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वेब 3.0: नए जमाने का इंटरनेट

  • 28 Sep 2022
  • 13 min read

यह एडिटोरियल 25/09/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “First Principles / Hold the hosannas for web3” लेख पर आधारित है। इसमें वेब 3.0 में निहित संभावनाओं और संबंधित चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

वेब 3.0 (Web 3.0) ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर आधारित इंटरनेट का तीसरा संस्करण है। वेब 3.0 का लक्ष्य एक इंटेलिजेंट, स्वायत्त, कनेक्टेड और ओपेन इंटरनेट का सृजन करना है। अब जब हम वेब 3.0 की ओर आगे बढ़ रहे हैं, विकेंद्रीकरण के इसकी एक प्रमुख प्रवृत्ति होने की उम्मीद है। संक्षेप में, यह एक ऐसी अवधारणा है जो किसी एक व्यक्ति या निकाय से जनसमूह में शक्ति को हस्तांतरित करती है।

  • भारत वेब 3.0 प्रौद्योगिकी के आरंभिक समर्थकों में से एक रहा है। NASSCOM और WazirX की ‘क्रिप्टोटेक इंडस्ट्री इन इंडिया, 2021' रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 230 से अधिक वेब 3.0 स्टार्ट-अप शुरू भी हो चुके हैं।
  • वेब 3.0 के माध्यम से इंटरनेट प्रौद्योगिकी की उन्नति के साथ इस बात की प्रबल संभावना है कि प्रौद्योगिकी का शस्त्रीकरण हो, साइबर खतरे अधिक व्यापी हो जाएँ और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये चुनौतियाँ और बढ़ जाएँ। इस परिदृश्य में आवश्यक है कि वेब 3.0 की भविष्य की व्यवहार्यता और संवहनीयता के संबंध में इसकी बारीकी से जाँच की जाए।

वेब के विभिन्न संस्करण कौन-से हैं?

  • वेब 1.0: इसे पहला चरण माना जाता है, जहाँ लोगों के लिये सुलभ अधिकांश वेब ‘रीड ऑनली’ (Read-only) श्रेणी के थे, यानी उपयोगकर्त्ताओं के पास सामग्री को केवल पढ़ सकने का अवसर था, वे इसके साथ इंटरैक्ट या अंतःक्रिया नहीं कर सकते थे।
    • इसमें न्यूज़ साइट, पोर्टल और सर्च इंजन जैसे कंटेंट शामिल थे।
  • वेब 2.0: वेब 2.0 के साथ जो नया प्रमुख पहलू चलन में आया, वह है अंतःक्रिया (interaction)। सोशल मीडिया पर ‘लाइक’ करने, वीडियो पर 'कमेंट' करने और रुचिकर कंटेंट को ‘शेयर’ करने का चलन तेज़ी से लोकप्रिय हुआ।
    • यह ऐसे चरण के रूप में भी आगे बढ़ा जहाँ पेजों पर विज्ञापन पॉप-अप होने लगे (डेटा बिट्स पर आधारित) और कंटेंट का मुद्रीकरण (monetisation) का विकास हुआ।
  • वेब 3.0: वेब 3.0 इंटरनेट के विकास में एक नए चरण का प्रतिनिधित्व करता है, अर्थात विकेंद्रीकरण, खुलेपन और वृहत उपयोगकर्ता उपयोगिता की अवधारणा के साथ एक प्रकट रूप से गतिशील, अर्थपूर्ण और स्थानिक वेब।

