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101 नई एकीकृत कोल्‍ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी

  • 31 Mar 2017
  • 6 min read

समाचारों में क्यों ?

फल, फूल एवं अन्य कृषि उपज को उचित तरीके से सहेजकर उसे एक बेहतर तरीके से उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिये सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। गौरतलब है कि भारत विश्व में सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक होने के साथ-साथ फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके बावजूद यहाँ केवल 2.2 प्रतिशत फलों और सब्जियों का प्रसंस्‍करण ही किया जाता है। परिणामतः जल्दी ख़राब होने वाली चीजों के तेज़ी से ख़राब होने की सम्भावना बनी रहती है। इससे अरबों रुपये की हानी होती है। इसी तथ्य को मद्देनज़र रखते हुए भारत सरकार ने एकमुश्त 101 शीत भंडारों की एक श्रृंखला बनाने के मसौदे को मंजूरी प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु 

  • भारत में प्रत्‍येक खाद्य उत्पादन केंद्र पर सस्ते शीत भंडार और शीत श्रृंखलाओं की आवश्यकता है। मौजूदा शीत भंडार सुविधा कुछ राज्यों में ही केंद्रित है और मौटे तौर पर 80 से 90% शीत भंडारों का आलू के भंडारण के लिये उपयोग किया जाता है। 
  • खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय देश में राष्ट्रीय कोल्‍ड चेन ग्रिड का निर्माण कर रहा है ताकि सभी खाद्य उत्पादक केन्द्रों को शीत भंडारण और प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ा जा सके।
  • इसके अतिरिक्त खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय नई कोल्‍ड चेन अवसंरचना को भी स्थापित करने में जुटा हुआ है, जिसमें शीत भंडारण और प्रसंस्करण दोनों ही सुविधाएँ शामिल हैं|
  • इससे कोल्ड चेन में खेतों से उपज को सीधे उठाकर फ्रीजर ट्रकों में लादने, उसकी ग्रेडिंग ओर छँटाई के साथ-साथ उसे कोल्ड स्टोरों में रखने संबंधी समस्त व्यवस्था की जाएगी|
  • इसके उपरांत इसे खुदरा बाज़ार के रास्ते उपभोक्ताओं की रसोई तक पहुँचाने के मार्ग को प्रशस्त किया जाएगा|

वर्तमान स्थिति

  • ध्यातव्य है कि अभी तक देश में कुल 133 कोल्ड चेन परियोजनाएँ ही स्थापित की गई हैं| एतएव सरकार द्वारा मंजूरी प्राप्त ये 101 नई एकीकृत कोल्‍ड चेन परियोजनाएँ इस दिशा में एक प्रभावकारी कदम साबित होगी।

लाभ

  • ये परियोजनाएँ फलों और सब्जियों, डेयरी, मछली, मांस, समुद्री उत्‍पाद, मुर्गी उत्‍पाद, खाने के लिये तैयार/पकाने के लिये तैयार खाद्य पदार्थों के संरक्षण एवं भंडारण के लिये आरंभ की गई हैं।
  • इन एकीकृत कोल्‍ड चेन परियोजनाओं से संबंधित राज्यों में न केवल खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना के विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्‍कि किसानों को भी उनके उत्‍पाद की बेहतर कीमत उपलब्‍ध होगी जो किसानों की आय को दुगुना करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
  • वस्तुतः इससे न केवल जल्‍दी खराब होने वाले उत्‍पादों की बर्बादी को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि कृषि उत्‍पादों के मूल्‍य संवर्द्धन में सहायता मिलने के अलावा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के बड़े अवसर भी पैदा होंगे।
  • इससे कृषि आपूर्ति श्रृंखला में बर्बादी कम हो जाएगी और बड़ी संख्‍या में रोज़गार के अवसर जुटाने में भी सहायता प्राप्त  होगी।

निवेश संबंधी पक्ष

  • कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन अवसंरचना योजना में उद्यमियों को 10 करोड़ तक की वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध कराई जाती है। इन नई एकीकृत कोल्‍ड चेन परियोजना के तहत् खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र के लिये आधुनिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने के लिये 3100 करोड़ रुपये के कुल निवेश की ज़रूरत पड़ेगी।
  • इन परियोजनाओं के लिये कुल अनुमानित ग्रांड-इन-एड 838 करोड़ रुपये होगी।

क्षमता

  • इन 101 नई कोल्ड चेन परियोजनाओं से 2.76 लाख मीट्रिक टन कोल्ड स्टोरेज / नियंत्रित वायुमंडल / फ्रोज़न भंडारों की अतिरिक्त क्षमता, 115 मीट्रिक टन प्रति घंटे की व्यक्तिगत त्वरित फ्रीजिंग (आईक्यूएफ) क्षमता, 56 लाख लीटर प्रति दिन दूध प्रोसेसिंग की क्षमता, 210 मीट्रिक टन प्रति बैच ब्लास्ट फ्रीजिंग और 629 रेफ्रिजेरेटेड/ इंसुलेटेड वाहनों की क्षमता उपलब्‍ध होगी।

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि भारत सरकार को उपरोक्‍त कोल्‍ड चेन अवसंरचना और अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने और देश में आवश्‍यक खाद्य प्रसंस्‍करण अवसंरचना के बुनियादी ढाँचे का और अधिक विस्‍तार करने तथा मज़बूती प्रदान करने के लिये अभी लंबा रास्‍ता तय करना होगा। हालाँकि सरकार के इस फैसले से उत्पादकों से प्रसंस्‍करणकर्ताओं, खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों से छोटी, सुसंगत और संपीड़ित आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद मिलेगी और इससे फल और सब्‍जी तथा दुग्‍ध प्रसंस्‍करण तथा गैर-बागवानी खाद्य उत्‍पादों के प्रसंस्करण को भी बढ़ावा मिलेगा|

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