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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी और श्रीलंका

  • 20 Nov 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये 

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी

मेन्स के लिये

RCEP का महत्त्व और भारत तथा श्रीलंका के लिये RCEP के निहितार्थ 

चर्चा में क्यों?

उभरते एशियाई बाज़ार के दोहन की श्रीलंका की महत्त्वाकांक्षा के मद्देनज़र चीन के नेतृत्त्व वाला क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) समझौता श्रीलंका के लिये एक आदर्श मंच सिद्ध हो सकता है।

  • हालाँकि श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक चुनौतियों और इस समूह में शामिल न होने के भारत के निर्णय को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि श्रीलंका के लिये इस मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होना आसान नहीं होगा।

प्रमुख बिंदु

श्रीलंका के लिये एक अवसर

  • विश्लेषकों का मानना है कि विश्व के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण श्रीलंका, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) में शामिल देशों के लिये व्यापार की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
  • श्रीलंका को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से वहाँ हवाई अड्डों के साथ-साथ हंबनटोटा और कोलंबो बंदरगाहों को विकसित किया जा रहा है।
  • ध्यातव्य है कि श्रीलंका के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सरकार के पहले बजट की घोषणा करते हुए कोलंबो पोर्ट सिटी को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश हब के रूप में विकसित करने के संबंध में सरकार की प्राथमिकता को भी रेखांकित किया था।
  • इससे स्पष्ट है कि भविष्य में श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है और इस लिहाज़ से यह RCEP के लिये भी काफी महत्त्वपूर्ण हो सकता है।

श्रीलंका के लिये RCEP का महत्त्व 

  • वर्तमान समय में कोरोना वायरस महामारी, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और ब्रेक्ज़िट (Brexit) के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में उत्पन्न हुई अनिश्चितता के बीच यह समझौता वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • यदि श्रीलंका इस व्यापक मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होता है तो यह श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने, समावेशी विकास, रोज़गार के अवसरों का विकास और आपूर्ति शृंखला को मज़बूत बनाने में भी सहायक हो सकता है।
  • समग्र तौर पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) के महत्त्व को इस बात से समझा जा सकता है कि यह अपने मौजूदा स्वरूप में विश्व की एक-तिहाई आबादी और वैश्विक जीडीपी के तकरीबन 29 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

श्रीलंका के लिये बाधाएँ

  • अस्पष्ट व्यापार नीति
    श्रीलंका की वर्तमान व्यापार नीति फिलहाल काफी अस्पष्ट बनी हुई है। उदाहरण के लिये इस वर्ष की शुरुआत में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद श्रीलंका की सरकार ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करने के लिये कई आयात प्रतिबंध लागू किये थे। 
  • मुक्त व्यापार समझौते को लेकर असंगत नीति
    मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) को लेकर श्रीलंका की सरकार की स्थिति सुसंगत नहीं रही है। उदाहरण के लिये जहाँ एक ओर भारत के साथ प्रस्तावित आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौता (ETCA) अभी तक पूरा नहीं सका है, वहीं श्रीलंका की सरकार चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर वार्ता को पुनर्जीवित करने के प्रति रुचि व्यक्त कर रही है। श्रीलंका की सरकार सिंगापुर के साथ भी अपने मुक्त व्यापार समझौते की पुनः समीक्षा कर रही है।
  • जटिल व्यापार क्षेत्र
    आँकड़ों के मुताबिक, अमेरिका और यूरोपीय संघ श्रीलंका के दो सबसे बड़े निर्यात बाज़ार हैं, जबकि भारत और चीन श्रीलंका के लिये आयात के दो सबसे बड़े स्रोत हैं। एशियाई देश सदैव श्रीलंका के लिये आयात का महत्त्वपूर्ण स्रोत रहे हैं, ऐसे में श्रीलंका के लिये इस जटिल व्यापार समीकरण में अपना स्थान खोजना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।

RCEP के बारे में

  • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जिसमें आसियान (ASEAN) के दस सदस्य देश तथा पाँच अन्य देश (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड) शामिल हैं।
  • RCEP के रूप में एक मुक्त व्यापार ब्लॉक बनाने को लेकर वार्ता की शुरुआत वर्ष 2012 में कंबोडिया में आयोजित 21वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी और अब लगभग 8 वर्ष बाद इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया है।
  • भारत शुरुआत से ही क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) के लिये होने वाली वार्ताओं का हिस्सा रहा है किंतु वर्ष 2019 में भारत ने कुछ अनसुलझे मुद्दों और चीन से संबंधित चिंताओं का हवाला देते हुए इसमें शामिल न होने का निर्णय लिया था।

आगे की राह

  • महामारी के बीच मौजूदा स्थिति में कोई भी देश अलगाववादी नीति के साथ आगे बढ़ते हुए वर्तमान चुनौतियों से नहीं उबर सकता है। ऐसे में सभी देशों को अपने राजनीतिक मतभेदों को अलग रखकर एक साथ काम करना होगा।
  • श्रीलंका एक व्यापार समर्थक देश है और इसलिये श्रीलंका को अपनी आर्थिक एवं व्यापारिक कूटनीति को आगे बढ़ाते हुए RCEP समेत सभी बहुपक्षीय व्यवस्थाओं में नई संभावनाओं की तलाश करनी चाहिये।
  • यद्यपि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि श्रीलंका की सरकार क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) की सदस्यता लेने पर विचार कर रही है अथवा नहीं, किंतु यह ज़रूर कहा जा सकता है कि मुक्त व्यापार ब्लॉक श्रीलंका के लिये एक आदर्श मंच साबित हो सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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