सामाजिक न्याय
विकसित भारत के निर्माण हेतु प्रतिभा का संवर्द्धन
- 21 Oct 2025
- 109 min read
यह एडिटोरियल 17/10/2025 को द हिंदू बिज़नेस लाइन में प्रकाशित “How India can become a global talent hub” पर आधारित है। इसमें भारत के प्रतिभा पलायन की समस्या से निपटने के लिये द्वि-स्तरीय रणनीति प्रस्तुत की गई है। लेख में इस बात पर बल दिया गया है कि विकसित भारत- 2047 की दिशा में देश की प्रगति अपने श्रेष्ठ प्रतिभाओं को देश में बनाए रखने और वैश्विक भारतीय प्रवासी समुदाय को पुनः आकर्षित करने की क्षमता पर निर्भर करती है।
प्रिलिम्स के लिये: नोबेल पुरस्कार, वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक, विकसित भारत- 2047, प्रवासी समुदाय
मेन्स के लिये: दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बनाए रखने में नवाचार की भूमिका, भारत के निरंतर प्रतिभा पलायन के कारण और परिणाम, अनुसंधान और नवाचार में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका।
आर्थिक विज्ञान में वर्ष 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने यह स्पष्ट किया कि दीर्घकालिक आर्थिक विकास का मूल स्रोत नवाचार और तकनीकी नवीनीकरण है, जहाँ नई सोच, पुराने तकनीक को प्रतिस्थापित कर प्रगति को आगे बढ़ाती हैं। यह दृष्टि भारत की मौजूदा विकास यात्रा से गहराई से जुड़ी है, क्योंकि देश अब प्रतिभा आपूर्तिकर्त्ता से अवसर सृजनकर्त्ता बनने की दिशा में अग्रसर है। विकसित भारत- 2047 का लक्ष्य प्राप्त करना केवल इंजीनियरों या वैज्ञानिकों के निर्माण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि देश अपनी बौद्धिक प्रतिभा को एक रणनीतिक राष्ट्रीय संसाधन के रूप में किस प्रकार संरक्षित, विकसित और पुनः आकर्षित करता है।
भारत को अपने विकासात्मक भविष्य के लिये नवाचार और प्रतिभा प्रतिधारण को प्राथमिकता क्यों देनी चाहिये?
- दीर्घकालिक विकास के मुख्य चालक के रूप में नवाचार: आर्थिक इतिहास और वर्ष 2025 के नोबेल पुरस्कार इस बात की पुष्टि करते हैं कि निरंतर समृद्धि निरंतर नवाचार एवं तकनीकी नवीनीकरण से आती है, न कि केवल पूंजी या श्रम विस्तार से। भारत के लिये, कारक-संचालित से ज्ञान-संचालित विकास में परिवर्तन के लिये नवाचार आवश्यक है।
- एक रणनीतिक संसाधन के रूप में मानव पूंजी: 21वीं सदी में बौद्धिक प्रतिभा राष्ट्रीय शक्ति का ऐसा वास्तविक स्रोत बन गई है, जो अब प्राकृतिक संसाधनों की प्रतिस्पर्द्धा करती है। कुशल पेशेवरों को बनाए रखना और वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं नवप्रवर्तकों का पोषण करना भारत की आर्थिक व भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बनाए रखने की कुंजी है।
- वैश्विक नवाचार अंतराल को कम करना: यद्यपि भारत विश्व का प्रतिभा आपूर्तिकर्त्ता है, लेकिन वैश्विक नवाचार सूचकांक (2025) में इसकी 38वीं रैंकिंग बौद्धिक क्षमता को घरेलू नवाचार में बदलने की आवश्यकता को दर्शाती है। अनुसंधान एवं विकास में प्रतिधारण और पुनर्निवेश के बिना, भारत बुद्धि का उत्पादक एवं विचारों का उपभोक्ता होने का जोखिम उठाता है।
- उभरती प्रौद्योगिकियों की माँगों को पूरा करना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी और अर्द्धचालकों में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा आर्थिक पदानुक्रम को परिभाषित करेगी। विकसित भारत- 2047 सहित भारत के विकास लक्ष्य इन उभरते क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमता और प्रतिभा पाइपलाइनों के निर्माण पर निर्भर हैं।
