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वासेनार अरेंजमेंट

  • 01 Oct 2025
  • 86 min read

प्रिलिम्स के लिये: वासेनार अरेंजमेंट, नो मनी फॉर टेररिज़्म, परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह, परमाणु अप्रसार संधि 

मेन्स के लिये: वासेनार अरेंजमेंट, बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था और वैश्विक सुरक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकियों और क्लाउड सेवाओं के विनियमन की चुनौतियाँ

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब आरोप लगाया गया कि इसकी एज़्योर क्लाउड सेवाओं का उपयोग फिलिस्तीन में इज़रायली सैन्य अभियानों का समर्थन करने के लिये किया गया, जिससे नागरिकों को नुकसान पहुँचा और वासेनार अरेंजमेंट के निर्यात नियंत्रण ढाँचे में कमियों को लेकर चिंताएँ पैदा हुईं। 

वासेनार अरेंजमेंट क्या है? 

  • परिचय: वासेनार अरेंजमेंट पहला बहुपक्षीय निकाय है जो पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग (नागरिक और संभावित सैन्य अनुप्रयोग) प्रौद्योगिकियों के निर्यात नियंत्रण पर केंद्रित है। 
  • उद्देश्य: इस अरेंजमेंट का उद्देश्य भागीदार देशों के बीच पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देकर तथा सुरक्षा को खतरा उत्पन्न करने वाले देशों तक संवेदनशील प्रौद्योगिकियों की पहुँच को रोकने के लिये  नीतियों का समन्वय करके क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना है। 
  • संरचना और प्रशासन: 
    • पूर्ण अधिवेशन (Plenary): यह मुख्य निर्णय लेने वाली निकाय है। अध्यक्ष का कार्यकाल वार्षिक रूप से बदलता रहता है। भारत ने वर्ष 2023 में वासेनार अरेंजमेंट के पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। 
    • सचिवालय: वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित सभी व्यवस्था कार्यों का समर्थन करता है। 
  • सदस्य: 42 देश, भारत वर्ष 2017 में शामिल हुआ। 
  • कार्य-प्रणाली: इसके नियंत्रण ढाँचे में युद्ध सामग्री सूची शामिल है, जिसमें टैंक, लड़ाकू विमान और छोटे हथियार जैसी वस्तुएँ शामिल हैं। 
    • दोहरे उपयोग की सूची, जिसमें नागरिक और संभावित सैन्य अनुप्रयोगों वाली प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं। 
    • भाग लेने वाले राज्य नियंत्रण सूचियों पर सहमत होते हैं और जानकारी साझा करते हैं, जबकि प्रत्येक सरकार लाइसेंसिंग, कार्यान्वयन तथा नियमों के प्रवर्तन पर पूर्ण विवेकाधिकार रखती है। 
  • दायरा: मूल रूप से यह अरेंजमेंट भौतिक निर्यात (उपकरण, चिप्स, हार्डवेयर) पर केंद्रित था। वर्ष 2013 में इस अरेंजमेंट का विस्तार करके इसमें ‘इंट्रूज़न सॉफ्टवेयर’ को भी शामिल किया गया, यानी ऐसा सॉफ्टवेयर जो नेटवर्क सुरक्षा को दरकिनार कर देता है या साइबर निगरानी को सक्षम बनाता है।

भारत और वासेनार अरेंजमेंट 

वासेनार अरेंजमेंट के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं? 

