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विश्व आर्द्रभूमि दिवस और दो नए रामसर स्थल

  • 05 Feb 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व आर्द्रभूमि दिवस, भारत में आर्द्रभूमि स्थल, रामसर स्थल।

मेन्स के लिये:

आर्द्रभूमि का महत्त्व और संबंधित खतरे।

चर्चा में क्यों?

विश्व आर्द्रभूमि दिवस प्रतिवर्ष 02 फरवरी, 2022 को दुनिया भर में आयोजित किया जाता है। 

  • इस अवसर पर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC - इसरो का एक प्रमुख केंद्र) द्वारा ‘नेशनल वेटलैंड डेकाडल चेंज एटलस’ तैयार किया गया था।
  • इससे संबंधित मूल एटलस SAC द्वारा वर्ष 2011 में जारी किया गया था और पिछले कुछ वर्षों में सभी राज्य सरकारों द्वारा भी अपनी योजना प्रक्रियाओं में व्यापक रूप से उपयोग किया गया है।
  • इस अवसर पर दो नए रामसर स्थलों (अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि)- गुजरात में खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर प्रदेश में बखिरा वन्यजीव अभयारण्य की भी घोषणा की गई।

विश्व आर्द्रभूमि दिवस:

  • यह दिवस 02 फरवरी, 1971 को ईरानी शहर रामसर में ‘आर्द्रभूमि पर कन्वेंशन’ को अपनाने की तारीख को चिह्नित करता है।
    • रामसर कन्वेंशन एक अंतर-सरकारी संधि है जो आर्द्रभूमि एवं उनके संसाधनों के संरक्षण तथा उचित उपयोग हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये रूपरेखा प्रदान करती है।
    • रामसर सूची के अनुसार, सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (175) और मेंक्सिको (142) हैं। कन्वेंशन संरक्षण के दृष्टिकोण से बोलीविया का क्षेत्रफल (148,000 वर्ग किमी) सबसे बड़ा है।
  • यह दिवस पहली बार वर्ष 1997 में मनाया गया था।
  • वर्ष 2022 के लिये थीम: ‘वेटलैंड एक्शन फॉर पीपल्स एंड नेचर।’

आर्द्रभूमि तथा इसका महत्त्व:

  • आर्द्रभूमि:
    • आर्द्रभूमियांँ पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं। इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं।
  • महत्त्व:
    • आर्द्रभूमियांँ हमारे प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं।
    • आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 1 बिलियन से अधिक लोग जीवनयापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं।
    • ये भोजन, कच्चे माल, दवाओं के लिये आनुवंशिक संसाधनों और जलविद्युत के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
    • भूमि आधारित कार्बन का 30% पीटलैंड (एक प्रकार की आर्द्रभूमि) में संग्रहीत है।
    • ये परिवहन, पर्यटन और लोगों के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक कल्याण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • कई आर्द्रभूमियाँ प्राकृतिक सुंदरता के क्षेत्र हैं और आदिवासी लोगों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

आर्द्रभूमि से संबंधित खतरे:

  • आर्द्रभूमियों पर गठित आईपीबीईएस (जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवा पर अंतर-सरकारी विज्ञान नीति प्लेटफॉर्म) के अनुसार, ये सबसे अधिक विक्षुब्ध पारिस्थितिकी तंत्रों में शामिल हैं।
  • आर्द्रभूमि मानव गतिविधियों और ग्लोबल वार्मिंग के कारण जंगलों की तुलना में 3 गुना तेज़ी से समाप्त हो रही है।
  • यूनेस्को के अनुसार, आर्द्रभूमि के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न होने से विश्व के उन 40% वनस्पतियों और जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जो इन आर्द्रभूमि क्षेत्रों में पाए जाते हैं या प्रजनन करते हैं।
  • प्रमुख खतरे: कृषि, विकास, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन।

भारत में आर्द्रभूमियों की स्थिति:

  • भारत में लगभग 4.6% भूमि आर्द्रभूमि के रूप में है जो 15.26 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है।
    • यूपी में बखिरा वन्यजीव अभयारण्य (Bakhira Wildlife Sanctuary) मध्य एशियाई फ्लाईवे की  प्रजातियों को बड़ी संख्या में सर्दियों के मौसम में एक सुरक्षित आश्रय स्थल प्रदान करता है, जबकि गुजरात का खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य ( Khijadia Wildlife Sanctuary) एक तटीय आर्द्रभूमि है जिसमें समृद्ध विविधता विद्यमान है, यह लुप्तप्राय और सुभेद्य प्रजातियों को एक सुरक्षित आवास प्रदान करती है।
  • भारत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संकलित आकलन और राष्ट्रीय आर्द्रभूमि सूची के अनुसार, आर्द्रभूमि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 4.63% है।
    • भारत में 19 प्रकार की आर्द्रभूमियांँ हैं।
    • आर्द्रभूमि के राज्य-वार वितरण में गुजरात शीर्ष पर है (राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 17.56% या देश के कुल आर्द्रभूमि क्षेत्रों का 22.7% एक लंबी तटरेखा के कारण)।
    • इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है।

रामसर सूची का महत्त्व: 

  • यह एक ISO सर्टिफिकेशन की तरह है। किसी भी स्थल को इस सूची से हटाया भी जा सकता है  यदि यह लगातार उनके मानकों को पूरा नहीं करता है। यह उस मूल्यवान वस्तु की तरह है जिसकी एक लागत तो है पर उस लागत का भुगतान तभी किया जा सकता है जब उस वस्तु की ब्रांड वैल्यू हो।
  • रामसर टैग किसी भी स्थल की मज़बूत सुरक्षा व्यवस्था पर निर्भर करता है और अतिक्रमण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
  • पक्षियों की कई प्रजातियाँ प्रवेश के दौरान हिमालय क्षेत्र में जाने से बचना पसंद करती हैं और इसके बजाय गुजरात और राजस्थान के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने के लिये अफगानिस्तान व पाकिस्तान से गुज़रने वाले मार्ग का चयन करती हैं। इस प्रकार गुजरात कई अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी प्रजातियों जैसे- बतख, वेडर, प्लोवर, टर्न, गल आदि और शोरबर्ड के साथ-साथ शिकारी पक्षियों का पहला ‘लैंडिंग पॉइंट’ बन गया है।
  • भारत में आर्द्रभूमि सर्दियों के दौरान प्रवासी पक्षियों के लिये चारागाह और विश्राम स्थल के रूप में कार्य करती है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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