- प्रतिभा पलायन पर नियंत्रण और समावेशी विकास को प्रोत्साहन: विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में उच्च-कुशल युवाओं का प्रवास भारत के जनांकिकीय लाभांश को कमज़ोर करता है। यदि देश अपने भीतर उच्च-स्तरीय अवसरों और वैश्विक मानकों वाले अनुसंधान वातावरण को विकसित करे, तो वह यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसकी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएँ घरेलू नवाचार, रोज़गार सृजन एवं संतुलित विकास में सक्रिय भूमिका निभाएंगी।
- ‘प्रतिभा पलायन’ की लागत को कम करना: उच्च कुशल पेशेवरों का पलायन एक बड़े राष्ट्रीय नुकसान का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि देश उनकी शिक्षा का खर्च वहन करता है जबकि अन्य अर्थव्यवस्थाएँ उनके नवाचार और कर योगदान का लाभ उठाती हैं।
- गुणक प्रभाव को उत्प्रेरित करना: भारत में वापस आकर या यहीं रहकर एक शीर्ष स्तरीय वैज्ञानिक या उद्यमी एक शोध प्रयोगशाला या गहन तकनीक स्टार्टअप स्थापित कर सकता है, जिससे सैकड़ों नौकरियाँ उत्पन्न होंगी, अगली पीढ़ी को मार्गदर्शन मिलेगा तथा एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा।
भारत के प्रतिभा पलायन से प्रतिभा प्राप्ति तक की यात्रा में कौन-सी प्रमुख चुनौतियाँ बाधा बन रही हैं?
- उच्च-स्तरीय अनुसंधान के अपर्याप्त अवसर: बड़े पैमाने पर, महत्त्वाकांक्षी ‘मून-शॉट’ परियोजनाओं (जैसे: एक समर्पित AI मिशन या राष्ट्रीय जीनोमिक्स पहल) और शैक्षणिक संस्थानों व सार्वजनिक संस्थानों में विश्व स्तरीय अनुसंधान अवसंरचना का अभाव, प्रतिभाशाली प्रतिभाओं को चुनौती देने तथा उन्हें बनाए रखने में विफल रहता है।
- गैर-प्रतिस्पर्द्धी शैक्षणिक और व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र: अनुदानों में प्रशासनिक बाधाएँ, सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में सीमित स्वायत्तता और वरिष्ठ संकाय पदों की कमी जैसे मुद्दे, विदेशों में आकर्षक एवं सुव्यवस्थित अवसरों की तुलना में शैक्षणिक कॅरियर को कम आकर्षक बनाते हैं।
- जीवन की निम्नस्तरीय गुणवत्ता और प्रणालीगत अक्षमताएँ: कार्यस्थल से परे शहरी जाम, प्रदूषण तथा दैनिक जीवन में प्रशासनिक जटिलताओं जैसे कारक देश में प्रतिभा को बनाए रखने तथा वैश्विक स्तर पर प्रशिक्षित पेशेवरों को भारत वापसी के लिये प्रेरित करने में प्रमुख अवरोध बनते हैं।
- समन्वित राष्ट्रीय रणनीति का अभाव: चीन के ‘थाउजेंड टैलेंट्स प्रोग्राम’ के विपरीत, भारत में एक एकीकृत, उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय मिशन का अभाव है जिसमें स्पष्ट प्रोत्साहन, त्वरित प्रक्रिया तंत्र और प्रतिभा प्रतिधारण एवं आकर्षण का सक्रिय प्रबंधन करने हेतु कम से कम एक भी जवाबदेह एजेंसी हो।
- स्वदेश वापस लौटने वालों के लिये आव्रजन एवं नियामक संबंधी बाधाएँ: विदेशी जीवनसाथियों के लिये जटिल वीज़ा प्रक्रियाएँ, वैश्विक आय से संबंधित कर संबंधी अस्पष्टताएँ और संरचित पुनः-कौशल कार्यक्रमों का अभाव, भारत लौटने पर विचार कर रहे प्रवासी समुदाय के लिये महत्त्वपूर्ण अवरोध उत्पन्न करते हैं।
भारत में नवाचार और प्रतिभा प्रतिधारण को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहल
भारत की बौद्धिक प्रतिभा को राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में बनाए रखने और उसका लाभ उठाने के लिये किन रणनीतिक सुधारों की आवश्यकता है?
