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सुरक्षा

भारत और CAATSA

  • 08 Jul 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

CAATSA, भारत-रूस रक्षा खरीद समझौते, मिग 29, SU-30 MKI

मेन्स के लिये

भारत के लिये CAATSA के निहितार्थ, भारत-रूस रक्षा खरीद समझौतों का महत्त्व

चर्चा में क्यों 

बीते माह वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control-LAC) पर भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद भू-राजनीतिक वास्तविकताओं में आए बदलाव के बावजूद रूसी हथियारों की खरीद से संबंधित प्रतिबंधों पर अमेरिका के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा कि ‘अमेरिका अपने सभी सहयोगियों और साझेदारों से आग्रह करता है कि वे रूस से किसी भी प्रकार के सैन्य लेन-देन को तत्काल रोक दें, अन्यथा उन्हें अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) का सामना करना पड़ सकता है।

भारत-रूस सैन्य संबंध के हालिया घटनाक्रम

  • गौरतलब है कि बीते सप्ताह ‘रक्षा अधिग्रहण परिषद’ (Defence Acquisition Council- DAC) ने रूस से 21 मिग-29 फाइटर जेट विमानों की खरीद और 59 मिग जेट विमानों को अपग्रेड करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी।
    • भारत के मौजूदा 59 मिग-29 विमानों को अपग्रेड करने का कार्य भी रूस द्वारा ही किया जाएगा। अनुमान के अनुसार, इस सौदे की कुल लागत 7,418 करोड़ रुपए है।
  • वहीं इससे पूर्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मास्को (Moscow) की यात्रा के दौरान रूस के साथ रक्षा सहयोग पर चर्चा की थी।
  • ध्यातव्य है कि रक्षा सहयोग सदैव ही भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ रहा है। 
  • मौजूदा समय में भारत और रूस का सैन्य तकनीकी सहयोग एक खरीदार और विक्रेता के फ्रेमवर्क से आगे बढ़ कर एक संयुक्त अनुसंधान, विकास और उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के उत्पादन के फ्रेमवर्क तक पहुँच गया है।

क्या है CAATSA?

  • अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) को वर्ष 2018 में लागू किया गया था, इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य दंडनीय उपायों के माध्यम से ईरान, रूस और उत्तर कोरिया की आक्रामकता का सामना करना है।
  • हालाँकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अधिनियम प्राथमिक रूप से रुसी हितों जैसे कि तेल और गैस उद्योग, रक्षा क्षेत्र और वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित है।
  • यह अधिनियम अमेरिकी राष्ट्रपति को रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों से संबंधित महत्त्वपूर्ण लेन-देनों में शामिल व्यक्तियों पर अधिनियम में उल्लिखित 12 सूचीबद्ध प्रतिबंधों में से कम-से-कम पाँच प्रतिबंध लागू करने का अधिकार देता है।

CAATSA का प्रयोग?

  • गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अब तक कुल 2 बार CAATSA प्रतिबंधों का प्रयोग किया है, और संयोगवश दोनों बार इसका प्रयोग उन देशों के विरुद्ध किया गया था, जिन्होंने अमेरिका के साथ रक्षा क्षेत्र से संबंधित कोई समझौता किया था।
  • सितंबर, 2018 में अमेरिकी विदेश विभाग और ट्रेज़री विभाग ने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और सुखोई एस-35 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये चीन के उपकरण विकास विभाग (Equipment Development Department-EDD) पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी।
    • इन प्रतिबंधों को तब और बढ़ा दिया गया जब चीन की सेना को रूस से रक्षा प्रणाली की डिलीवरी प्राप्त हुई।
  • जुलाई 2019 में भी अमेरिका ने तुर्की को S-400 की पहली डिलीवरी के बाद F-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से निष्कासित कर दिया था और साथ ही यह भी कहा था कि प्रतिबंध तब तक विचाराधीन हैं जब तक कि तुर्की रूस के साथ अपने सभी समझौते को समाप्त नहीं कर देता।

भारत के लिये CAATSA के निहितार्थ

  • गौरतलब है कि अमेरिका ने जब से यह कानून अधिनियमित किया है, तभी से भारत-रूस रक्षा संबंधों पर इसके संभावित प्रभावों का मुद्दा काफी चर्चा में रहा है, विशेष रूप से S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के संदर्भ में।
    • इसका मुख्य कारण यह है कि CAATSA को अधिनियमित करने का उद्देश्य ही रूस के रक्षा क्षेत्र के साथ व्यापारिक लेन-देन में संलग्न संगठनों और व्यक्ति विशिष्ट पर प्रतिबंध लागू करके रूस को दंडित करना था।
  • CAATSA की धारा 235 में कुल 12 प्रकार के प्रतिबंधों को सूचीबद्ध किया गया है, जानकारों का मानना है कि इनमें से कुल 10 प्रतिबंध ऐसे हैं, जिनका रूस या अमेरिका के साथ भारत के मौजूदा संबंधों पर बहुत कम अथवा कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 
    • इस प्रकार ऐसे केवल 2 ही प्रतिबंध हैं, जिनका रूस या अमेरिका के साथ भारत के मौजूदा संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा। 
  • इनमें से पहला प्रतिबंध बैंकिंग लेन-देन के निषेध से संबंधित है, यदि भारत पर लागू किया जाता है तो भारत को अमेरिकी डॉलर के माध्यम से भुगतान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
  • वहीं दूसरा प्रतिबंध निर्यात से संबंधित है, और इसका अमेरिका तथा भारत के संबंधों पर काफी गहरा प्रभाव हो सकता है। इस प्रतिबंध के माध्यम से अमेरिका स्वयं द्वारा नियंत्रित किसी भी वस्तु के लिये लाइसेंस प्रदान करने और उसके निर्यात को स्वीकार करने से मना कर सकता है।

CAATSA से बचाव का विकल्प

  • इस अधिनियम में एक बचाव खंड दिया गया है जिसके अनुसार “यदि अमेरिकी राष्ट्रपति चाहें तो वे CAATSA को रद्द कर प्रतिबंधों से मुक्त कर सकते हैं।”
  • अगस्त, 2018 में अमेरिकी काॅॅन्ग्रेस ने इस खंड में संशोधन करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के लिये यह प्रमाणित करना आवश्यक कर दिया था कि ‘प्रतिबंधित देश अथवा संगठन अमेरिकी  सरकार के साथ अन्य मामलों पर सहयोग कर रहा है जो अमेरिका के रणनीतिक राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिये महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत: द हिंदू

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