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वेब 3.0 का सकारात्मक पक्ष

  • खुला और पारदर्शी नेटवर्क: वेब 3.0 एक खुला नेटवर्क है; सभी एप्लीकेशन और प्रोग्राम ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर का उपयोग कर विकसित किये जाते हैं।
    • अनिवार्य रूप से डेवलपमेंट के लिये कोड (code for development), जो एक आभासी संसाधन है, समुदाय के लिये सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होता है और विकास प्रक्रिया को भी पारदर्शी रखा जाता है।
  • निर्बाध पारितंत्र: वेब 3.0 के साथ प्लेटफ़ॉर्म कंपनियों द्वारा डेटा पर केंद्रीकृत नियंत्रण व्यक्तियों के हाथों में चला जाता है, जहाँ ब्लॉकचेन पर स्मार्ट प्रोटोकॉल के उपयोग से थर्ड पार्टी की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
    • इस प्रकार, यह एक भरोसा-रहित, अनुमति-रहित और निर्बाध पारितंत्र (trustless, permissionless and seamless ecosystem) को आगे बढ़ाता है।
  • विक्रेताओं और ग्राहकों के बीच प्रत्यक्ष संबंध: वेब 3 प्रौद्योगिकी मध्यस्थों का भी उन्मूलन कर सकती है, जिससे विक्रेता और ग्राहक को प्रत्यक्ष अंतःक्रिया का अवसर मिलता है।
    • नॉन-फंजीबल टोकन (Non-fungible tokens) पहले से ही इसे काफी हद तक सक्षम कर रहे हैं (अधिकांशतः स्टेटिक डिजिटल आर्ट में), लेकिन इस व्यवस्था को संगीत, फ़िल्मों और अन्य माध्यमों में भी आसानी से दोहराया जा सकता है।
  • व्यक्तिकृत अनुभव: इसमें भौतिक और डिजिटल दुनिया के बीच की रेखाओं को धुंधला करने की क्षमता है। उदाहरण के लिये, AI-सक्षम वेब 3.0 का उपयोग करने वाले ई-कॉमर्स के मामले में विक्रेता खरीदारी की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम होंगे।
    • वे उन उत्पादों एवं सेवाओं को खरीदारों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे जिनकी खरीद में वे रुचि रखते हैं। इसके साथ ही, खरीदारों को अधिक उपयोगी और संबंधित विज्ञापन दिखाई देंगे।
  • स्वतंत्र मुद्रीकरण: केंद्रीकृत कंटेंट प्रबंधन में उपयोगकर्ता-जनित कंटेंट आमतौर पर उस प्लेटफ़ॉर्म से संबंधित होता है जहाँ उन्हें प्रकाशित किया जाता है, लेकिन वेब 3.0 कंटेंट क्रिएटर्स को मुद्रीकरण का बेहतर अवसर देकर उन्हें सशक्त बना सकता है।
    • भारत में लगभग 20 लाख पेशेवर कंटेंट क्रिएटर्स इससे लाभान्वित हो सकते हैं।

वेब 3.0 से संबद्ध हानि

  • साइबर अपराधों में वृद्धि: कुछ विशेषज्ञों के अनुसार वेब 3 को विनियमित करना कठिन होगा। वे आगे दावा करते हैं कि विकेंद्रीकरण नए प्रकार के साइबर अपराधों को जन्म दे सकता है। इससे अन्य बातों के अलावा साइबर अपराध और ऑनलाइन दुरुपयोग (online abuse) में वृद्धि हो सकती है।
    • क्रिप्टोकरेंसी-आधारित अपराध एक प्रमुख विषय है जिसे अभी भी संबोधित किया जाना बाकी है, विशेष रूप से यह देखते हुए कि समग्र लेनदेन की मात्रा बढ़ने का अर्थ है कि अवैध लेनदेन का मूल्य बढ़ रहा है।
  • शिकायत निवारण तंत्र का अभाव: इसकी विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण प्रश्न उठता है कि शिकायतों के मामले में किससे संपर्क किया जाए और डेटा उल्लंघन के लिये कौन जवाबदेह है।
  • सेंसरशिप तंत्र की कमी: वेब 3.0 सेंसरशिप पर कोई विचार नहीं करता है। यह अश्लील और उत्तेजक कंटेंट्स को जन्म दे सकता है।
    • इसके साथ ही, अश्लील या मानहानिकारी सूचना, फ़ोटो या वीडियो को हटाना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्राधिकारों के लिये चुनौतीपूर्ण होगा।
  • स्केलेबिलिटी/मापनीयता संबंधी चिंता: वेब 3.0 की स्केलेबिलिटी एक प्रमुख चिंता का विषय है, क्योंकि यह ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के अपेंड-ऑनली डेटा स्टोरेज तंत्र (append-only data storage mechanism) के कारण, इसे संशोधित नहीं किया जा सकता है, और चूँकि मांग बढ़ रही है, इसकी भंडारण क्षमता सीमित है।
  • विनियामक कमी: वेब 3.0 उद्योग अभी भी भारत में विनियामक क्षेत्र में अपनी राह तलाश रहे हैं क्योंकि इसे अभी तक सुदृढ़ रूप प्रदान नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त, कई देशों ने अभी तक इस क्षेत्र में कदम नहीं रखा है और इसके उपयोग के लिये स्पष्ट प्रोटोकॉल को परिभाषित नहीं किया है।