  • भौतिक निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने की पुरानी दृष्टि: इसे शुरू में हार्डवेयर, चिप्स और उपकरणों के नियंत्रण के लिये बनाया गया था, न कि क्लाउड सेवाओं या डिजिटल तकनीकों के लिये। 
    • आधुनिक सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेयर ऐज़ ए सर्विस (SaaS) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरण ऐसे ग्रे क्षेत्रों में आते हैं, जिन्हें व्यवस्था के तहत स्पष्ट रूप से विनियमित नहीं किया गया है। 
    • वर्तमान नियंत्रण सूचियाँ व्यापक निगरानी, प्रोफाइलिंग, सीमा-पार डेटा प्रणालियों या मानवाधिकारों के हनन को शामिल नहीं करतीं। दमन के लिये जिन तकनीकों का दुरुपयोग किया जा सकता है, वे प्राय: इस व्यवस्था के दायरे से बाहर होती हैं। 
  • क्लाउड और रिमोट एक्सेस को लेकर अस्पष्टता: वासेनार अरेंजमेंट के पारंपरिक नियम रिमोट एक्सेस, एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) कॉल या प्रशासनिक अधिकारों को निर्यात नहीं मानते। 
    • इससे कंपनियों या राज्यों को नियंत्रण व्यवस्थाओं को दरकिनार करते हुए संभावित रूप से जोखिम भरे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को संभव बनाने में सहायता मिलती है। 
  • स्वैच्छिक प्रकृति और प्रवर्तन का अभाव: यह अरेंजमेंट आम सहमति पर आधारित है, कोई भी सदस्य बदलावों को रोक सकता है। घरेलू कार्यान्वयन देश के अनुसार अलग-अलग होता है, जिसके कारण कवरेज में अनियमितता और प्रवर्तन में असंगति होती है। 
    • क्लाउड सेवाएँ, AI और साइबर उपकरण सर्वसम्मति-आधारित निर्णय प्रक्रिया की तुलना में तेज़ी से विकसित होते हैं। तत्काल अपडेट को तेज़ी से लागू करने या पुराने नियंत्रणों को समाप्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यह व्यवस्था कम प्रासंगिक हो जाती है। 
  • भिन्न राष्ट्रीय व्याख्याएँ: वासेनार अरेंजमेंट के तहत प्रत्येक देश नियमों की अलग-अलग व्याख्या करता है और उन्हें लागू करता है, जिससे रक्षात्मक अनुसंधान या आंतरिक स्थानांतरण के लिये कमियाँ उत्पन्न होती हैं। 
    • सीमा पार लाइसेंसिंग को समन्वित करने या उच्च जोखिम वाले उपयोगकर्त्ताओं पर नज़र रखने के लिये कोई मानकीकृत प्रणाली मौजूद नहीं है। 
  • सीमित मानवाधिकार विचार: वासेनार अरेंजमेंट के तहत लाइसेंसिंग निर्णय प्राय: नागरिक क्षति, निगरानी दुरुपयोग या भेदभाव के जोखिम के बजाय सैन्य उपयोग या सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) के प्रसार पर केंद्रित होते हैं। 

कौन-से उपाय वासेनार अरेंजमेंट को सुदृढ़ कर सकते हैं? 

  • नियंत्रित तकनीकों का दायरा बढ़ाना: क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, AI सिस्टम, डिजिटल निगरानी उपकरण, बायोमेट्रिक सिस्टम और सीमा-पार डेटा ट्रांसफर को शामिल करना। वैध अनुप्रयोगों के अत्यधिक विनियमन से बचने के लिये सौम्य बनाम दुर्भावनापूर्ण उपयोगों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना। 
    • यूरोपीय संघ के दोहरे उपयोग के नियमों से प्रेरणा लेना जो क्लाउड ट्रांसमिशन को संभावित रूप से नियंत्रित प्रौद्योगिकियों के रूप में मानते हैं। 
  • डिजिटल युग हेतु ‘निर्यात’ को पुनर्परिभाषित करना: दूरस्थ पहुँच, API कॉल, सॉफ्टवेयर-एज़-ए-सर्विस इनवोकेशन और प्रशासनिक अधिकारों को भौतिक निर्यात के समकक्ष मानना। 
    • सुनिश्चित करना कि वर्चुअल या क्लाउड-आधारित स्थानांतरण नियंत्रण विनियमों के अंतर्गत आते हैं, ताकि कमियों को दूर किया जा सके। 
  • बाध्यकारी नियम और न्यूनतम मानक लागू करना: स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं से आगे बढ़कर अनिवार्य लाइसेंसिंग मानकों की ओर बढ़ना। सदस्य देशों में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये सहकर्मी समीक्षा तंत्र लागू करना। 
    • उच्च जोखिम वाले उपयोगकर्त्ताओं या संस्थाओं की साझा निगरानी सूची स्थापित करना। लाइसेंसिंग प्राधिकरणों के बीच रीयल-टाइम में रेड अलर्ट और तकनीकी अंतर-संचालन मानकों को सक्षम करना। सीमा-पार जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिये राष्ट्रीय लाइसेंसिंग नीतियों को संरेखित करना। 
  • प्रशासन को लचीला और प्रतिक्रियाशील बनाना: अंतरिम अद्यतनों को जल्दी लागू करने हेतु एक तकनीकी समिति या सचिवालय स्थापित करना। AI, साइबर हथियार और डिजिटल निगरानी जैसी तकनीकों के लिये डोमेन-विशेष व्यवस्थाएँ बनाना, जो सामान्य व्यवस्था से तेज़ी से अनुकूलित हो सकें। 
  • मानवाधिकार और जोखिम मूल्यांकन को एकीकृत करना: लाइसेंसिंग निर्णयों में उपयोगकर्त्ता की पहचान, अधिकार क्षेत्र, निरीक्षण, कानूनी अधिदेश और दुरुपयोग की संभावना पर विचार करना। 
    • यह सुनिश्चित करना कि प्रौद्योगिकी नियंत्रण केवल सैन्य उपयोग या सामूहिक विनाश के हथियारों तक ही सीमित न हो, बल्कि बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के हनन को भी रोके। 