- ‘भारत प्रतिभा गठबंधन’ (BTA) की स्थापना: प्रधानमंत्री कार्यालय अथवा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक उच्च-शक्तिशाली, वैधानिक निकाय का गठन किया जाना चाहिये जो केंद्रीय तंत्रिका केंद्र के रूप में कार्य करे। यह मंत्रालयों के बीच समन्वय करेगा, लक्ष्य निर्धारित करेगा और प्रतिभा-संबंधी सभी नीतियों को सुव्यवस्थित करेगा।
- एक द्वि-आयामी प्रोत्साहन कार्यढाँचा लागू करना:
- BHARAT-STAY: अनुकूल, दीर्घकालिक अनुसंधान अनुदान प्रदान किया जाना चाहिये, आकर्षक शैक्षणिक-उद्योग मिश्रित कॅरियर का सृजन और स्नातकों को बनाए रखने के लिये उच्च-गुणवत्ता वाले जीवन स्तर वाले प्रमुख शहरों में ‘नवाचार गलियारों’ को विकसित किया जाना चाहिये।
- BHARAT-RETURN: वैश्विक भारतीय प्रतिभाओं की सुचारू स्वदेश-वापसी और पुनः एकीकरण को सुगम बनाने के लिये फास्ट-ट्रैक वीज़ा, कर प्रोत्साहन, उनके जीवनसाथी के लिये सुनिश्चित प्लेसमेंट एवं समर्पित पुनः-कौशल प्लेटफॉर्म प्रदान किये जाने चाहिये।
- "आकांक्षी मेगा-प्रोजेक्ट्स" का शुभारंभ: उभरते क्षेत्रों (जैसे: राष्ट्रीय AI मिशन, सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता मिशन) में 3-4 बड़े पैमाने की, मिशन-मोड राष्ट्रीय परियोजनाओं का अभिनिर्धारण कर उन्हें वित्तपोषित किया जाना चाहिये। ये आकर्षण केंद्र के रूप में कार्य करेंगे और वैश्विक मानकों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने वाले चुनौतीपूर्ण अवसर प्रदान करेंगे।
- सुदृढ़ सार्वजनिक-निजी-उद्योग साझेदारी को बढ़ावा देना: पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टरेट के लिये बढ़े हुए कर क्रेडिट एवं सह-वित्तपोषण के माध्यम से निजी क्षेत्र के अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। अनुसंधान एवं बाज़ार अनुप्रयोग के बीच के अंतराल को समाप्त करने के लिये विश्वविद्यालयों के सहयोग से उन्नत अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिये उद्योग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- समग्र प्रतिभा पारिस्थितिकीय तंत्र को बढ़ावा देना: प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों (IIT, IISER, आदि) को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये अधिक स्वायत्तता और वित्त पोषण प्रदान किया जाना चाहिये। साथ ही, शहरी शासन, जीवन को सरल बनाने और कार्य-जीवन संतुलन में सुधार के लिये प्रणालीगत सुधारों को लागू किया जाना चाहिये, जिससे भारत एक अधिक आकर्षक दीर्घकालिक गंतव्य बन सके।
- नवाचार गलियारों एवं गहन प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण: बंगलुरु, पुणे, हैदराबाद और NCR में विशेष केंद्र विकसित किये जाने चाहिये, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, स्टार्ट-अप एवं वैश्विक निवेशकों को जीवनशैली के अनुकूल अवसंरचना के साथ एकीकृत किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
