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नीतिशास्त्र

अंग दान और प्रत्यारोपण से संबंधित नैतिक चिंताएँ

  • 27 Jun 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994, राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देश 2023, अंग दान से संबंधित विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्गदर्शक सिद्धांत

मेन्स के लिये:

अंग दान और प्रत्यारोपण - संबंधित नैतिक चिंताएँ, मृतक अंग प्रत्यारोपण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ओडिशा के एक व्यक्ति, जिसे सिर में गंभीर चोट लगने के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था, ने अंगदान कर तीन अलग-अलग राज्यों में चार लोगों को नया जीवन दिया है।

  • चूँकि अंग प्रत्यारोपण से किसी को नया जीवन तो दिया जा सकता है, परंतु इसमें दाता (अंगदान करने वाला व्यक्ति) की सहमति, मानवाधिकारों का उल्लंघन, अंग तस्करी आदि जैसे नैतिक मुद्दे भी जुड़े हुए हैं।

भारत में अंग दान और प्रत्यारोपण का परिदृश्य:

  • अंग दान और प्रत्यारोपण: सर्वाधिक अंग प्रत्यारोपण के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है। वर्ष 2022 में किये गए कुल प्रत्यारोपणों में मृत दाताओं से प्राप्त अंगों का योगदान लगभग 17.8% था।
    • मृतक दाताओं से प्राप्त अंगों से होने वाले अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या वर्ष 2013 के 837 से बढ़कर वर्ष 2022 में 2,765 हो गई।
    • अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या- मृत और जीवित दोनों दाताओं के अंगों के साथ वर्ष 2013 के 4,990 से बढ़कर 2022 में 15,561 हो गई।

भारत में अंग दान के विनियमन की प्रक्रिया:

  • भारत में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 मानव अंगों को अलग करने तथा इनके भंडारण के लिये विभिन्न नियम निर्धारित करता है। मानव अंगों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने के लिये यह चिकित्सीय उपयोग हेतु मानव अंगों के प्रत्यारोपण को विनियमित करता है।
  • फरवरी 2023 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देशों में संशोधन किया, अब 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग प्रत्यारोपण के लिये मृत दाताओं से अंग प्राप्त कर सकते हैं।
    • दिशा-निर्देशों ने अंग प्राप्तकर्त्ताओं के लिये आयु सीमा हटा दी है, अधिवास की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है और गुजरात, तेलंगाना, महाराष्ट्र तथा केरल जैसे कुछ राज्यों द्वारा पंजीकरण फीस को समाप्त कर दिया है।

अंग दान और प्रत्यारोपण से संबंधित नैतिक चिंताएँ:

  • जीवित व्यक्ति:
    • चिकित्सा के पारंपरिक नियम का उल्लंघन:
      • किडनी दाताओं को स्वस्थ जीवन जीने के लिये जाना जाता है। हालाँकि यूरोपीय संघ और चीन में किये गए अध्ययनों से पता चला है कि उनमें से एक-तिहाई यूरिनरी और चेस्ट में संक्रमण होने से इसकी चपेट में हैं, जो चिकित्सा के पहले पारंपरिक नियम, प्राइमम नॉन नोसेरे (सबसे बढ़कर, कोई नुकसान नहीं पहुँचाता) का उल्लंघन करता है।
      • एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिये रोगी बन जाता है जो पहले से ही रोगी है।
    • दान से तस्करी का खतरा:
      • जब अंगों के अधिग्रहण, परिवहन या प्रत्यारोपण में अवैध और अनैतिक गतिविधि शामिल होती है तो अंग दान तस्करी के लिये अतिसंवेदनशील होता है।
      • अपने 1991 के दस्तावेज़ "मानव अंग प्रत्यारोपण पर मार्गदर्शक सिद्धांत" में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने "मानव अंगों की व्यावसायिक तस्करी में वृद्धि, विशेष रूप से जीवित दाताओं, जो प्राप्तकर्त्ताओं से असंबंधित हैं" पर चिंता व्यक्त की है।
    • भावनात्मक दबाव:
      • अंग दान के लिये दाता और प्राप्तकर्त्ता के बीच का संबंध दाता की प्रेरणा को प्रभावित करता है। जीवित दाता आनुवंशिक रूप से प्राप्तकर्त्ता से संबंधित होते हैं तथा अक्सर पारिवारिक संबंधों एवं भावनात्मक बंधनों के कारण बाध्य महसूस करते हैं।
      • नैतिक चिंताओं में अनुचित प्रभाव, भावनात्मक दबाव और जबरदस्ती की संभावना शामिल है।
  • मृत व्यक्ति:
    • सहमति और स्वायत्तता:
      • यह निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण है कि क्या व्यक्ति ने जीवित रहते हुए अंग दान के लिये अपनी सहमति व्यक्त की है या नहीं।
      • यदि व्यक्ति की इच्छा या सहमति की जानकारी नहीं हैं तो उसकी ओर से निर्णय लेना नैतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • आवंटन एवं निष्पक्षता:
      • यह निर्धारित करना कि अंगों को निष्पक्ष एवं न्यायसंगत रूप से कैसे आवंटित किया जाए, एक सतत् नैतिक चिंता का विषय है।
      • नैतिक चिंताएँ तब उभर कर सामने आ सकती हैं जब धन, सामाजिक स्थिति या भौगोलिक स्थिति जैसे कारकों के आधार पर प्रत्यारोपण तक पहुँच में असमानताएँ पाई जाती हैं।
    • पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास:
      • जानकारी का प्रकटीकरण, अंग खरीद एवं प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं का निपटान तथा अंग दान रजिस्ट्रियों के प्रबंधन से संबंधित नैतिक चिंताओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

