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विश्व मगरमच्छ दिवस और मगरमच्छ संरक्षण परियोजना के 50 वर्ष

  • 17 Jun 2025
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

विश्व मगरमच्छ दिवस (17 जून) पर, भारत अपने मगरमच्छ संरक्षण परियोजना (CCP) (1975-2025) के 50 वर्ष पूरे होने का स्मरण करता है, जिसमें ओडिशा इस अग्रणी पारिस्थितिक प्रयास का केंद्र बनकर उभरा है।

  • ओडिशा एकमात्र ऐसा भारतीय राज्य है. जहाँ सभी तीन देशी मगरमच्छ प्रजातियों घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस), मगरमच्छ (क्रोकोडाइलस पलुस्ट्रिस) तथा खारे पानी के मगरमच्छ (क्रोकोडाइलस पोरोसस)) की जंगली आबादी पाई जाती है।
  • मगरमच्छ संरक्षण परियोजना: भारत ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और खाद्य एवं कृषि संगठन के सहयोग से ओडिशा के है.तरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में मगरमच्छ संरक्षण परियोजना का शुभारंभ किया।
  • इसने "रियर एंड रिलीज़" पद्धति को अपनाया, भितरकनिका और सतकोसिया टाइगर रिज़र्व जैसे संरक्षित आवासों का निर्माण किया तथा बंदी प्रजनन और सामुदायिक जागरूकता को बढ़ावा दिया, जिससे यह मगरमच्छ संरक्षण के लिये एक राष्ट्रीय मॉडल बन गया है।
  • मगरमच्छ: ये सबसे बड़े जीवित सरीसृप हैं, जो मुख्य रूप से मीठे पानी के दलदलों, झीलों और नदियों में रहते हैं, जिनमें एक खारे पानी की प्रजाति भी शामिल है। 
    • वे रात्रिचर और पोइकिलोथर्मिक (बाह्यउष्मा या शीत-रक्त वाले जानवर भी कहलाते हैं तथा इनके शरीर का तापमान आसपास के वातावरण के साथ बदलता रहता है) होते हैं।
    • उनके अस्तित्व को आवास विनाश, अंडों का शिकार, अवैध शिकार, बाँध निर्माण तथा रेत खनन से खतरा है।
  • जनसंख्या: भारत में वैश्विक जंगली घड़ियाल आबादी का लगभग 80% हिस्सा रहता है, जिसमें राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, कतर्नियाघाट और सोन घड़ियाल अभयारण्य जैसे स्थलों में लगभग 3,000 व्यक्ति हैं। 
    • खारे पानी के मगरमच्छों की आबादी बढ़कर लगभग 2,500 हो गई है, जो मुख्य रूप से भितरकनिका, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और सुंदरबन में हैं। 

और पढ़ें: विश्व मगरमच्छ दिवस

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