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भारत का 94वाँ रामसर स्थल बनी बिहार की गोगाबिल झील

  • 10 Nov 2025
  • 14 min read

स्रोत:टाइम्स ऑ इंडिया

बिहार में अब कुल छह रामसर स्थल हैं, जिससे यह तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर है। भारत में एशिया में सबसे अधिक रामसर स्थल हैं और रामसर कन्वेंशन, 1971 के तहत, यह वैश्विक स्तर पर  यूनाइटेड किंगडम (176) और मेक्सिको (144) के बाद तीसरे स्थान पर है।

  • गोगाबिल झील बिहार का पहला सामुदायिक अभयारण्य है। यह राज्य का 15वाँ संरक्षित क्षेत्र (PA) है।
    • यह सिंचाई हेतु जल निकासी, व्यापक मत्स्य पालन, नौपरिवहन, पशुओं के जल-विहार तथा मनोरंजन के लिये उपयोग में लाई जाती है, जिससे स्थानीय आजीविका को महत्त्वपूर्ण समर्थन प्राप्त होता है।
    • गोगाबिल झील: गोगाबिल झील बिहार के कटिहार के ट्रांस-गंगा मैदान में स्थित एक ऑक्स-बो (गोमुख) आर्द्रभूमि है। इसके उत्तर-पूर्व में महानंदा नदी और दक्षिण में गंगा नदी प्रवाहित होती है।
  • पारिस्थितिक महत्त्व: गोगाबिल एक स्थायी जलाशय है, जो गर्मियों में सिकुड़ता तो है लेकिन कभी पूरी तरह सूखता नहीं। यह मध्य एशियाई फ्लाईवे के अंतर्गत एक महत्त्वपूर्ण शीतकालीन आवास स्थल है।
  • वनस्पतिजात और प्राणिजात: यह झील जलपक्षियों और तटीय पक्षियों के बड़े समूहों का आवास स्थल है। यहाँ लाल कलगीदार पोचार्ड, सामान्य पोचार्ड, बार-हेडेड गूज़, ग्रेलैग गूज़, उत्तरी पिंटेल और रूडी शेल्डक जैसी पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • यहाँ पाई जाने वाली विलुप्तप्राय और दुर्लभ प्रजातियों में ब्लैक-बेलिड टर्न, लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क, रिवर टर्न, पेंटेड स्टॉर्क, फेरुजिनस डक, डार्टर और ब्लैक-हेडेड आइबिस शामिल हैं।
    • उच्च पक्षी विविधता और पारिस्थितिक समृद्धि के कारण गोगाबिल को एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • खतरे: प्रमुख खतरों में जलग्रहण क्षेत्र में उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से झील में रासायनिक प्रवाह तथा जैविक संसाधनों के अत्यधिक दोहन शामिल हैं।

और पढ़ें: खीचन और मेनार नए रामसर स्थल के रूप में

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