नवाचार शक्ति की नई मुद्रा है और भारत के भविष्य का विकास उसके लोगों की प्रतिभा पर निर्भर करेगा। वर्ष 2025 के नोबेल पुरस्कार की अंतर्दृष्टि हमें स्मरण कराती है कि स्थायी प्रगति की उत्पत्ति रचनात्मक नवीनीकरण से होती है, न कि केवल विस्तार से। एक राष्ट्रीय मिशन जो बुद्धिमत्ता को एक रणनीतिक संसाधन के रूप में महत्त्व देता है, प्रतिभा पलायन को प्रतिभा पुनर्संयोजन में परिणत कर सकता है, जिससे भारत वैश्विक नवाचार व्यवस्था में अग्रणी बन सकता है। अंततः, किसी राष्ट्र की वास्तविक संपत्ति उसकी खदानों या बाज़ारों में नहीं, बल्कि उन प्रतिभाओं में निहित होती है जो उसके भाग्य को आकार देते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. “विकसित भारत- 2047 तक भारत की यात्रा केवल तकनीकी प्रगति पर ही नहीं, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करेगी कि वह अपनी बौद्धिक प्रतिभा का कितनी प्रभावी ढंग से उपयोग और उसे बनाए रखता है।” भारत को प्रतिभा-निर्यातक से प्रतिभा-आकर्षित करने वाली नवाचार अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने के लिये आवश्यक प्रमुख चुनौतियों और रणनीतिक सुधारों का परीक्षण कीजिये। |
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1. भारत-प्रतिभा ढाँचे का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
भारत की शीर्ष प्रतिभाओं को बनाए रखने (BHARAT-STAY) और वैश्विक भारतीय पेशेवरों को पुनः आकर्षित करने (BHARAT-RETURN) के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय प्रणाली बनाना ताकि नवाचार-आधारित विकास को तीव्र गति दी जा सके।
प्रश्न 2. भारत प्रतिभा गठबंधन (BTA) क्या है?
BTA, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय या PMO के अंतर्गत एक प्रस्तावित राष्ट्रीय समन्वय निकाय है, जिसका उद्देश्य प्रतिभा नीतियों, प्रवासी जुड़ाव एवं नवाचार साझेदारी को एकीकृत करना है।
प्रश्न 3. भारत प्रतिभा गठबंधन (BTA) की प्रस्तावित भूमिका क्या है?
मंत्रालयों में प्रतिभा-संबंधी नीतियों का समन्वय करना, प्रवासी जुड़ाव का प्रबंधन करना, राष्ट्रीय नवाचार लक्ष्यों को संरेखित करना और भारत प्रतिभा सम्मेलनों और उत्सवों का आयोजन करना।
प्रश्न 4. भारत-प्रतिभा कार्यढाँचे के दो घटक क्या हैं?
BHARAT-STAY: अनुसंधान अनुदान, शिक्षा-उद्योग मार्गों और नवाचार गलियारों के माध्यम से भारत के स्नातकों को बनाए रखने पर केंद्रित।
BHARAT-RETURN: फास्ट-ट्रैक वीज़ा, कर स्पष्टता और पुनः कौशल विकास सहायता के साथ प्रवासी प्रतिभाओं को पुनः आकर्षित करने पर केंद्रित।
प्रश्न 5. प्रतिभा प्रतिधारण भारत को आर्थिक रूप से किस प्रकार लाभान्वित कर सकता है?
