी तथा दाओजाली हेडिंग के लिये अद्वितीय होने से पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ प्राचीन व्यापारिक संबंधों का पता चलता है।
- नवपाषाण युग: नवपाषाण युग या नया पाषाण युग, पाषाण युग का अंतिम चरण था जो लगभग 9000 ईसा पूर्व (क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग) से शुरू हुआ और लगभग 3000 ईसा पूर्व धातु के औजारों के आगमन तक चला। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं:
- कृषि (गेहूँ, जौ, चावल, कदन्न) एवं पशुपालन (मवेशी, भेड़, बकरी)
- स्थायी आवास: मृदा या पत्थर से बने घर (जैसे बलूचिस्तान का मेहरगढ़)
- पॉलिश किये गए पत्थर के औजार (जैसे- कुल्हाड़ी, दरांती, पीसने वाले पत्थर)
- कुम्हार का चाक: 4500 ईसा पूर्व के बाद ज्ञात हुआ।
- जटिल सामाजिक संरचनाएँ उभरीं, जिनका प्रमाण दफन, अनुष्ठान तथा प्रारंभिक धार्मिक प्रतीकों से मिलता है।
- प्रमुख नवपाषाण स्थल:
- उत्तर पश्चिम भारत: मेहरगढ़ (अब पाकिस्तान में), बुर्ज़होम और गुफकराल (कश्मीर)।
- उत्तरी और मध्य भारत: सेनुवार (बिहार), कोल्डिहवा और महगरा (उत्तर प्रदेश), बागोर (राजस्थान), आदमगढ़ (मध्य प्रदेश)।
- पूर्वोत्तर भारत: दाओजली हेडिंग और सरुतरु (असम), नपाचिक तथा लाइमनाई (मणिपुर)।
- दक्षिणी भारत: ब्रह्मगिरि और मास्की (कर्नाटक), पैयमपल्ली (तमिलनाडु)।
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