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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप (SCEP)

  • 13 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पेरिस समझौता, यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप, SCEP, लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट

मेन्स के लिये:

अमेरिका एवं भारत के बीच जलवायु परिवर्तन संबंधी विभिन्न पहलें तथा ‘यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप’ का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी ऊर्जा मंत्रालय के साथ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान संशोधित ‘यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप’ (SCEP) को लॉन्च किया गया।

SCEP को वर्ष 2021 की शुरुआत में आयोजित ‘लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट’ में दोनों देशों द्वारा घोषित ‘यूएस-इंडिया क्लाइमेट एंड क्लीन एनर्जी एजेंडा 2030 पार्टनरशिप’ के तहत लॉन्च किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • यूएस-इंडिया एजेंडा 2030 पार्टनरशिप:
    • इसका उद्देश्य पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये मौजूदा दशक में इन कार्यों पर मज़बूत द्विपक्षीय सहयोग स्थापित करना है।
    • यह साझेदारी दो मुख्य मार्गों के साथ आगे बढ़ेगी: सामरिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी और जलवायु कार्रवाई एवं वित्त संग्रहण संवाद
    • भारत ने वर्ष 2018 में भारत-अमेरिका ऊर्जा वार्ता को ‘रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी’ तक बढ़ा दिया।
  • संशोधित सामरिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी (SCEP):
    • उभरते ईंधन (स्वच्छ ऊर्जा ईंधन) पर पाँचवें स्तंभ को जोड़ना।
    • इसके साथ SCEP अंतर-सरकारी गठबंधन अब सहयोग के पाँच स्तंभों पर आधारित है- शक्ति और ऊर्जा दक्षता, तेल और गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, सतत विकास, उभरते ईंधन।
    • वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत का समर्थन करना है।
    • जैव ईंधन पर एक नए भारत-अमेरिका कार्य बल (Task Force) की भी घोषणा की गई।
  • भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग की समीक्षा:
  • ‘गैस टास्क फोर्स’ का रूपांतरण:
    • ‘यूएस-इंडिया गैस टास्क फोर्स’ को अब ‘यूएस-इंडिया लो एमिशन गैस टास्क फोर्स’ के रूप में जाना जाएगा।
    • यह भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से कुशल एवं बाज़ार संचालित समाधानों को बढ़ावा देकर भारत की प्राकृतिक गैस नीति के साथ प्रौद्योगिकी एवं नियामक बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • ‘इंडिया एनर्जी मॉडलिंग फोरम’ का संस्थानीकरण:
    • विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और मॉडलिंग के लिये छह टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
    • इसमें कोयला क्षेत्र में एनर्जी डेटा मैनेजमेंट, लो कार्बन टेक्नोलॉजी और ऊर्जा ट्रांज़िशन पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
  • ‘(PACE)-R’ पहल के दायरे का विस्तार:
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा भारत की ओर से उन्नत स्वच्छ ऊर्जा (PACE)-R पहल के लिये साझेदारी के दूसरे चरण के हिस्से के रूप में स्मार्ट ग्रिड और ग्रिड स्टोरेज को शामिल करने पर सहमति व्यक्त की गई है।
  • अमेरिका-भारत संबंधों पर हालिया पहल:
    • मालाबार अभ्यास: ‘क्वाड’ समूह में शामिल देशों (भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की नौसेनाओं ने अभ्यास के 25वें संस्करण में भाग लिया।
    • ALUAV पर भारत-अमेरिका समझौता: भारत और अमेरिका ने एक एयर-लॉन्च मानव रहित हवाई वाहन (ALUAV) या ड्रोन को संयुक्त रूप से विकसित करने हेतु एक परियोजना समझौते (PA) पर हस्ताक्षर किये हैं जिसे एक विमान से लॉन्च किया जा सकता है।
    • मुक्त व्यापार समझौते का मुद्दा: अमेरिकी प्रशासन ने यह संकेत दिया है कि भारत के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को बनाए रखने में उसकी अब कोई दिलचस्पी नहीं है।
    • निसार (NISAR): राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) संयुक्त रूप से NISAR नामक SUV के आकार के उपग्रह को विकसित करने हेतु कार्य कर रहे हैं। यह उपग्रह एक टेनिस कोर्ट के लगभग आधे क्षेत्र में 0.4 इंच से भी छोटी किसी वस्तु की गतिविधि का अवलोकन करने में सक्षम होगा।

स्रोत: द हिंदू

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