‘ब्लॉकचेन’ प्रौद्योगिकी से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

ब्लॉकचेन (blockchain) क्या है?

  • ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिससे बिटकॉइन (bitcoins) नामक मुद्रा का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजानिक बही खाता’ (public ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन अथवा ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड दर्ज़ किया जाता है।
  • ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
  • विदित हो कि ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। वर्तमान में बैंकों में ग्राहकों और आपूर्त्तिकर्त्ताओं से सीधे जुड़कर ही लेन-देन किया जाता है।
  • इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को खाता बही खाते में रिकॉर्ड किया जाता है। दरअसल, ब्लॉकचेन की तुलना वर्ष 1990 में इंटरनेट की स्थिति से भी की जा सकती है।
  • ध्यातव्य है कि पिछले दो दशकों में ‘इंटरनेट सूचनाओं’ (Internet of Information) ने हमारे समाज में परिवर्तन कर दिया है। साथ ही अब हम ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ ब्लॉकचेन भी ‘इंटरनेट ऑफ ट्रस्ट’ (Internet of Trust) और ‘इंटरनेट ऑफ वैल्यू’ (Internet of Value’) के माध्यम से वही कार्य करने में सक्षम होगा।

इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?

  • इस प्रौद्योगिकी की उत्पत्ति के संबंध में कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है, परन्तु ऐसा माना जाता है कि बिटकॉइन का आविष्कार करने वाले स्यूडोनिम सातोशी नाकामोटो (pseudonym Satoshi Nakamoto) नामक व्यक्ति द्वारा बनाए गए लोगों के एक समूह ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को समर्थन देने के लिये इस प्रौद्योगिकी की खोज की। 

प्रौद्योगिकी का महत्त्व

  • बिटकॉइन इस प्रौद्योगिकी का मात्र एक अनुप्रयोग है, जिसके उपयोग की जाँच अनेक उद्योगों में की जा रही है। भारत के बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में इसके प्रति बहुत आकर्षण देखने को मिल रहा है। वस्तुतः इन क्षेत्रों में कई लोग संघ का निर्माण कर रहे हैं, ताकि वे उद्योगों के स्तर पर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों से विश्व को अवगत करा सकें। 
  • उदाहरण के लिये, भारत में ‘बैंकचैन’ नामक एक संघ है जिसमें भारत के लगभग 27 बैंक (जिनमें भारतीय स्टेट बैंक और आई.सी.आई.सी.आई भी शामिल हैं) शामिल हैं और मध्य पूर्व के राष्ट्र इसके सदस्य हैं। यह संघ व्यवसायों को सुरक्षित और तेज़ बनाने के लिये ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों का व्यापक प्रसार कर रहा है। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक की एक शाखा ‘इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी’ ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लिये एक आधुनिक प्लेटफॉर्म का विकास कर रही है।

इसके क्या लाभ हैं?

  • ब्लॉकचेन के उपयोग के लाभ सभी लेन-देनों के लिये भिन्न-भिन्न होंगे। डेलॉइट और एसोचैम के अनुसार, ब्लॉकचेन उस समय अधिक लाभकारी सिद्ध होगा जब आँकड़े अधिक हों और उन्हें अनेक लोगों के बीच साझा करना हो तथा उन लोगों के मध्य विश्वास की भावना न हो। 
  • दरअसल, इस प्रौद्योगिकी से सबसे अधिक लाभ वित्तीय निवेशकों को होगा।
  • विश्व आर्थिक फोरम द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, विश्व भर में 90 से अधिक केंद्रीय बैंक ब्लॉकचेन चर्चा में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त पिछले तीन वर्षों में इसके लिये 2,500 पेटेंट दर्ज़ किये गए हैं।
  •  80% बैंकों ने वर्ष 2017के अंत तक ब्लॉकचेन की शुरुआत करने की भविष्यवाणी भी कर दी है। वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में यह नई प्रौद्योगिकी एक आशा की किरण बनकर उभरेगी।
  • यहाँ तक कि गैर-बैंकिंग क्षेत्रों (जैसे-रिटेल, यात्रा, स्वास्थ्य देखभाल, टेलीकम्युनिकेशन और सार्वजानिक क्षेत्र के उद्योग) के लोग भी ब्लॉकचेन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले अवसरों पर ध्यान दे रहे हैं। ध्यान देने योग्य है कि  यह प्रौद्योगिकी केवल ऐसे उद्योगों पर लागू होगी, जो विकेन्द्रित डाटा संग्रहण, डाटा अपरिवर्तनीयता और ब्लॉकचेन की वितरित स्वामित्व सुविधाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।

भारत की स्थिति

  • एक उच्च स्तरीय समिति जिसमें वित्त, गृह और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के साथ ही सेबी, भारतीय रिज़र्व बैंक, स्टेट बैंक और नीति आयोग के अधिकारीगण मौजूद हैं, इस विषय पर विचार-विमर्श कर रही है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को बंद किया जाना चाहिये अथवा नहीं। 
  • हालाँकि अब तक हुए विचार-विमर्शों से इस बात की पुष्टि हुई है कि इस समिति ने ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की मंशा व्यक्त की है।

निष्कर्ष

यह अपेक्षा की जा रही है कि बिचौलियों को हटाकर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी किसी भी प्रकार के लेन-देन की दक्षता में सुधार लाएगी तथा इससे सभी लेन-देनों की लागत में भी कमी आएगी। इससे पारदर्शिता में भी वृद्धि होगी तथा फर्जी लेन-देनों से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि इसके अंतर्गत प्रत्येक लेन-देन को एक सार्वजानिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाएगा।