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सेबी ने डिजिटल गोल्ड के जोखिमों पर चेतावनी दी

  • 11 Nov 2025
  • 15 min read

स्रोत: ET

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों को अनियमित डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड उत्पादों में निवेश न करने की कड़ी सलाह जारी की है, जिसमें इनके उच्च जोखिम और निवेशक संरक्षण की अनुपस्थिति को रेखांकित किया गया है।

सेबी द्वारा उजागर किये गए प्रमुख जोखिम:

  • अविनियमित प्रकृति: डिजिटल गोल्ड को न तो प्रतिभूति के रूप में वर्गीकृत किया गया है और न ही इसे वस्तु डेरिवेटिव के रूप में विनियमित किया गया है। सेबी-स्वीकृत उत्पादों के लिये उपलब्ध निवेशक संरक्षण तंत्र इसमें अनुपस्थित है।
    • प्रतिपक्ष जोखिम: निवेशक पूरी तरह से जारीकर्त्ता पर निर्भर होते हैं, जिससे ठोस सोना या नकद वितरण में डिफॉल्ट का गंभीर जोखिम उत्पन्न होता है।
    • निवेशक संरक्षण का अभाव: बीमा, शिकायत निवारण और सुनिश्चित निपटान जैसी बाज़ार सुरक्षा व्यवस्थाएँ लागू नहीं होतीं, जिससे निवेशकों के पास कोई औपचारिक समाधान तंत्र उपलब्ध नहीं रहता।
  • डिजिटल गोल्ड: इसका तात्पर्य बिना भौतिक स्वामित्व के इलेक्ट्रॉनिक रूप से सोना खरीदने से है, जिसकी कीमत ठोस सोने से जुड़ी होती है। यह ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से निर्मित होता है, जिससे निवेशक ऑनलाइन सोना खरीद, बेच और सुरक्षित रख सकते हैं।
    • यह आसानी से सुलभ है, आपात स्थिति में शीघ्र बेचा जा सकता है और इसमें छोटी राशि से भी निवेश किया जा सकता है।
    • यह भंडारण की जटिलताओं को दूर करता है और आवश्यकता पड़ने पर सिक्कों, बार या आभूषण जैसे ठोस सोने में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • सुरक्षित विकल्प: सेबी ने निवेशकों को विनियमित स्वर्ण निवेश विकल्पों जैसे- सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB), गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF), इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स (EGR) और कमोडिटी डेरिवेटिव्स का उपयोग करने की सलाह दी है।
    • ये विकल्प सेबी के नियामक ढाँचे के अंतर्गत आते हैं, गारंटीकृत क्लीयरिंग के माध्यम से प्रतिपक्ष जोखिम को समाप्त करते हैं, पारदर्शी मूल्य खोज सुनिश्चित करते हैं और निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

और पढ़ें: भौतिक से डिजिटल सोने की ओर बदलाव

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