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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

गर्भाशय प्रत्यारोपण

  • 10 Oct 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

गर्भाशय प्रत्यारोपण, कृत्रिम गर्भाशय, इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन

मेन्स के लिये:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी- विकास तथा उनके अनुप्रयोग, जैव-प्रौद्योगिकी

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण किया गया, यह प्रजनन संबंधी चुनौतियों से जूझ रही महिलाओं के लिये आशा की नई किरण है।

  • भारत सफलतापूर्वक गर्भाशय प्रत्यारोपण करने वाले कुछ देशों में से एक है; अन्य देश तुर्किये, स्वीडन और अमेरिका हैं।
  • डॉक्टरों का लक्ष्य अब प्रत्यारोपण सर्जरी की लागत को कम करना है, भारत में वर्तमान में इसकी लागत 15-17 लाख रुपए है। साथ ही उनका लक्ष्य प्रत्यारोपण को सरल बनाना और अंग प्रत्यारोपण तथा अंगदान संबंधी नैतिक चिंताओं को दूर करते हुए एक बायोइंजीनियर्ड कृत्रिम गर्भाशय विकसित करना है।

गर्भाशय प्रत्यारोपण:

  • परिचय:
    • हृदय अथवा यकृत प्रत्यारोपण, जो कि व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, के विपरीत गर्भाशय प्रत्यारोपण जीवन रक्षक प्रत्यारोपण नहीं है। 
    • गर्भाशय प्रत्यारोपण उन महिलाओं के लिये मददगार साबित हो सकता है जो गर्भाशय की कमी का सामना कर रही हैं, इससे उनकी प्रजनन संबंधी ज़रूरत पूरी हो सकती है
    • वर्ष 2014 में स्वीडन में गर्भाशय प्रत्यारोपण के बाद पहला सजीव/जीवित जन्म संभव हुआ, जो यूटरिन फैक्टर इनफर्टिलिटी के उपचार में एक सफल प्रयास है।
  • गर्भाशय प्रत्यारोपण में शामिल चरण:
    • प्रत्यारोपण से पूर्व प्राप्तकर्त्ता का संपूर्ण शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन किया जाता है।
    • दाता से प्राप्त गर्भाशय, चाहे जीवित दाता हो अथवा मृत दाता, की व्यवहार्यता के लिये उसकी गहनता से जाँच की जाती है।
      • जीवित दाता को स्त्री रोग संबंधी परीक्षण तथा कैंसर स्क्रीनिंग सहित विभिन्न परीक्षणों से गुज़रना पड़ता है।
    • इस प्रक्रिया में अंडाणु को अंडाशय से गर्भाशय में भेजा जाता है क्योंकि गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब जुड़े नहीं होते हैं तथा ऐसे में एक महिला को कृत्रिम गर्भधारण का सहारा लेना पड़ता है।
      • इसके बजाय डॉक्टर प्राप्तकर्त्ता के अंडाणु को हटा देते हैं, पात्रे निषेचन/इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन का उपयोग करके भ्रूण बनाते हैं और उन भ्रूण को फ्रीज़ कर देते हैं (क्रायोप्रिज़र्वेशन)।
        • एक बार जब नया प्रत्यारोपित गर्भाशय 'तैयार' हो जाता है, तो डॉक्टर भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित करते हैं।
    • रोबोट-सहायक लैप्रोस्कोपी का उपयोग दाता के गर्भाशय को सटीक रूप से निकालने के लिये किया जाता है, जिससे प्रक्रिया कम जटिल हो जाती है।
    • प्रत्यारोपण प्रक्रिया के बाद महत्त्वपूर्ण गर्भाशय वाहिका (हृदय को शरीर के अन्य अंगों और ऊतकों से जोड़ने वाली वाहिकाओं का नेटवर्क) तथा अन्य महत्त्वपूर्ण धमनियों को विधिपूर्वक पुनः व्यवस्थित किया जाता है।
  • प्रत्यारोपण के बाद गर्भावस्था:
    • इसकी सफलता तीन चरणों में निर्धारित होती है:
      • पहले तीन माह में निरोप (Graft) व्यवहार्यता की निगरानी करना।
      • छह माह से एक वर्ष के बीच गर्भाशय की कार्यप्रणाली का आकलन करना।
      • इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन के साथ गर्भावस्था का प्रयास करना, लेकिन इसमें अस्वीकृति या जटिलताओं जैसे उच्च जोखिम होते है।
      • सफलता का अंतिम चरण सफल प्रसव है।
    • अस्वीकृति, गर्भपात, जन्म के समय कम वज़न और समय से पहले जन्म जैसे संभावित जोखिमों के कारण बार-बार जाँच आवश्यक है।
  • विचार और दुष्प्रभाव:
    • अस्वीकृति को रोकने के लिये इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाएँ आवश्यक हैं लेकिन इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
    • साइड इफेक्ट्स में किडनी और अस्थि मज्जा विषाक्तता एवं मधुमेह तथा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
    • इन चिंताओं के चलते सफल प्रसव के बाद गर्भाशय को हटा दिया जाना चाहिये और शिशु के जन्म के बाद कम-से-कम एक दशक तक नियमित जाँच की जाती है।

कृत्रिम गर्भाशय: 

  • गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ता बायोइंजीनियर्ड गर्भाशय पर काम कर रहे हैं। इन्हें 3D स्कैफोल्ड की नींव के रूप में एक महिला के रक्त या अस्थि मज्जा से ली गई स्टेम कोशिकाओं का उपयोग करके बनाया गया है।
    • चूहों के साथ इनके प्रारंभिक अनुप्रयोग ने आशाजनक संकेत दिये है।
  • कृत्रिम गर्भाशय जीवित प्रदाता की आवश्यकता को समाप्त कर सकता है, नैतिक चिंताओं को दूर कर सकता है और स्वस्थ प्रदाताओं के लिये संभावित जोखिमों को कम कर सकता है।
  • कृत्रिम गर्भाशय की वजह से बाँझपन की समस्या का सामना कर रही महिलाओं के साथ-साथ LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को भी फायदा हो सकता है। 
    • हालाँकि ट्रांस-महिला धारकों को अभी भी अतिरिक्त प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो सकती है, जैसे- वंध्यकरण (नर पशु या मानव के अंडकोष को हटाना) और हार्मोन थेरेपी।
    • इसके अलावा विकासशील भ्रूण को सहारा देने के लिये लगातार रक्त प्रवाह सुनिश्चित करना कृत्रिम गर्भाशय के निर्माण में एक चुनौती है, क्योंकि पुरुष शरीर में गर्भाशय और भ्रूण के विकास के लिये आवश्यक संरचनाओं का अभाव होता है।
  • भविष्य की संभावनाएँ:
    • कृत्रिम गर्भाशय प्रजनन चिकित्सा में रोमांचक संभावनाएँ प्रदान कर सकता है लेकिन मानव प्रजनन के लिये व्यावहारिक समाधान बनने से पूर्व इसमें और अधिक शोध एवं विकास की आवश्यकता है।
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