आगे की राह

  • भारत के लिये अवसर: भारत ने अपने घरेलू सामाजिक-आर्थिक विकास को आकार देने में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। इस प्रौद्योगिकी ने अधिक समावेशन और प्रभावशाली सामाजिक परिणाम उत्पन्न किये हैं।
    • उदाहरण के लिये, आधार, जन धन, UPI, टीकाकरण के लिये CoWin आदि के माध्यम से भारत ने निम्न-लागतपूर्ण, उच्च-प्रभावी ‘टेक-फ़ॉर-बेटर-लाइफ’ नवाचार का निर्माण किया है।
    • इस क्रम में, भारत एक नेतृत्वकारी एवं उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हुए वेब 3.0 के इस प्रारंभिक विकास चरण का लाभ भी उठा सकता है।
      • वेब 3.0 भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के मूल्य में तेज़ी ला सकता है। ऐसे अवसरों के साथ, भारत को वेब 3.0 मानचित्र पर अच्छी तरह से स्थापित करने के लिये स्टार्टअप पारितंत्र को बढ़ावा और वित्तीय प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
  • ई-सिटिज़न और ई-गवर्नेंस को पुनर्जीवित करना: वेब 3.0 का उपयोग डिजिटल सरकारी सेवाओं के बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव के साथ-साथ अधिक साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिये बेहतर गुणवत्तापूर्ण डेटा हेतु किया जा सकता है।
    • सरकार के परिप्रेक्ष्य से, ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के माध्यम से क्रॉस-मिनिस्ट्रियल सेवाओं को और अधिक तेज़ी से निर्मित किया जा सकता है।
  • अंतर-संचालित और नैतिक मानकों पर ध्यान देना: चूँकि सभी प्रौद्योगिकियाँ विकसित होती हैं, इंटरनेट का विकास भी अपरिहार्य है। वेब 3.0 को वैश्विक आर्थिक विकास का एक मज़बूत प्रणोदक बनाने के लिये राष्ट्रों और औद्योगिक निकायों द्वारा ठोस मानकों के साथ खुले, नैतिक और अंतर-संचालित तंत्रों के निर्माण हेतु सक्रिय प्रयास की आवश्यता है।
  • विकेंद्रीकृत विज्ञान (Decentralised Science- (DeSc): वेब 3.0 की विकेंद्रीकृत प्रकृति का उपयोग विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में पेटेंट की बाधाओं को दूर करने और वैश्विक भलाई के लिये उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने के लिये किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये, ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग वायरस के डीएनए जीनोम अनुक्रमण से संबंधित वृहत डेटा को संगृहीत और वर्गीकृत करने के लिये किया गया था।

अभ्यास प्रश्न: चर्चा करें कि भारत अपने घरेलू सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये वेब 3.0 की क्षमता का लाभ कैसे उठा सकता है

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