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सामाजिक न्याय

भारत में महिला एवं पुरुष, वर्ष 2022

  • 20 Mar 2023
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लिंगानुपात, लिंग विवरण, प्रजनन दर

मेन्स के लिये:

भारत में महिला एवं पुरुष, वर्ष 2022 रिपोर्ट

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने भारत में महिला एवं पुरुष, वर्ष 2022 रिपोर्ट जारी की है।

प्रमुख बिंदु 

  • लिंगानुपात: 
    • वर्ष 2017-2019 में जन्म के समय लिंगानुपात 904 से बढ़कर वर्ष 2018-2020 में तीन अंक की वृद्धि के साथ 907 हो गया।
    • वर्ष 2011 के 943 की तुलना में वर्ष 2036 तक भारत में लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएँ) बढ़कर 952 होने की उम्मीद है।
  • श्रम बल में भागीदारी: 
    • वर्ष 2017-2018 में 15 वर्ष से अधिक आयु वाले श्रम बल की भागीदारी में वृद्धि देखी गई है। हालाँकि इसमें पुरुषों की तुलना में महिलाएँ काफी पीछे हैं।
    • वर्ष 2021-2022 में पुरुषों के लिये यह दर 77.2 और महिलाओं के लिये 32.8 थी तथा  अनेक वर्षों से इस असमानता में कोई सुधार नहीं देखा गया है।
    • कार्यस्थल पर पारिश्रमिक और अवसरों के संदर्भ में सामाजिक कारक, शैक्षिक योग्यता तथा लैंगिक असमानता इस प्रकार की समस्या के प्रमुख कारण हैं। 
  • जनसंख्या वृद्धि:
    • जनसंख्या वृद्धि, जो वर्ष 1971 के 2.2% से लेकर वर्ष 2021 में 1.1% रही पहले से ही नीचे की ओर अग्रसर है, के वर्ष 2036 में 0.58% तक गिरने का अनुमान है।  
    • पूर्ण आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 1.2 बिलियन लोगों में महिला जनसंख्या 48.5% थी और वर्ष 2036 में 1.5 बिलियन लोगो में महिला जनसंख्या हिस्सेदारी (48.8%) में मामूली सुधार अपेक्षित है। 
  • लिंग विन्यास के अनुसार आयु:
    • भारत में आयु एवं लिंग संरचना के अनुसार 15 वर्ष से कम आयु की आबादी में गिरावट की और वर्ष 2036 तक 60 वर्ष से अधिक की आबादी में वृद्धि होने की संभावना है। 
    • इस प्रकार जनसंख्या पिरामिड एक परिवर्तन से गुज़रेगा क्योंकि वर्ष 2036 में पिरामिड का आधार छोटा हो जाएगा, जबकि मध्य का भाग बड़ा हो जाएगा। 
      • किसी देश में जनसंख्या की आयु एवं लिंग संरचना विभिन्न माध्यमों से लिंग संबंधी मुद्दों को प्रभावित कर सकती है। समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने वाली आयु संरचना मुख्य रूप से प्रजनन क्षमता और मृत्यु दर के रुझानों से निर्धारित होती है।

  • स्वास्थ्य सूचना और सेवाओं तक पहुँच:
    • संसाधनों और निर्णय लेने की शक्ति तक पहुँच का अभाव, गतिशीलता पर प्रतिबंध आदि पुरुषों तथा लड़कों की तुलना में महिलाओं व लड़कियों हेतु स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं सेवाओं तक पहुँच को अधिक कठिन बनाते हैं।
  • प्रजनन दर: 
    • वर्ष 2016 और 2020 के बीच 20-24 वर्ष तथा 25-29 वर्ष आयु वर्ग हेतु आयु-विशिष्ट प्रजनन दर क्रमशः 135.4 एवं 166.0 से घटकर 113.6 व 139.6 हो गई।
      • इसकी सबसे अधिक संभावना उचित शिक्षा और रोज़गार के माध्यम से आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का परिणाम हो सकता है।
    • यह दर 35-39 आयु वर्ग हेतु वर्ष 2016 के 32.7 से बढ़कर वर्ष 2020 में 35.6 हो गया।
      • विवाह हेतु औसत आयु जो कि वर्ष 2017 में 22.1 थी, वर्ष 2020 में बढ़कर 22.7 वर्ष  हो गई, जो कि मामूली सुधार है।  

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. क्या कारण है कि भारत के कुछ अत्यधिक समृद्ध प्रदेशों में महिलाओं के लिये प्रतिकूल स्त्री-पुरुष अनुपात है? अपने तर्क पेश कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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