निष्कर्ष 

वासेनार अरेंजमेंट, वैश्विक निर्यात नियंत्रणों के लिये आधारभूत होते हुए भी तेज़ी से विकसित हो रही क्लाउड और डिजिटल तकनीकों के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष कर रही है। दुरुपयोग को रोकने और मानवाधिकारों की रक्षा के लिये बाध्यकारी नियमों, त्वरित निगरानी और अंतिम-उपयोग नियंत्रणों के साथ व्यवस्था को मज़बूत करना आवश्यक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न.  वैश्विक सुरक्षा और परमाणु अप्रसार को बढ़ावा देने में वासेनार समझौते की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। डिजिटल और क्लाउड युग में इसकी प्रासंगिकता कैसे विकसित हुई है? 

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) 

1. वासेनार अरेंजमेंट क्या है?
वैश्विक सुरक्षा को बढ़ाने के लिये पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों को नियंत्रित करने वाली वर्ष 1996 की बहुपक्षीय व्यवस्था। 

2. वासेनार अरेंजमेंट के अंतर्गत कौन-सी सूचियाँ रखी जाती हैं? 
युद्ध सामग्री सूची (टैंक, विमान, छोटे हथियार) और दोहरे उपयोग वाली सूची (नागरिक/सैन्य तकनीक)। 

3. वर्तमान में वासेनार अरेंजमेंट की प्रासंगिकता पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? 
यह क्लाउड, AI और डिजिटल निगरानी तकनीकों से जूझ रही है, इसमें स्वैच्छिक सहमति-आधारित ढाँचा, असंगत राष्ट्रीय कार्यान्वयन तथा सीमित मानवाधिकार संबंधी विचार हैं। 

4. कौन-से सुधार वासेनार अरेंजमेंट को सुदृढ़ बना सकते हैं? 
डिजिटल/क्लाउड तकनीक के दायरे का विस्तार, ‘निर्यात’ को पुनर्परिभाषित करना, बाध्यकारी नियम लागू करना, रीयल-टाइम निगरानी सूचियाँ लागू करना, मानवाधिकारों और जोखिम-आधारित लाइसेंसिंग को एकीकृत करना। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011) 

  1. ऑस्ट्रेलिया समूह’ एक अनौपचारिक व्यवस्था है, जिसका लक्ष्य निर्यातक देशों द्वारा रासायनिक तथा जैविक हथियारों के प्रगुणन में सहायक होने के जोखिम को न्यूनीकृत करना है, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ OECD के अंतर्गत गठित औपचारिक समूह है, जिसके समान लक्ष्य हैं। 
  2.  ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ के सहभागी मुख्यतः एशियाई, अफ्रीकी और उत्तरी अमेरिका के देश हैं, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ के सहभागी मुख्यतः यूरोपीय संघ और अमेरिकी महाद्वीप के देश हैं। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (d)

प्रश्न 1. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर “IAEA सुरक्षा उपायों” के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते?  (2020) 

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का  
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का 
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा 
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले 

उत्तर: (b) 


मेन्स

प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों और भयों की विवेचना कीजिये। (2018)

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