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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय

  • 15 Dec 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कॉन्टिनेंटल शेल्फ़, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, UNCLOS

मेन्स के लिये:

UNCLOS और समुद्री विवाद जैसे कि दक्षिण चीन सागर तथा पूर्वी चीन सागर में

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) पर अपना समर्थन दोहराया है।

  • भारत ने UNCLOS,1982 में विशेष रूप से परिलक्षित अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के आधार पर नेविगेशन और ओवरफ्लाइट तथा अबाधित वाणिज्य की स्वतंत्रता का भी समर्थन किया है।
  • भारत, UNCLOS का एक समर्थक देश है।

प्रमुख बिंदु:

  • सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) 1982 एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो समुद्री और समुद्री गतिविधियों के लिये कानूनी ढाँचा स्थापित करता है।
  • इसे समुद्र के नियम के रूप में भी जाना जाता है यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है अर्थात्- आंतरिक जल, प्रादेशिक सागर, सन्निहित क्षेत्र, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और हाई सीज़
  • यह तटीय देशों और महासागरों को नेविगेट करने वालों द्वारा अपतटीय शासन के लिये मज़बूती प्रदान करता है।
  • यह न केवल तटीय देशों के अपतटीय क्षेत्रों का ज़ोन है बल्कि पाँच संकेंद्रित क्षेत्रों में देशों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के लिये विशिष्ट मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।
  • जबकि UNCLOS पर दक्षिण चीन सागर में लगभग सभी तटीय देशों द्वारा हस्ताक्षर और पुष्टि की गई है किंतु इसकी व्याख्या अभी भी बहुत विवादित है।
    • पूर्वी चीन सागर में भी समुद्री विवाद है।

समुद्री क्षेत्र

  • आधार रेखा:
    • यह तटीय देश द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त तट के साथ कम परिक्षेत्र की जल रेखा है।
  • आंतरिक जल:
    • आंतरिक जल वे जल होते हैं जो आधार रेखा के भू-भाग पर स्थित होते हैं और जिससे प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है।
    • प्रत्येक तटीय देश की अपने भूमि क्षेत्र की तरह अपने आंतरिक जल पर पूर्ण संप्रभुता होती है। आंतरिक जल के उदाहरणों में खाड़ी, बंदरगाह, इनलेट, नदियाँ और यहाँ तक कि समुद्र से जुड़ी झीलें भी शामिल हैं।
    • आंतरिक जल से इनोसेंट पैसेज के गुज़रने का कोई अधिकार नहीं है।
    • इनोसेंट पैसेज का तात्पर्य उन जल से गुज़रना है जो शांति और सुरक्षा के प्रतिकूल नहीं हैं। हालाँकि, राष्ट्रों को इसे निलंबित करने का अधिकार है।
  • प्रादेशिक सागर:
    • प्रादेशिक समुद्र अपनी आधार रेखा से समुद्र की ओर 12 नॉटिकल मील (NM) तक विस्तृत होता है।
      • एक नॉटिकल मील पृथ्वी की परिधि पर आधारित होता है और अक्षांश के एक मिनट के बराबर होता है। यह भूमि मापित मील (1 समुद्री मील = 1.1508 भूमि मील या 1.85 किमी) से थोड़ा अधिक है।
  • सन्निहित क्षेत्र (Contiguous Zone):
    • सन्निहित क्षेत्र का विस्तार आधार रेखा से 24 नॉटिकल मील तक विस्तृत होता है।
    • तटीय देशों को अपने क्षेत्र के भीतर राजकोषीय, आव्रजन, स्वच्छता और सीमा शुल्क कानूनों के उल्लंघन को रोकने तथा दंडित करने का अधिकार होता है।
    • इसमें संबंधित देश को अपनी सीमा में न्याधिकारिता का अधिकार होता है। लेकिन यह हवाई और अंतरिक्ष क्षेत्र पर लागू नहीं होता है।
  • अनन्य आर्थिक क्षेत्र ( Exclusive Economic Zone-EEZ):
    • EEZ आधार रेखा से 200 नॉटिकल मील की दूरी तक फैला होता है। इसमें तटीय देशों को सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन का संप्रभु अधिकार प्राप्त होता है।
  • हाई सीज़ (High Seas):
    • EEZ से अलग समुद्र की सतह और जल स्तंभ को ‘हाई सीज़’ कहा जाता है।
    • इसे "सभी मानव जाति की साझा विरासत" के रूप में माना जाता है और यह किसी भी राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे है।
    • देश इन क्षेत्रों में गतिविधियों का संचालन तब तक कर सकते हैं जब तक कि वे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये हों, जैसे कि पारगमन, समुद्री विज्ञान और पानी के नीचे की खोज।

स्रोत: द हिंदू

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