प्रत्येक वर्ष 25% अधिक STEMM स्नातकों को बनाए रखने से नवाचार, पेटेंट और रोज़गार सृजन के माध्यम से 2030 के दशक तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अरबों डॉलर का योगदान हो सकता है।
प्रश्न 6. प्रतिभा पलायन को रोकने में भारत के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
प्रमुख चुनौतियों में अपर्याप्त उच्च-स्तरीय अनुसंधान अवसर, शिक्षा जगत में प्रशसनिक बाधाएँ, जीवन की निम्नस्तरीय गुणवत्ता, समन्वित राष्ट्रीय रणनीति का अभाव और स्वदेश लौटने वालों के लिये जटिल वीज़ा या कराधान नियम शामिल हैं। ये सभी मिलकर वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में भारत के आकर्षण को सीमित करते हैं।
प्रश्न 7. भारत प्रतिभा पलायन को प्रतिभा लाभ में किस प्रकार बदल सकता है?
नवाचार गलियारों का निर्माण करके, राष्ट्रीय ‘मून-शॉट’ मिशन शुरू करके, विश्वविद्यालय की स्वायत्तता बढ़ाकर, वैश्विक स्तर की अनुसंधान निधि प्रदान करके और प्रवासी पेशेवरों के लिये स्थानांतरण नीतियों को सरल बनाकर। इससे प्रतिभा पलायन, प्रतिभा परिसंचरण और मस्तिष्क पुनर्संयोजन में परिवर्तित हो जाएगा।
प्रश्न 8. प्रतिभा प्रतिधारण भारत के लिये क्या आर्थिक लाभ ला सकता है?
विश्लेषकों का अनुमान है कि प्रतिवर्ष 25% अधिक STEMM स्नातकों को बनाए रखने से, नवाचार-आधारित विकास, रोज़गार सृजन, पेटेंट और प्रौद्योगिकी निर्यात के माध्यम से 2030 के दशक तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अरबों डॉलर का योगदान हो सकता है।
प्रश्न 9. प्रवासी भारतीयों की भागीदारी भारत के वैश्विक उत्थान में किस प्रकार योगदान देती है?
प्रवासी भारतीय, सॉफ्ट पावर को सुदृढ़ करते हैं, विदेशी निवेश आकर्षित करते हैं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुगम बनाते हैं तथा वैश्विक शासन में भारत के प्रतिनिधित्व को सुदृढ़ करते हैं। भारत प्रतिभा महोत्सव जैसी पहलों के माध्यम से प्रवासी भारतीयों को शामिल करने से इसे नवाचार कूटनीति के लिये एक रणनीतिक परिसंपत्ति में बदला जा सकता है।
प्रश्न 10. भारत में नवाचार और प्रतिभा विकास का समर्थन करने वाली प्रमुख सरकारी पहल क्या हैं?
प्रमुख पहलों में स्टार्टअप इंडिया, अटल इनोवेशन मिशन, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (सत्र 2023-24), इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) और PM रिसर्च फेलोशिप (PMRF) शामिल हैं। इन सभी का उद्देश्य अनुसंधान, उद्यमिता और नवाचार-आधारित मानव पूंजी को सुदृढ़ करना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न 1. प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
1. यह श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय की फ्लैगशिप स्कीम है।
2. यह, अन्य चीज़ों के साथ-साथ, सॉफ्ट स्किल, उद्यमवृत्ति, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता में भी प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी।
3. यह देश के अविनियमित कार्यबल की कार्यकुशलताओं को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचा (नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क) के साथ जोड़ेगी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
मेन्स
प्रश्न 1. “भारत में जनांकिकीय लाभांश तब तक सैद्धांतिक ही बना रहेगा जब तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और सृजनशील नहीं हो जाती।” सरकार ने हमारी जनसंख्या को अधिक उत्पादनशील और रोज़गार योग्य बनाने की क्षमता में वृद्धि के लिये कौन-से उपाय किये हैं? (2016)