रैपिड फायर
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की शताब्दी
- 01 Oct 2025
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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 1 अक्तूबर, 2025 को अपनी शताब्दी मनाई, क्योंकि इसकी स्थापना वर्ष 1926 में हुई थी और इस प्रकार इसने 100 वर्ष पूरे किये। योग्यता आधारित प्रणाली को बनाए रखने के लिये प्रसिद्ध UPSC ने भारत की सिविल सेवाओं के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: सिविल सेवाओं के नियमन हेतु एक स्थायी निकाय का विचार वर्ष 1919 के संवैधानिक सुधारों (मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) में सामने आया। भारत सरकार अधिनियम, 1919 ने एक लोक सेवा आयोग के गठन की अनुमति दी।
- ली आयोग (1924) की सिफारिशों के बाद 1 अक्तूबर, 1926 को लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई और सर रॉस बार्कर इसके पहले अध्यक्ष बने।
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने इसे संघीय लोक सेवा आयोग में बदल दिया। वर्ष 1950 में संविधान लागू होने के साथ अनुच्छेद 378 के तहत संघीय लोक सेवा आयोग (FPSC) संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) बन गया।
- UPSC: यह भारत में एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो संविधान के अनुच्छेद 315-323 भाग XIV अध्याय II के तहत स्थापित है, जो अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सिविल सेवाओं में अधिकारियों की भर्ती के लिये ज़िम्मेदार है।
- UPSC भारत सरकार द्वारा अधिसूचित परीक्षा नियमों के अनुसार न्यायसंगत और निष्पक्ष तरीके से भारत सरकार की विभिन्न ग्रुप A व ग्रुप B सेवाओं के लिये उम्मीदवारों का योग्यता आधारित चयन तथा सिफारिश करने के लिये विभिन्न परीक्षाएँ आयोजित करता है।
- UPSC द्वारा सुधार:
- प्रतिभा सेतु पहल: यह सत्यापित बायोडेटा का एक केंद्रीकृत ऑनलाइन संग्रह है जो UPSC परीक्षाओं के साक्षात्कार-योग्य उम्मीदवारों को, जिनकी अंतिम चयन के लिये अनुशंसा नहीं की गई थी, वैकल्पिक रोज़गार के अवसरों से जोड़ता है तथा उनकी जानकारी सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में इच्छुक नियोक्ताओं को उपलब्ध कराता है।
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