नोट:

  • मृत और जीवित अंग प्रत्यारोपण दोनों के अपने-अपने नैतिक विचार हैं, जबकि जीवित दाताओं को कोई नुकसान न हो, स्वायत्तता का सम्मान और आवंटन में निष्पक्षता के कारण मृत अंग प्रत्यारोपण को आमतौर पर नैतिक रूप से अधिक बेहतर माना जाता है।

अंग दान से संबंधित WHO के मार्गदर्शक सिद्धांत:

  • ग्यारह मार्गदर्शक सिद्धांत हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
    • मार्गदर्शक सिद्धांत 1:
      • मृतक के शरीर से अंगों, ऊतकों और कोशिकाओं को प्रत्यारोपण के लिये हटाया जा सकता है यदि:
        • कानून द्वारा आवश्यक कोई भी सहमति प्राप्त की जाती है।
        • यह मानने का कोई कारण नहीं है कि मृत व्यक्ति ने इस तरह के निष्कासन पर आपत्ति जताई थी।
    • मार्गदर्शक सिद्धांत 2:
      • जिस चिकित्सक द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि संभावित दाता की मृत्यु हो गई है, उसे दाता से कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों को निकालने के लिये या उसके बाद होने वाले प्रत्यारोपण में सक्रिय रूप से शामिल नहीं किया जाना चाहिये। उसे किसी ऐसे व्यक्ति की देखभाल का प्रभारी भी नहीं होना चाहिये जो संबंधित कोशिकाएँ, ऊतक या अंग प्राप्त करेगा।
    • मार्गदर्शक सिद्धांत 3:
      • मृतक से प्राप्त अंग का अधिकतम क्षमता के साथ चिकित्सीय उपयोग होना चाहिये, जबकि जीवित वयस्क दानकर्त्ता को घरेलू नियमों का पालन करना चाहिये। आमतौर पर जीवित दाताओं का अपने प्राप्तकर्त्ताओं के साथ आनुवंशिक, कानूनी या भावनात्मक संबंध होना चाहिये।
    • मार्गदर्शक सिद्धांत 4:
      • राष्ट्रीय कानून द्वारा अनुमत कुछ स्थितियों को छोड़कर, प्रत्यारोपण के लिये जीवित नाबालिगों से कोई अंग नहीं लिया जाना चाहिये। नाबालिगों की सुरक्षा के लिये विशेष उपाय लागू किये जाने चाहिये और जब भी आवश्यक हो दान से पहले उनकी सहमति प्राप्त की जानी चाहिये। वही सिद्धांत कानूनी रूप से अक्षम व्यक्तियों (जो गवाही देने या मुकदमा चलाने में सक्षम नहीं हैं) पर लागू होते हैं।
    • मार्गदर्शक सिद्धांत 5:
      • कोशिकाओं, ऊतकों तथा अंगों का दान स्वैच्छिक और बिना किसी मौद्रिक क्षतिपूर्ति के होना चाहिये। प्रत्यारोपण के लिये इन वस्तुओं की बिक्री या खरीद प्रतिबंधित होनी चाहिये।
        • हालाँकि आय की हानि सहित दाता द्वारा किये गए उचित और सत्यापन योग्य खर्चों की प्रतिपूर्ति की जा सकती है।
      • इसके अतिरिक्त प्रत्यारोपण के लिये मानव कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों की आपूर्ति, प्रसंस्करण, संरक्षण और वसूली की लागत को कवर करने की अनुमति है।

आगे की राह

  • विश्व के अधिकांश हिस्सों में सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लोग अंग दान की नैतिक आवश्यकता की सराहना करते हैं लेकिन उनकी परोपकारिता भी इस धारणा पर आधारित है कि अंगों को जरूरतमंद लोगों को उचित तरीके से वितरित किया जाएगा।
  • नैतिक सिद्धांतों को बनाए रखने, दाताओं और प्राप्तकर्त्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने, अंगों की तस्करी को रोकने तथा सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने के लिये अंग प्रत्यारोपण नीति का विनियमन महत्त्वपूर्ण है।
  • वे एक सुव्यवस्थित, पारदर्शी और नैतिक रूप से सुदृढ़ अंग दान और आवंटन प्रणाली के लिये एक रूपरेखा प्रदान करते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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