रैपिड फायर
अल्टरमैग्नेटिज़्म: चुंबकीय क्रम का एक नया वर्ग
- 11 Nov 2025
- 17 min read
शोधकर्त्ताओं ने अल्टरमैग्नेटिज़्म (Altermagnetism) को पारंपरिक फेरोमैग्नेटिज़्म (Ferromagnetism) और एंटीफेरोमैग्नेटिज़्म (Antiferromagnetism) से परे एक नई और विशिष्ट चुंबकीय अवस्था के रूप में पहचाना है, जिसका अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के लिये अत्यंत आशाजनक प्रभाव हो सकता है।
- अल्टरमैग्नेटिक पदार्थों में चुंबकीय आघूर्ण अब भी वैकल्पिक रूप से संरेखित होते हैं, लेकिन उनकी संरचना सरल परिवर्तन के बजाय अधिक जटिल सममितीय क्रियाओं जैसे घूर्णन या परावर्तन का अनुसरण करती है।
- अल्टरमैग्नेटिज़्म: यह एक तीसरी चुंबकीय अवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो पारंपरिक फेरोमैग्नेटिज़्म (जहाँ चुंबकीय आघूर्ण समानांतर रूप से संरेखित होते हैं) और एंटीफेरोमैग्नेटिज़्म (जहाँ चुंबकीय आघूर्ण वैकल्पिक रूप से संरेखित होकर एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं) से भिन्न है।
- इसका परिणाम यह होता है कि इनमें बाह्य चुंबकीय क्षेत्र शून्य रहता है, जैसा कि एंटीफेरोमैग्नेट्स में होता है, लेकिन आंतरिक इलेक्ट्रॉनिक व्यवहार फेरोमैग्नेट्स जैसा होता है जहाँ स्पिन विभिन्न ऊर्जा बैंड्स में विभाजित हो सकते हैं।
- अल्टरमैग्नेटिज़्म: यह एक तीसरी चुंबकीय अवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो पारंपरिक फेरोमैग्नेटिज़्म (जहाँ चुंबकीय आघूर्ण समानांतर रूप से संरेखित होते हैं) और एंटीफेरोमैग्नेटिज़्म (जहाँ चुंबकीय आघूर्ण वैकल्पिक रूप से संरेखित होकर एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं) से भिन्न है।
- अल्टरमैग्नेट्स की विशेषताएँ: ये एनॉमलस हॉल प्रभाव (Anomalous Hall Effect) प्रदर्शित कर सकते हैं अर्थात् बिना किसी बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के पार्श्व वोल्टेज (Sideways voltage) उत्पन्न कर सकते हैं।
- अल्टरमैग्नेट्स के पास बाह्य रूप से कोई शुद्ध चुंबकीय क्षेत्र नहीं होता, जिससे वे चुंबकीय व्यवधानों के प्रति कम संवेदनशील रहते हैं।
- उनकी यह चुंबकीय निष्पक्षता हस्तक्षेप को कम करती है, जिससे वे सघन, तीव्र और ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रॉनिक तथा स्पिन्ट्रॉनिक उपकरणों के लिये उपयुक्त बनते हैं।
- अनुप्रयोग: अल्टरमैग्नेट्स में स्पिन्ट्रॉनिक्स (Spintronics) के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएँ हैं, जहाँ डेटा का प्रसंस्करण इलेक्ट्रॉन के आवेश के बजाय उसके स्पिन का उपयोग करके किया जाता है।
- वे कम ऊर्जा उपयोग के साथ तीव्र मेमोरी और लॉजिक डिवाइस को सक्षम कर सकते हैं।
- चूँकि ये बहुत कम चुंबकीय नाद (Magnetic noise) उत्पन्न करते हैं, इसलिये ये क्वांटम प्रौद्योगिकियों में भी सहायक हो सकते हैं, जिससे भविष्य की कंप्यूटिंग के लिये अधिक स्थिर और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म उपलब्ध हो सकते हैं।
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